जिले में बढ़ रही ऑनलाइन ठगी को रोकने के लिए जिले में साइबर थाने की स्थापना के बाद साइबर थाना पुलिस ने पहली बड़ी कार्यवाही करते हुए साइब ठगी के के गिरोह का फर्दाफाश करते हुए 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया। इन आरोपियों ने देशभर में करीब एक करोड़ की ठगी कर चुके है। इस गिरोह में शामिल सभी आरोपी पहले ट्रेनिंग लेते थे फिर ठगी की वारदात काे अंजाम देते थे। आरोपी मध्य प्रदेश के देवास जिले में कॉल सेंटर पर ई मित्र संचालक के साथ ऑन लाइन ट्रेडिंग के नाम पर ठगी करते थे। पुलिस ने आरोपियों से 20 मोबाइल जब्त किए है।
एसपी सुधीर जोशी ने बताया कि 2 फरवरी 2023 को राजनगर निवासी परिवादी मनीष कुमार पुत्र प्रेमशंकर भोई माली ने साइबर पुलिस थाना पर रिपोर्ट पेश कर बताया कि कुछ महीने पहले उसके मोबाइल पर एक कॉल आया जिसमें एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा उसे करेंसी मार्केट में ऑनलाईन ट्रेडिंग में अच्छा मुनाफा की बात कही। इस पर पीड़ित ने ठगों ने अपने झांसे में लेते हुए ठगों ने प्रार्थी के वाट्सएप्प पर एक लिंक भेजकर लॉग इन आईडी पासवर्ड से उस वेबसाईट को खुलवाया। जिसमें प्रार्थी के द्वारा इन्वेस्ट कि गई राशि को दर्शाया बताई। ठगों द्वारा प्रार्थी से लोट साईज में किया गया इन्वेस्ट व ठगों द्वारा स्वयं के द्वारा शो करवाई गई राशि व जीएसटी के नाम पर कुल अक्षरे 2 लाख दस हजार रुपए की ठगी कर दी। प्रार्थी ने जमा पैसा वापस लौटाने को कहा तो आरोपियों ने आनाकानी की। इसके बाद प्रार्थी को ठगी का पता चला। इसके बाद प्रार्थी ने साइबर पुलिस थाने में धोखाधड़ी की रिपोर्ट दी। पुलिस ने आईटी एक्ट की धाराओं में प्रकरण दर्ज कर किया। वहीं साईबर थानाधिकारी बैनी प्रसाद मीणा ने जांच शुरू की।
डीएसपी के नेतृत्व में प्रकरण की जांच
थाना प्रभारी बैनी प्रसाद मीणा, पुलिस निरीक्षक रमेश कविया के नेतृत्व में साइबर सेल राजसमन्द साइबर पुलिस थाना स्टाफ व डीएसटी टीम के सदस्यों को मिलाकर दो विशेष टीम का गठन किया। टीम के सदस्यों ने अज्ञात मुल्जिमान की तलाश के लिए अलग-अलग दो टीम बनाकर उज्जैन व देवास (मध्य प्रदेश) रवाना हुई। टीम के सदस्यों ने तीन दिनों तक अज्ञात अपराधियों के ठिकानों का पता लगाया। टीम ने अलग-अलग भेष बदल कर आईसक्रिम वाला बनकर तो कभी दुकान, मकान किराए पर लेने की तलाश में आसपास पूछताछ करते हुए ठगों के कॉल सेण्टर का पता लगाया। इसके बाद पुलिस ने सभी आरोपी एक ही स्थान पर उपस्थित होने के समय का इंतजार करते रहे। जैसे ही सभी सदस्य एक साथ कॉल सेण्टर पर पहुंचे दोनो टीमों द्वारा सभी आरोपीयों को डिटेन लिया।
ठगी के ये आरोपी हुए गिरफ्तार
- मास्टर माइंड अकालिया, विजयंगज मंडी, देवास (मध्यप्रदेश) हाल म. नं. 525 राजारामनगर, देवास थाना सिविलाइंस देवास निवासी लक्की उर्फ लोकेश पुत्र चेतन जायसवाल (कलाल)
- अकालिया, देवास, मध्यप्रदेश निवासी हरपालसिंह पुत्र ईश्वरसिंह राजपूत
- दिग्गविजयसिंह उर्फ बन्टी पुत्र धर्मेन्द्रसिंह राजपुत
- मानुपरा थाना सिहोरमंडी जिला सिरोह मध्यप्रदेश निवासी हर्षित पुत्र मुकेश मेवाडा राजपुत
- बावड़िया थाना सिहोरमंडी मध्यम प्रदेश निवासी राहुलसिंह पुत्र हेतमसिंह राजपुत
- विजय मंडी जिला देवास निवासी रघु पुत्र गोविन्द प्रजापत
- रोला थाना शिहोरमंडी जिला शिहोर मध्यप्रदेश निवासी सतीशसिंह पुत्र प्रहलादसिंह राजपुत
- हुरहुर, पिपलरावा, जिला देवास निवासी सुरेन्द्रसिंह पुत्र लादुसिंह राजपूत
देशभर में एक करोड से ज्यादा की कर चुके ठगी
इस गिरोह ने राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मुम्बई व अन्य राज्यों के कई लोगो को फोरेक्स ट्रेडिंग के नाम पर ठगी का शिकार बना करोड़ों रूपयो की ठगी कर चुके है। फिलहाल आरोपियों से पूछताछ जारी है जिसमें और भी वारदातों का खुलासा हो सकता है।
आरोपियों के वारदात का तरीका
ठग गिरोह का मास्टर माइंड लक्की जायसवाल है, जिसने कॉल सेन्टर खोल रखा है। ऑनलाइन एक आई फोरेक्स ट्रेड नाम की डेमो वेबसाइट तैयार कर रखी है, जिसमें मार्केट के उतार चढ़ाव व ग्राहक के पैसो को ऑनलाइन बताया जाता है। कब कितना लाभ व नुकसान बताना है, यह लक्की ही तय करता है। इस तरह अन्य साथियों के जरिए मास्टर माइंड लोगों के नाम, मोबाइल नंबर व ई मेल आईडी प्राप्त करता है। फिर इन्हीं डाटा के जरिए कॉल कर फोरेक्स में पैसा इन्वेस्ट करने पर बड़ा मुनाफा का वादा किया जाता है। फिर जो व्यक्ति अधिक मुनाफा सुनकर इन्वेस्ट करने को तैयार हो जाता है। लक्की थोड़ी अंग्रेजी बोलता है, जिससे लोगों को विश्वास हो जाता है कि बड़ी कंपनी है। जैसे ही व्यक्ति द्वारा पैसा जमा कराया जाता है, तो उसका डाटा वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाता है। इस तरह व्यक्ति इन्वेस्ट किया गया पैसा वापस मांगता है, तो आनाकानी होने पर ठगी का पता चलता है। ठगी का शिकार होने वाला व्यक्ति उस पैसे को निकालने के लिये कहता है तो वह उससे बड़े लॉट साईज में पैसा इन्वेस्ट के लिये कहता है। जिस पर ठगी का शिकार होने वाला अपने पास पैसा नहीं होने की बात करता है तो ये लोग कहते है कि कोई बात नहीं आपके पास पैसा नहीं है तो इसमें मैं आपके आईडी पर लोन कर देता हूं। जिस पर ये व्यक्ति डेमो वेबसाइट पर ठगी का शिकार होने वाले व्यक्ति की आईडी पर मोटी रकम को शो करवा देता है। ऐसे में प्रार्थी को लालच आ जाता है कि ये पैसा विड्राल कर लेता हुं। तो इन लोगो द्वारा ठगी का शिकार होने वाले व्यक्ति को कहा जाता है कि ये पैसा आप तभी निकाल सकते हो, जब आप हमारे द्वारा आपकी आईडी में लगाया गया पैसा (जो एक मोटी रकम होती है) जिसे आप जमा करवा दो तभी आप पैसा विड्राल कर सकते हो। ऐसे ठगी का शिकार होने वाला व्यक्ति बड़ी रकम प्राप्त करने के लिये ठगों के द्वारा आईडी पर लगाया गया पैसा (जो एक मोटी रकम होती है) उसे वह जमा करवा देता है। उसके बाद भी ठगी का शिकार हुआ व्यक्ति का पैसा नहीं निकाल पाता है तो इन ठगों द्वारा कहा जाता है कि आपको ये फायदा प्राप्त कर पैसा निकालना है तो आपको इस पर जो भारत सरकार की ओर से जीएसटी की दर है, जो करीब आपके जमा राशि का 30 प्रतिशत है उसे जमा करवाना होगा, तभी ये पैसा आपके खाते में जमा हो पाएगा। ये सरकार के नियम है ऐसे में हम आपको ये पैसा नहीं दे सकते हैं, तो ठगी का शिकार हुआ व्यक्ति जीएसटी की राशि जमा करवा देता है। उसके बाद इन ठगों द्वारा उसके कॉल उठाना ही बंद कर देते हैं।
आरोपी मोबाइल सीम कार्ड ही कर देते हैं बंद
ठग गिरोह के सरगना लक्की जायसवाल बड़ा ही मास्टर माइंड है। जैसे ही ठगी के मामले बढ़ने लगते हैं और विवाद बढ़ने या पकड़ने जाने की आशंका पर मोबाइल सीम को ही नष्ट कर दिया जाता है। मोबाइल सीम कार्ड बंद कर देने से लोग परेशान करना बंद कर देते हैं। ऐसे में हर किसी व्यक्ति से ढाई से तीन लाख रुपए तक की ठगी कर लेते है। अगर कोई व्यक्ति इनके अंतिम लक्ष्य तक पहुंच जाता है तो उन लोगों के साथ करीब पांच से दस लाख रूपये तक की ठगी कर लेते है।