राजस्थान में लम्बे समय के बाद 1 सितम्बर से स्कूल खुल गए है। लेकिन कोरोनो की तीसरी लहर की आशंका काे देखते हुए पहले दिन स्कूल काफी कम विद्यार्थी पहुंचे। अभिभावकों में कोरोना की तीसरी लहर का डर बना हुआ है कई अभिभावक बच्चों की वैक्सीन का इंतजार कर रहे है।
राजस्थान में लंबे इंतजार के बाद बुधवार से भले ही स्कूल खुल गए हों, लेकिन पहले दिन जयपुर में सिर्फ 25% छात्र ही स्कूल पहुंचे। राजस्थान में चार महीने 18 दिन बाद 9वीं से 12वीं तक के बच्चों के स्कूल खुले थे। कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका से डरे पेरेंट्स ने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा। कुछ अभी दो चार दिन माहौल देखने के लिए इंतजार कर रहे हैं। स्कूलों ने जितनी तैयारी बच्चों के आने को लेकर की थी। उसके अनुपात में जयपुर सहित अन्य शहरों में बच्चे नहीं आए।
स्कूल्स का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से बच्चे कम आए, क्योंकि ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन भी पढ़ाई चल रही है। उधर, सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या नहीं के बराबर ही रही। अब निजी और सरकारी स्कूलों का प्रबंधन बच्चों के अभिभावकों को समझाने में जुट गया है। वे किस तरह से बच्चों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए ऑनलाइन पढ़ाई कराएंगे।
नियमों का करना होगा पालन
स्टूडेंट्स के बीच में दो गज की दूरी रहेगी। एक ही टेबल पर अगर तीन स्टूडेंट्स के बैठने की व्यवस्था है, तो वहां बीच की सीट खाली रहेगी। लंच के लिए बच्चों को ओपन स्पेस उपलब्ध कराना होगा। बच्चे लंच एक साथ नहीं करेंगे और वाटर बॉटल भी घर से लेकर आएंगे। स्टूडेंट्स-टीचर को फेस मास्क का उपयोग जरूरी। प्रार्थना सभा नहीं होगी। खेलकूद गतिविधियों पर भी रोक रहेगी। विद्यार्थी को पेन, कॉपी, पेंसिल का आदान-प्रदान नहीं करना होगा। लंच बॉक्स किसी के साथ शेयर नहीं करना होगा। अन्य विद्यार्थियों से शारीरिक दूरी बनाए रखेंगे। निर्धारित की गई सीट पर ही बैठेंगे। विद्यालय परिसर में अनावश्यक नहीं घूमेंगे। पानी की बोतल, सैनिटाइजर साथ रखेंगे। जुकाम, खांसी, बुखार होने पर विद्यालय नहीं आएंगे। स्कूल में एंट्री और एग्जिट पर टीचर की ड्यूटी रहेगी, जो मास्क लगाने वाले स्टूडेंट को ही इंट्री देंगे। बस में स्टूडेंट को सीट आवंटित की जाएगी, तय सीट पर ही बैठाया जाएगा।जो स्टूडेंट स्कूल नहीं आ सकेंगे, उन्हें ऑनलाइन अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।