अहमदाबाद से जयपुर जा रही करीब 70 लोगों से भरी ट्रेवल्स बस में अचानक आग लगने के बाद हाहाकार मच गया। पिछले टायर से लगी आग ने देखते ही देखते पूरी बस को चपेट में ले लिया और चालक व खलासी बस को खड़ी कर भाग गए। लोग खिडक़ी तोडक़र व दरवाजे से बाहर निकले। आग बुझाने के लिए दमकल पहुंचने के बाद भी एक घंटे तक धमाकों के साथ बस सुलगती रही। फोरलेन पर धूं धूं कर जलती बस के चलते एक घंटे तक यातायात व्यवस्था भी बाधित रही।
अहमदाबाद से जयपुर जा रही ट्रेवल्स बस के राष्ट्रीय राजमार्ग आठ के फोरलेन पर केलवा के पास पहुंचने पर अचानक पिछले टायर में आग लग गई। पिछले टायर में आग लगने की भनक लगते ही चालक ने बस रोकी और नीचे उतरा तब तक पूरी बस ही भभक उठी। इस कारण बस में सवार लोगों में हडक़ंप मच गया और लोग बचाओ बचाओ चीखने व चिल्लाने लग गए। कुछ लोग खिडक़ी के कांच तोडक़र बाहर निकले, तो ज्यादातर लोग आगे मुख्य गेट से बाहर गए। एक बारगी चौतरफा लोगों की चीख, चिल्लाहट व रोने- बिलखने की आवाज गूंज उठी। फिर आस पड़ोस से बड़ी तादाद में लोग मौके पर पहुंचे, मगर तब तक आग काफी विकराल रूप ले चुकी थी। सूचना पर नगरपरिषद राजसमंद से दमकल मौके पर पहुंच गई और करीब साढ़े पांच बजे दमकलकर्मियों ने आग बुझाने के प्रयास शुरू कर दिए, मगर तब तक आग बेकाबू हो गई। इस कारण पटाखों के धमाकों की तरह आवाज के साथ ट्रेवल्स बस धूं धूं कर जलती रही। आगजनी की सूचना मिलते ही केलवा थाना प्रभारी शंभूसिंह शक्तावत मय जाब्ते के मौके पर पहुंच गए, जो आग नियंत्रित होने तक मौके पर ही रहे और यातायात व्यवस्था को भी डायवर्ट किया।
बस में रह गए मोबाइल, रुपए
अचानक ट्रेवल्स बस में आग लगने व अफरातफरी की वजह से लोग हड़बड़ाकर गए और जैसे तैसे बाहर निकल गए। इस कारण कई यात्रियों के मोबाइल, रुपए, पर्स, बैग सरीखे कई महत्त्वपूर्ण दस्तावेज भी आग की भेंट चढ़ गए। हालांकि यह राहत की बात रही कि आग लगने के बाद कोई जनहानि नहीं हुई।
ट्रेवल्स बस में भरा था भारी लगेज
अहमदाबाद से जयपुर जा रही ट्रेवल्स बस में भारी लगेज ऊपर व नीचे भरा हुआ था। लगेज के चलते बस काफी दबती हुई चल रही थी और इसी वजह से पिछले टायर में आग लगने की आशंका भी जताई जा रही है।
ट्रेवल्स बसों के संचालन पर अंकुश नहीं
राजसमंद जिले के साथ प्रदेश व देशभर में ट्रेवल्स बसों का संचालन निरंकुश तरीके से हा रहा है। इस कारण मनमाने ढ़ंग से बसों में सवारियों के साथ खुलेआम लगेज लादकर ले जा रहे हैं। फिर भी पुलिस, परिवहन व प्रशासनिक अधिकारी तक आंखें मूंदे हुए हैं। इससे तमाम पुलिस, प्रशासनिक अमले की भूमिका ही संदेह के दायरे में हैं और मिलीभगत को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।