मध्य प्रदेश की 4 संस्थाओं से फर्जी तरीके से कोर्स कर आए 416 अभ्यर्थियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। 209 अभ्यर्थियों का इसी साल सहायक रेडियाग्राफर भर्ती में चयन गया था। बाद में उन्हें कर्मचारी चयन बोर्ड ने सूची से बाहर करते हुए चिकित्सा विभाग को नियुक्ति देने से इनकार कर दिया था।

राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार की ओर से जारी आदेशों के मुताबिक, मध्य प्रदेश के श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मेडिकल साइंस सीहोर, सर्वपल्ली राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी होशंगाबाद, स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर और आइसेक्ट यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंस रायसेन से फर्जी तरीके से कोर्स किया गया है। अभ्यर्थियों ने इन्हीं चार संस्थाओं में फर्जीवाड़ा करके डिप्लोमा किया था। सभी ने मध्य प्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराया था।

जानकारी के मुताबिक, पिछले महीने जून में सहायक रेडियाेग्राफर भर्ती मामले की शिकायत हुई। इसके बाद काउंसिल ने पूरे प्रकरण की जांच कराई। इसमें पता चला कि जिन लोगों ने मध्य प्रदेश की इन 4 संस्थाओं से कोर्स किया है, वह फर्जी हैं। इस मामले में मध्य प्रदेश सह चिकित्सा परिषद से भी जांच कराई गई। इसमें भी फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। बाद में काउंसिल ने इस मामले में इन सभी अभ्यर्थियों के रजिस्ट्रेशन को अस्थायी तौर पर रद्द कर दिया था।

ये थी गड़बड़ियां

जानकारी के मुताबिक, जिन अभ्यर्थियों ने राजस्थान काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करवा रखा था, उनके दस्तावेजों की जांच हुई। पता चला की कई अभ्यर्थी तो कोर्स करने के लिए योग्य ही नहीं थे। नियम कहता है कि 17 साल से कम उम्र में डिप्लोमा नहीं लिया जा सकता है, लेकिन ऐसे अभ्यर्थियों ने भी डिप्लोमा ले लिया। इसके बावजूद काउंसिल ने उनका रजिस्ट्रेशन कर दिया। इसके अलावा मप्र में नियम है कि 12वीं में बायोलॉजी लेने वाला ही पैरामेडिकल में डिप्लोमा कर सकता है। इसमें कई मैथ्स स्टूडेंट्स ने डिप्लोमा ले लिया और काउंसिल ने रजिस्ट्रेशन भी कर दिया।