Jaivardhan News

FASTAG NEW RULES FROM : 17 फरवरी से पहले जान लें FASTag के नए नियम, वरना लगेगा दोगुना जुर्माना!

FASTAG NEW RULES FROM https://jaivardhannews.com/fastag-new-rules-form-and-fastag-update-news/

FASTAG NEW RULES FROM : भारत में टोल भुगतान को सरल और सुगम बनाने के लिए सरकार ने फास्टैग (FASTag) सिस्टम को लागू किया है। यह डिजिटल टोल भुगतान प्रणाली न केवल वाहनों की आवाजाही को तेज बनाती है, बल्कि टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों को भी कम करती है। हाल ही में, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने FASTag से जुड़े नए नियम लागू करने का निर्णय लिया है, जो 17 फरवरी 2024 से प्रभावी होंगे। इन नए नियमों के तहत यदि आपका फास्टैग ब्लैकलिस्ट हो जाता है और आप इसे समय पर सक्रिय नहीं कर पाते, तो आपको दोगुना टोल शुल्क देना पड़ेगा। ऐसे में वाहन चालकों को चाहिए कि वे अपने फास्टैग की स्थिति को समय-समय पर जांचते रहें और इसे सक्रिय बनाए रखें।

Fastag Update : अगर आप वाहन चालक हैं और फास्टैग का उपयोग करते हैं, तो इन नए नियमों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है। ब्लैकलिस्टेड होने से बचने के लिए बैलेंस की नियमित जांच करें और आवश्यक केवाईसी प्रक्रियाएं पूरी करें। समय पर अपने FASTag को सक्रिय बनाए रखें ताकि आपको दोगुना टोल न देना पड़े और आपकी यात्रा बिना किसी रुकावट के जारी रह सके।17 फरवरी से पहले अपने FASTag की स्थिति जरूर जांच लें और नए नियमों के अनुसार अपने FASTag को अपडेट कर लें। इससे आपकी यात्रा सुविधाजनक और परेशानी-मुक्त रहेगी।

NPCI ने FASTag ट्रांजेक्शन के लिए कुछ नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, खासतौर पर उन यूज़र्स के लिए जो ब्लैकलिस्टेड हो सकते हैं। इन नियमों के तहत:

FASTag कब ब्लैकलिस्ट होता है?

FASTag ब्लैकलिस्ट होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं:

  1. पर्याप्त बैलेंस न होना: यदि आपके FASTag वॉलेट में न्यूनतम बैलेंस नहीं है, तो इसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।
  2. ट्रांजेक्शन में देरी: यदि FASTag को टोल प्लाजा पर स्कैन करने के 60 मिनट तक निष्क्रिय रहने दिया जाता है, तो यह ब्लैकलिस्ट हो सकता है।
  3. केवाईसी (KYC) पूरा न करना: अगर आपके फास्टैग की KYC अपडेट नहीं है, तो इसे निष्क्रिय कर दिया जाएगा।
  4. वाहन और चेसिस नंबर का मिलान न होना: अगर आपके FASTag पर दर्ज वाहन नंबर और आपके वाहन के चेसिस नंबर में अंतर पाया जाता है, तो यह ब्लैकलिस्ट हो सकता है।

कैसे बचें ब्लैकलिस्ट होने से?

अगर आप चाहते हैं कि आपका FASTag कभी ब्लैकलिस्ट न हो और आप बेवजह दोगुना टोल देने से बचें, तो इन बातों का ध्यान रखें:

कैसे होगा ट्रांजेक्शन रिजेक्ट?

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपका FASTag सुबह 9 बजे ब्लैकलिस्ट हो गया। अब, यदि आप 10:30 बजे टोल प्लाजा पर पहुंचते हैं, तो आपका ट्रांजेक्शन रिजेक्ट हो जाएगा। लेकिन अगर आपने 70 मिनट के भीतर अपने FASTag को रिचार्ज कर लिया और KYC अपडेट कर लिया, तो ट्रांजेक्शन सफलतापूर्वक पूरा हो जाएगा।

यात्रा के दौरान रखें ये सावधानियां

नए नियमों के लागू होने का असर

इन नए नियमों से टोल वसूली में पारदर्शिता आएगी और फास्टैग सिस्टम को और अधिक सुव्यवस्थित बनाया जा सकेगा। इससे वाहन चालकों को भी अपनी डिजिटल ट्रांजेक्शन आदतों में सुधार करने का अवसर मिलेगा।

टोल अब नहीं लगेंगी लंबी कतारें, GPS से टोल कलेक्शन

Toll collection through GPS : भारत में परिवहन व्यवस्था को और अधिक सुगम और आधुनिक बनाने के लिए सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (रेट और कलेक्शन का निर्धारण) नियम, 2008 में संशोधन किया है। इस संशोधन के तहत, अब टोल कलेक्शन के लिए सैटेलाइट आधारित सिस्टम को अपनाया जाएगा। पहले से प्रचलित FASTag और ऑटोमेटिक नंबर प्लेट पहचान (ANPR) जैसी तकनीकों के अतिरिक्त अब ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) के माध्यम से भी टोल संग्रह किया जाएगा।

GPS-आधारित टोल कलेक्शन प्रणाली भारतीय परिवहन क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली है। यह प्रणाली न केवल यात्रियों के समय और धन की बचत करेगी, बल्कि सरकारी टोल संग्रह प्रणाली को भी अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाएगी। यह नई तकनीक टोल प्लाजा की समस्या को पूरी तरह समाप्त कर सकती है और देशभर में स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन को बढ़ावा दे सकती है।

GPS-आधारित टोल कलेक्शन क्या है?

वर्तमान में, टोल बूथों पर टोल भुगतान मैन्युअल रूप से किया जाता है, जिससे लंबी कतारें लगती हैं और ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न होती है। हालाँकि, FASTag के उपयोग से इस समस्या को काफी हद तक हल किया गया है, लेकिन फिर भी इसे पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सका है।

GPS-आधारित टोल प्रणाली एक उन्नत तकनीक है जो टोल की गणना करने के लिए सैटेलाइट और इन-कार ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग करती है। इस प्रणाली के तहत, टोल भुगतान वाहन द्वारा तय की गई यात्रा की गई दूरी के आधार पर किया जाएगा। यह सिस्टम सैटेलाइट-आधारित ट्रैकिंग और GPS तकनीक का उपयोग करके यह निर्धारित करेगा कि वाहन ने राजमार्ग पर कितनी दूरी तय की है और उसी के अनुसार शुल्क लिया जाएगा।

इस नई प्रणाली के तहत, वाहनों में ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) या ट्रैकिंग डिवाइस लगाए जाएंगे, जो यात्रा की गई दूरी को मापकर सीधे टोल शुल्क काटने का कार्य करेंगे। यह व्यवस्था न केवल टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों को समाप्त करेगी, बल्कि टोल भुगतान को अधिक पारदर्शी, स्वचालित और निर्बाध भी बनाएगी।

FASTag से GPS टोल सिस्टम कैसे अलग है?

सैटेलाइट-आधारित टोल कलेक्शन कैसे काम करेगा?

  1. वाहन में OBU डिवाइस: इस प्रणाली के तहत प्रत्येक वाहन में ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) या ट्रैकिंग डिवाइस स्थापित किया जाएगा। यह डिवाइस वाहन की लोकेशन को सैटेलाइट से सिंक्रोनाइज़ करेगा और उसकी यात्रा की गई दूरी को ट्रैक करेगा।
  2. सटीक ट्रैकिंग और डेटा संग्रह: जब कोई वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रा करेगा, तो उसकी सटीक लोकेशन डेटा OBU के माध्यम से GNSS सिस्टम को भेजी जाएगी। यह प्रणाली वाहन द्वारा तय की गई दूरी को दर्ज करेगी और उसी के आधार पर टोल शुल्क की गणना करेगी।
  3. स्वचालित टोल भुगतान: यात्रा पूरी होने के बाद, निर्धारित शुल्क सीधे वाहन मालिक के बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट से काट लिया जाएगा। इससे टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत समाप्त हो जाएगी।
  4. डिजिटल रिकॉर्ड और पारदर्शिता: इस प्रणाली के तहत प्रत्येक वाहन की यात्रा का एक डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाएगा, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी और पारदर्शिता बढ़ेगी

GPS टोल प्रणाली के फायदे

✅ कोई टोल प्लाजा पर लंबी कतार नहीं – सैटेलाइट ट्रैकिंग के जरिए स्वचालित भुगतान होगा।
✅ यात्रा की गई दूरी के आधार पर शुल्क – जितनी दूरी तय करेंगे, उतना ही भुगतान करेंगे।
✅ तेजी से यात्रा और ईंधन की बचत – बिना रुके टोल कटने से समय और ईंधन दोनों की बचत होगी।
✅ भ्रष्टाचार में कमी – सभी लेनदेन डिजिटल होंगे, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
✅ पर्यावरण संरक्षण – कम ट्रैफिक जाम और बिना रुके यात्रा से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
✅ सरकारी राजस्व में वृद्धि – टोल चोरी की संभावना समाप्त होगी और सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होगा।

Author

  • लक्ष्मणसिंह राठौड़ अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया जगत में 2 दशक से ज़्यादा का अनुभव है। 2005 में Dainik Bhaskar से अपना कॅरियर शुरू किया। फिर Rajasthan Patrika, Patrika TV, Zee News में कौशल निखारा। वर्तमान में ETV Bharat के District Reporter है। साथ ही Jaivardhan News वेब पोर्टल में Chief Editor और Jaivardhan Multimedia CMD है। jaivardhanpatrika@gmail.com

    View all posts Chief Editor, Managing Director
Exit mobile version