Fake Ghee Caught : घर में नकली घी बनाकर बाजार से लेकर गांव ढाणियों में बेचने का कारखाना पकड़ा गया है। जिला विशेष टीम (डीएसटी) की सूचना पर खाद्य निरीक्षक और राजनगर थाना पुलिस ने छापामार कार्रवाई करते हुए एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है, जबकि घर से करीब 1200 किलो नकली घी का जखीरा पकड़ा है। यहां सरस, कृष्णा व नोवा ब्रांड के कवर चिपका कर बाजार में नकली घी खुलेआम बेचा जा रहा था। करीब डेढ़ साल से नकली घी बनाने का कारोबार चल रहा था, लेकिन जिम्मेदार चिकित्सा व खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में आ गई। खुलेआम नकली घी बनाकर लोगों को खिलाया जा रहा था और उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा था। हालांकि जिला विशेष टीम (डीएसटी) की सूचना पर बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया।

Real and Fake Ghee Difference : राजनगर थाना प्रभारी रमेश मीणा ने बताया कि सुन्दरचा पंचायत के डिप्टी खेड़ा निवासी कालूलाल गुर्जर के घर नकली घी बनाने की सूचना जिल विशेष टीम (डीएसटी) तक पहुंची। डीएसटी द्वारा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के खाद्य निरीक्षक और राजनगर थाना पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई। डीएसटी की सूचना पर हुई कार्रवाई के बाद चिकित्सा विभाग एवं खाद्य निरीक्षक की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए कि आखिर जिम्मेदार महकमे द्वारा कार्रवाई क्यों नही की गई। खाद्य निरीक्षक अशोक के साथ पुलिस टीम द्वारा मौके से नकली घी के 76 टीन जब्त पकड़े गए। इसी तरह 123 डिब्बे एक किलो पैकिंग के, टीन के ढक्कन, कर्टन, एक एक किलो घी के कागज के प्रिंटेंड कवर को जब्त किया गया। इस तरह मौके पर 1263 लीटर नकली घी को जब्त किया और वनस्पति घी व रिफाइंड तेल के डिब्बे भी मिले हैं। राजनगर थाना पुलिस और खाद्य निरीक्षक की कार्रवाई देर रात तक चलती रही। नकली घी के सभी टीन 15 लीटर है, जिसे भी जब्त कर लिया गया।

Pure ghee : तेल, वनस्पति घी में एसेंस डाल बना रहे थे नकली घी

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Pure ghee : सस्ता तेल, वनस्पति घी में एसेंस डालकर नकली घी बनाया जा रहा था। सबसे पहले तेल व वनस्पति घी को आग पर काफी देर तक उबाला जाता है। फिर ऐसा घी तैयार हो जाता है, जिसे कोई भी नकली नहीं कह सकता और न ही पहचान सकता है। नकली घी में एसेंस डालने के बाद कोई भी व्यक्ति नकली घी को नहीं पहचान सकता है और उसकी खुशबू भी देसी घी की तरह ही है। ऐसे में आम लोग तो यह अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि यह नकली है या असली घी। नकली घी बनाने में रंग, एसेंस, पॉमोलीन (पॉम आइल) और वनस्पति घी का प्रयोग किया जाता है। दिखावे के लिए थोड़ा सा असली देसी घी भी डाला जाता है। खाद्य पदार्थों में दुकानदार अपने-अपने ढंग से मिलावट कर लोगों को बेचते हैं।

मुनाफे के चक्कर में लोगों की सेहत से खिलवाड़

कतिपय लोग अपने मोटे मुनाफे के चक्कर में लोगों की सेहत से खेल रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार खाद्य निरीक्षक द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने से विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ज्यादातर लोग वनस्पति घी से नकली घी बनाते हैं, तो कहीं कहीं आलू, शक्करकंद, हाइड्रोजेनेटेड तेल व नारियल तेल की मिलावट करके भी कई जगह नकली घी पकड़ा जा चुका है। नकली घी को असली घी बनाने वाला एसेंस लोगों की सेहत के लिए काफी घातक हो सकता है।

Rajsamand Police : नमक से असली व नकली घी की पहचान करें

Rajsamand Police : असली नकली घी की पहचान करने के कई तरीके है, जिसमें मुख्य रूप से नमक से भी असली घी का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए किसी बर्तन में एक चम्मच घी लेना है और फिर आधा चम्मच नमक और हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिक्स करना है। फिर लगभग बीस मिनट के लिए इसको ऐसे ही रख कर छोड़ देना है। फिर घी का रंग बदल जाता है तो घी नकली है और अगर घी का रंग वही रहता है, तो घी असली है।

काली कमाई के चक्कर में कतिपय लोग कर रहे अपराध

जानकारों ने बताया कि मिलावटी घी बनाने में 60 से 100 रुपए खर्च आता है और यह होलसेल में 180 से 200 रुपए तक में बिकता है। इसे दुकानदार द्वारा ‌280 से 350 तक में बेचते हैं। वहीं, यदि ब्रांडेड डिब्बा बंद देसी घी की बात करें तो यह 350 से 400 रुपए में मिलता है। वहीं, डेयरी वालों से शुद्ध देसी घी 600 से 700 रुपए प्रति किलो मिलता है। इस तरह नकली घी बनाकर कतिपय कारोबारी मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। साथ ही विभागीय कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

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शरीर के लिए खतरनाक, कैंसर तक का खतरा

नकली घी खाने की वजह से शरीर में कई खतरनाक बीमारियां होने का खतरा है। खास तौर से कैंसर की बीमारी भी हो सकती है। मिलावटी चीजों के इस्तेमाल से किडनी, लीवर और दिल पर असर पड़ता है। इनसे कैंसर तक हो सकता है। पेट और स्किन के रोग तो तत्काल दिखाई देने लगते हैं, लेकिन बाकी गंभीर बीमारियां धीरे-धीरे घेरती है। इस तरह लोगों के लिए भविष्य में बड़ी घातक हो सकती है।

नकली घी पहचानने के खास तरीके

  • एक चम्मच में थोड़ा सा घी लेकर उसे गर्म कर लें। इस दौरान घी की खुशबू से असली-नकली का फर्क समझ सकते हैं। एक कटोरी में पानी लेकर तपा हुआ घी इसमें डाल दें। अगर ये घी कटोरी में नीचे बैठ जाए तो समझ जाएं कि घी नकली है और इसमें मिलावट की गई है। असली देसी घी जमने पर भी पानी के ऊपर तैरता है, जिसे पानी से बाहर निकाल सकते हैं.
  • हाथ में थोड़ा सा घी लेकर हथेली पर लगा सकते हैं। अगर तुरंत पिछला जाए तो ये असली है वरना जिस घी को रगड़ना पड़े वो घी ही नहीं होता। हाथ में घी लगाने के बाद उसे सूंघकर भी देख सकते हैं। नकली घी को हाथ में कुछ देर लगाने पर केमिकल या रिफाइंड की साफ महक आ जाती है।
  • सबसे पहले घी को पिघलाकर उसमें हल्का सा नमक डाल लें। अगर घी का रंग पीला ही रहे तो घी असली है और रंग हल्‍का बैंगनी हो जाए तो मिलावट तय है।
  • घी को पिघलाकर उसमें चीनी को अच्छी तरह से मिला दें। 10 मिनट तक छोड़ने के बाद नकली घी का रंग लाल हो जाता है यानी घी के अंदर वेजिटेबल ऑयल की मिलावट हो सकती है।
  • सबसे पहले देसी घी को लेकर अच्छी तरह गर्म कर लें। अगर देसी घी शुद्ध होगा तो कम तापमान पर ही पिघल जाएगा। वहीं मिलावट और नकली घी को पिघलने में थोड़ा समय लगा जाता है।
  • घी को तपाकर एक कांच के जार में भर लें और इसे फ्रीजर में जमने के लिए रख दें। अगर कुछ घंटे बाद घी में तरह-तरह की लेयर नजर आये तो समझ जायें कि ये मिलावटी घी है।