Fake Police Officer : पापा की परी शबाना परवीन ने दो बार सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा दी, लेकिन दोनों बार असफल रही। फिर प्रयास करने के लिए पापा कहते रहे, मगर परवीन ने प्रतियोगी परीक्षा देने से इनकार कर दिया। उसके बाद उसकी शादी कर दी, तो सालभर बाद बेटे को जन्म दे दिया, लेकिन परवीन के सिर पुलिस वाली बनने का भूत सवार था। इस कारण खाकी वर्दी पहन नकली थानेदार बन गई। फिर वह असली पुलिस वाले से अड़ गई, तो खुद के नकली थानेदार होने का खुलासा हुआ, तो न सिर्फ माता- पिता, बल्कि असल पुलिसकर्मी भी चकित रह गए।
क्राइम की यह रियल कहानी राजस्थान व मध्यप्रदेश से जुड़ी है। मध्यप्रदेश के उज्जैन निवासी असलम खान की बेटी शबाना परवीन को शुरू से पुलिस इंस्पेक्टर बनने का सपना था। फिर सब इंस्पेक्टर की भर्ती निकली, तो शबाना परवीन ने आवेदन भर दिया और परीक्षा की तैयारी भी की, लेकिन जब परीक्षा के परिणाम आए तो परवीन का नाम नहीं था, जिससे उस का चेहरा उतर गया। बेटी का उतरा चेहरा देख कर असलम ने उसकी हौसला अफजाई करते हुए दोबारा परीक्षा की तैयारी करने के लिए कहा। इस पर शबाना परवीन फिर से परीक्षा की तैयारी जुट गई और दोबारा परीक्षा दी, जिसमें भी वह अफसल हो गई। लगातार दो बार असफलता से वह टूट गई। उसके बाद पिता ने काफी समझाया, लेकिन परवीन ने कोई प्रतियोगी परीक्षा नहीं दी। परवीन 20 साल से ऊपर की हो चुकी थी, तो पिता ने सोचा कि अच्छा वर मिल जाएगा, तो वहां ससुराल रहकर भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर सकती है। इसलिए असलम खान ने परवीन के लिए अच्छा वर देखने की ठान ली। फिर काफी तलाश व बातचीत के बाद राजस्थान के कोटा शहर में एक लड़का मिला। अफसर खान एक शरीफ खानदान से था और अपना बिजनैस करता था। असलम को लगा कि परवीन इसके साथ सुख चेन से रहेगी। इसलिए अफसर खान के घर वालों से बातचीत कर असलम ने शबाना परवीन की शादी यानि निकाह करवा दिया। निकाह के बाद परवीन घर गृहस्थी में रम गई। करीब एक साल बाद वह एक बेटे को जन्म देकर मां बन गई। मां बनने के बाद उसकी जिम्मेदारियां और बढ़ गई थी।
पुलिस वाली बनने का चस्का, पति से लिया तलाक
शबाना परवीन बेटे के जन्म लेने के बाद घर परिवार में व्यस्त जरूर हो गई थी, लेकिन अभी भी पुलिस की वरदी पहनने की उसकी तमन्ना खत्म नहीं हो रही थी। पुलिस वाली बनने का चस्का अब भी उसे बार बार सता रहा था। इसी कारण वह अक्सर इंदौर चली जाती। अफसर खान कभी पूछता तो वह कहती, तुम्हें तो पता है कि मैं पुलिस सब इंसपेक्टर परीक्षा की तैयारी कर रही हूं। उसी के चक्कर में इंदौर आती जाती हूं। परवीन का इंदौर आना जाना कुछ ज्यादा ही हुआ तो एक दिन अफसर खान ने उसे समझाया कि तुम्हें नौकरी की कोई जरूरत नहीं है। अल्लाह का दिया हमारे पास सब कुछ है और ज्यादा रुपए पैसे का लोभ मत रखो। एक खूबसूरत बेटा भी है, इसे संभालो और खुश रहो। फिर भी परवीन इसमें खुश नहीं थी। वह पुलिस की नौकरी के लिए अपनी जिद पर अड़ी रही। इसलिए घर में रोज किचकिच होने लगी, तो एक दिन परवीन ने अपने पति से स्पष्ट कह दिया कि अब हमारी और तुम्हारी कतई निभने वाली नहीं है। इसलिए तुम मुझे तलाक देकर मुक्त कर दो। इस पर अफसर खान ने बसी बसाई गृहस्थी बरबाद होते देख तत्काल ससुर को फोन कर बुला लिया। असलम खान ने कोटा पहुंचकर बेटी शबाना परवीन को समझाया। फिर भी परवीन टस से मस नहीं हुई। आखिर में मजबूर होकर अफसर खान को तलाक देना ही पड़ा। तलाक के बाद परवीन अपने 5 साल के बेटे को लेकर अपने पिता के घर उज्जैन आ गई।
Police Investigation : बेटी को वर्दी में देख पिता की छलकी आंखे
Police Investigation : पिता के घर आने के बाद भी परवीन का वही हाल रहा। वह पिता के घर से भी सुबह इंदौर के लिए निकल जाती तो देर रात तक लौटती। ऐसा कई दिनों तक हुआ तो एक दिन असलम खान ने पूछा कि ‘बेटी, तुम रोज सुबह निकल जाती हो तो देर रात तक लौट कर आती हो, इस बीच तुम कहां रहती हो?’’ इस पर परवीन बोली कि आपको पता नहीं है क्या। अब्बू, मैंने मध्य प्रदेश पुलिस की सब इंसपेक्टर की परीक्षा दे रखी है और जल्दी ही मुझे नौकरी मिलने वाली है। इस पर पिता असलम खान बोले कि सच। इस परवीन बोली कि हां अब्बू। अब जल्द ही आपको मेरे सब इंस्पेक्टर बनने की खुशखबरी मिल जाएगी। उसके बाद कुछ दिन बाद परवीन ने घर पर पिता को खुशखबरी दे दी कि वह सब इंस्पेक्टर बन गई है। असलम खान को बेटी की बात पर भरोसा तो नहीं हुआ, लेकिन एक दिन परवीन सब इंसपेक्टर की वरदी में घर पहुंची तो असलम खान देखते ही रह गया। वह चहकते हुए अब्बू से बोली, देखो अब्बू मैं दरोगा थानेदार बन गई हूं और मेरे कंधे पर 2 सितारे चमक रहे हैं। मैं कैसी लग रही हूं। इस पर पिता अलसम खान की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। उनके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे।वह कुछ कहते, उससे पहले साथ लाए मिठाई के डिब्बे से एक टुकड़ा मिठाई उनके मुंह में रखते हुए बधाई दे दी। असलम ने अल्लाह को सजदा करते हुए कहा कि अल्लाह ने हमारी तमन्ना पूरी कर दी। मेरी बेटी बहुत सुंदर लग रही है। तू बेटी नहीं बेटा है, लेकिन बेटा, इस समय तुम्हारी पोस्टिंग कहां है? इस पर परवीन बोली कि अभी तो मैं इंदौर के डीआरपी लाइन में हूं। जल्दी ही किसी थाने में पोस्टिंग हो जाएगी। एक साल तक मेरी ड्यूटी इंदौर में रहेगी. उसके बाद मेरा तबादला उज्जैन हो जाएगा। जब तक तबादला नहीं हो जाता, मुझे उज्जैन से इंदौर आना जाना पड़ेगा। जरूरत पड़ने पर वहां रुकना भी पड़ सकता है। परवीन ने कहा कि इसके बाद तो असलम खान ने पूरे मोहल्ले में मिठाई बंटवाई तो सभी को पता चल गया कि परवीन सब इंसपेक्टर यानि थानेदार बन गई है। लोग उसकी मिसालें देने लगे। एक साधारण घर की बेटी का थानेदार बन जाना छोटी बात नहीं थी, वह भी शादी और एक बेटे की मां बन जाने के बाद पढाई कर थानेदार बनना अचंभित करने वाला ही था। परवीन रोजाना बस से इंदौर जाती और देर रात तक वापस घर आ जाती थी। कभी कभार न आती तो फोन कर देती कि आज वह घर नहीं आ पाएगी। उसके सब इंसपेक्टर होते ही घर के सभी वाहनों पर पुलिस का लोगो चिपकवा दिया गया था, जिससे चैकिंग में कोई पुलिस वाला उन्हें परेशान न करें।
Real Policeman : महंगी पड़ी असल पुलिसकर्मी को थप्पड़ लगानी
Real Policeman : एक दिन परवीन अपने 2 साथियों के साथ सड़क पर वाहनों की चैकिंग कर रही थी, तभी एक मोटरसाइकिल पर 3 युवक आते दिखाई दिए। परवीन ने उन्हें रुकने का इशारा किया, लेकिन उन युवकों ने मोटरसाइकिल जरा भी धीमी नहीं की। परवीन को समझते देर नहीं लगी कि इनका रुकने का इरादा नहीं है। वह तुरंत होशियार हो गई और मोटरसाइकिल जैसे ही उसके नजदीक आई तो उसने ऐसी लात मारी कि तीनों सवार बाइक सहित नीचे गिर गए। तीनों युवक उठकर खड़े हुए तो मोटरसाइकिल चला रहे युवक का कोलर पकड़ कर परवीन ने कहा कि मैं हाथ दे रही थी तो तुझे दिखाई नहीं दे रहा था? इस पर युवक बोला कि मैडम, मैं थाना महू का सिपाही हूं। विश्वास न हो तो आप फोन करके पूछ लो और मेरा नाम गुरुदेव सिंह चहल है। आज मैं छुट्टी पर था, इसलिए दोस्तों के साथ घूमने निकला था। यहां मैं डीआरपी लाइन में रहता हूं। गुरुदेव सिंह ने सफाई देते हुए कहा। युवक ने बताया कि वह सिपाही है तो परवीन ने उसे छोड़ने के बजाए तड़ातड़ 2 तमाचे लगा कर कहा कि पुलिस वाला होकर भी कानून तोड़ता है। याद रखना, आज के बाद फिर कभी कानून से खिलवाड़ करते दिखाई दिए तो सीधे हवालात में डाल दूंगी। अपने गालों को सहलाते हुए गुरुदेव सिंह बोला कि मैडम, आपको पता चल गया कि मैं पुलिस वाला हूं, फिर भी आपने मुझे मारा। यह आपने अच्छा नहीं किया। इस पर परवीन ने कहा कि एक तो कानून तोड़ता है, ऊपर से आंख दिखाता है। अब चुपचाप चला जा, वरना थाने ले चलूंगी, तब पता चलेगा कि कानून तोड़ने का नतीजा क्या होता है। गुरुदेव सिंह ने मोटरसाइकिल उठाई और साथियों के साथ चला गया, लेकिन इसके बाद जब भी परवीन से उसका सामना होता, वह गुस्से से उसे इस तरह घूरता, मानो मौका मिलने पर बदला जरूर लेगा। परवीन भी उसे खा जाने वाली निगाहों से घूरती। ऐसे में ही 27 मार्च 2024 को एक बार फिर गुरुदेव सिंह और परवीन का आमना सामना हो गया। परवीन बेस बोल का बल्ला लेकर गुरुदेव सिंह को मारने के लिए आगे बढ़ी तो खुद के बचाव के लिए गुरुदेव सिंह भागा, लेकिन वह कुछ कदम ही भागा था कि ठोकर लगने से गिर पड़ा, जिससे उसकी कलाई में मोच आ गई। परवीन पीछे लगी थी, इसलिए चोट मोच की परवाह किए बगैर वह जल्दी से उठ कर फिर भागा। परवीन उसके पीछे लगी रही। गुरुदेव भाग कर डीआरपी लाइन स्थित अपने क्वार्टर में घुस गया। परवीन ने उसके क्वार्टर के सामने खूब हंगामा किया, लेकिन वहां वह उसका कुछ कर नहीं सकी। क्योंकि शोर सुन कर वहां तमाम पुलिस वाले आ गए थे, जो बीच बचाव के लिए आ गए थे।
Police FIR : परवीन ने पुलिसकर्मी पर दर्ज करवाई झूठी FIR
Police FIR : 29 मार्च की रात करीब 12 बजे इंदौर रेलवे स्टेशन पर एक बार फिर गुरुदेव का आमना सामना परवीन से हो गया। उस समय गुरुदेव के घर वाले भी उसके साथ थे। उन्होंने परवीन को समझाना चाहा कि एक ही विभाग में नौकरी करते हुए उन्हें आपस में लड़ना नहीं चाहिए। पहले तो परवीन चुपचाप उनकी बातें सुनती रही, लेकिन जैसे ही गुरुदेव की मां ने कहा कि वह उनके बेटे को बेकार में परेशान कर रही है, तो परवीन भड़क उठी। उसने चीखते हुए कहा कि मैं तुम्हारे बेटे को परेशान कर रही हूं? अभी तक तो कुछ नहीं किया है और अब देखो इसे किस तरह परेशान करती हूं। इतना कह कर परवीन ने अपने साथियों से कहा कि इसे थाने ले चलो। आज इसे इसकी औकात बता ही देती हूं। इस पर परवीन के साथियों ने गुरुदेव को पकड़ कर कार में बैठाया और थाना ग्वाल टोली की ओर चल पड़े। कार के पीछे पीछे परवीन भी अपनी एक्टिवा स्कूटर से चल पड़ी थी। थाने पहुंच कर परवीन गुरुदेव सिंह को धकियाते हुए अंदर ले गई और ड्यूटी पर तैनात मुंशी से बोली कि इसके खिलाफ रिपोर्ट लिखो। यह मेरे साथ छेड़छाड़ करता है। जब भी मुझे देखता है तो सीटी मारता है। परवीन सब इंसपेक्टर की वरदी में थी, इसलिए उसे परिचय देने की जरूरत नहीं थी। गुरुदेव सिंह ने अपने बारे में बताया भी कि वह सिपाही है, फिर भी उसके खिलाफ छेड़छाड़ की रिपोर्ट लिख कर मुंशी ने इस बात की जानकारी ड्यूटी पर तैनात एएसआई श्री मेढा को दी। चूंकि नए कानून के हिसाब से मामला गंभीर था, इसलिए उन्होंने गुरुदेव सिंह को महिला सब इंसपेक्टर से छेड़छाड़ के आरोप में लोकअप में डाल दिया, जबकि गुरुदेव सिंह का कहना था कि पहले इस महिला सब इंसपेक्टर के बारे में पता लगाएं। क्योंकि इसका कहना है कि यह डीआरपी लाइन में रहती है, जबकि वहां नहीं रहती है। वहां तो वह भी रहता है और उसने इसे वहां कभी देखा नहीं है। गुरुदेव परवीन के बारे में पता लगाने को लाख कहता रहा, लेकिन एएसआई मेढा ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। क्योंकि यह एक महिला सब इंसपेक्टर से छेड़छाड़ का मामला था। फिर उसने एक अन्य सब इंसपेक्टर कुशवाह से मेढा की बात भी कराई थी, जबकि मेढा को पता नहीं था कि सब इंसपेक्टर कुशवाह कौन हैं और किस थाने में तैनात हैं। गुरुदेव सिंह को लोकअप में डलवा कर परवीन अपने साथियों के साथ कार से चली गई। उसने अपना स्कूटर थाने में ही यह कह कर छोड़ दिया था कि इसे वह सुबह किसी से मंगवा लेगी।
सेल्यूट की बजाय किया नमस्कार, तो खुली नकली थानेदार की पोल
30 मार्च 2024 सुबह उसने थाना ग्वाल टोली पुलिस को फोन किया कि वह अपने साथी इमरान कुरैशी को भेज रही है। उसे उसका स्कूटर दे दिया जाए। इमरान कुरैशी के थाने पहुंचने तक थाना प्रभारी आरएन शर्मा थाने आ गए थे। पुलिस वालों ने रात की घटना के बारे में उनसे कहा कि सब इंसपेक्टर शबाना परवीन का साथी इमरान कुरैशी उनका एक्टिवा स्कूटर लेने आया है तो उन्होंने उसे ऑफिस में भेजने को कहा। इमरान उनके सामने पहुंचा तो उसका हुलिया देख कर उन्होंने पूछा कि तुम पुलिस वाले हो? इस पर वह बोला कि नहीं साहब, मैं पुलिस वाला नहीं हूं। मैं तो चाट का ठेला लगाता हूं। चूंकि मैं परवीनजी का परिचित हू, इसलिए अपना स्कूटर लेने के लिए भेज दिया है। इसके बाद वहां खड़े सिपाही से थाना प्रभारी ने कहा कि परवीन को बुला लो कि वह आकर अपना स्कूटर खुद ले जाए। उसका स्कूटर किसी दूसरे को नहीं दिया जाएगा। इमरान के पास परवीन का नंबर था, उसने उसे फोन कर दिया। थोड़ी देर में परवीन थाना ग्वाल टोली आ पहुंची। उस समय भी वह पुलिस सब इंसपेक्टर की वरदी में थी। उसने थाना प्रभारी आरएन शर्मा के सामने जाकर दोनों हाथ जोड़ कर नमस्ते किया तो वह उसे हैरानी से देखते रह गए। वह पुलिस की वरदी में थी। उसके कंधे पर सब इंसपेक्टर के 2 स्टार चमक रहे थे। उन्होंने बड़े प्यार से पूछा कि मैडम, तुम किस थाने में तैनात हो? इस पर परवीन बोली कि फिलहाल मैं डीआरपी लाइन में हूं। इस पर थाना प्रभारी शर्माबोले कि वहां पर अभी आरआई कौन है? इस पर परवीन बगले झांकने लगी और कुछ भी नहीं बता पाई। इस पर थाना प्रभारी ने परवीन से पूछा कि आपको आई कार्ड दिखाओ। इस पर परवीन बोली कि आज आई कार्ड घर पर ही रह गया। इस पर थाना प्रभारी शर्मा गुस्से में तेज आवाज में बोले कि सच सच बताओ, तुम कौन हो? तुम नकली पुलिस वाली हो न? इस पर परवीन ने सिर झुका लिया। थाना प्रभारी आरएन शर्मा ने कहा कि मैं तो उसी समय समझ गया था कि तुम नकली पुलिस वाली हो, जब तुमने दोनों हाथ जोड़ कर नमस्ते किया था। तुम्हें पता होना चाहिए कि पुलिस विभाग में सीनियर अफसर को सैल्यूट किया जाता है। तुम्हारे कंधे पर लगे स्टार भी बता रहे हैं कि स्टार लगाना नहीं आता। क्योंकि तुमने कहीं प्रशिक्षण ही नहीं लिया। तुम्हारे कंधे पर जो स्टार लगे हैं, उनकी नोक से नोक मिल रही है, जबकि कोई भी पुलिस वाला स्टार लगाता है तो उसकी स्टार की नोक दूसरे स्टार की 2 नोक के बीच होती है। इस पर परवीन ने देखा कि उसकी पोल खुल गई है तो वह रोने लगी। रोते हुए ही उसने स्वीकार किया कि वह नकली पुलिस वाली है। इसके बाद थाना प्रभारी ने लोकअप में बंद गुरुदेव सिंह को बाहर निकलवाया। पूछताछ में उसने बताया कि वह भी सिपाही है और थाना महू में तैनात है। यहां वह डीआरपी लाइन में रहता है। रोजाना बस से महू अपनी ड्यूटी पर जाता है। इसके बाद थाना प्रभारी आरएन शर्मा ने थाना महू फोन कर गुरुदेव सिंह के बारे में जानकारी ली तो वहां से बताया कि वह उनके थाने का सिपाही है। फिर डीआरपी लाइन फोन कर आरआई से भी उसके बारे में पूछा तो बताया कि वह लाइन में रहता है। पूछताछ में परवीन ने कबूल किया कि उसने गुरुदेव के खिलाफ फरजी मामला दर्ज कराया था, तो थाना प्रभारी ने उसे छोड़ दिया। अब परवीन रोते हुए अपने किए की माफी मांग रही थी। पूछताछ में उसने कहा कि मैं यह वरदी इसलिए पहनती हूं कि कोई मुझसे छेड़छाड़ न करे। इसके अलावा मेरे पिता चाहते थे कि मैं पुलिस अफसर बनूं। मैंने कोशिश भी की, लेकिन सफल नहीं हुई। पिता का सपना पूरा करने के लिए मैं नकली थानेदार बन गई। मेरे नकली थानेदार होने की जानकारी मेरे अब्बू अम्मी को नहीं है। अगर उन्हें असलियत पता चल गई तो वे जीते जी मर जाएंगे। इसलिए साहब आप उन्हें यह बात मत बताइएगा। पूछताछ के बाद थाना प्रभारी शर्मा ने लोक सेवक प्रतिरूपण अधिनियम की धारा 177 के तहत परवीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उसकी गिरफ्तारी की सूचना उस के पिता असलम खान को दी गई। उज्जैन से इंदौर 53 किलोमीटर दूर है। थाना ग्वाल टोली पहुंचने पर जब उसे पता चला कि परवीन नकली थानेदार बन सबको धोखा दे रही थी तो वह सन्न रह गया। वह सिर थाम कर बैठ गया। असलम खान बेटी की नादानी से बहुत दुखी हुआ। वह थाना प्रभारी से उसकी गलती की माफी मांगकर उसे छोड़ने की विनती करने लगा। चूंकि परवीन के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं था। इसलिए थाना प्रभारी ने उसे थाने से जमानत दे दी। सिपाही गुरुदेव सिंह ने भी उसके खिलाफ मामला दर्ज नहीं कराया।
पुलिस ने सिखाया फर्जी थानेदार को सबक, जांच जारी
फर्जी थानेदार शबाना परवीन के बारे में अखबार में छपा तो हर कोई चकित रह गया। थाना प्रभारी शर्मा की सजगता से फेक थानेदार की पोलपट्टी उजागर हो गई। थाना ग्वालटोली पुलिस की जांच में परवीन ने बताया कि वह एक महीने से सब इंसपेक्टर की वरदी पहन रही है, लेकिन वरदी सीलने वाले दरजी ने एक साल पहले सिलना बताया। साथ ही चिकन की दुकान चलाने वाले नियाज ने पुलिस को बताया कि परवीन चिकन ले जाती थी। पुलिस का रौब दिखाते हुए वह पूरे पैसे नहीं देती थी। पुलिस की वरदी में होने की वजह से वह बस वालों का किराया नहीं देती थी। कहानी लिखे जाने तक पुलिस को कहीं से ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली थी कि उसने किसी को ठगा हो या जबरन वसूली की हो। इसके चलते पुलिस ने थाने से जमानत दे दी। पुलिस अभी उसके बारे में पता कर रही है। जांच पूरी होने के बाद ही उसके खिलाफ आरोप पत्र अदालत में पेश किया जाएगा।
यह कहानी बताने के पीछे हमारा उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना या परेशान करना नहीं है, बल्कि आमजन को सावधान व शिक्षित करना है। आपको यह कहानी कैसी लगी और क्या सीख मिलती है, कमेंट बॉक्स में जरूर लिखिएं। आपको किस तरह की कहानियां पसंद है, वह भी बताएं, ताकि भविष्य में उसी तरह की कहानियां प्राथमिकता से लेकर आएं। धन्यवाद