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forex reserve of india : भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि: 630.61 अरब डॉलर के नए स्तर पर पहुंचा

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forex reserve of india : भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार दूसरे सप्ताह वृद्धि के साथ 630.61 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 31 जनवरी को समाप्त सप्ताह में यह भंडार 1.05 अरब डॉलर बढ़ा। इससे पहले, 24 जनवरी को समाप्त सप्ताह में यह 5.57 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 629.56 अरब डॉलर पर था। इस लेख में हम विदेशी मुद्रा भंडार की मौजूदा स्थिति, इसके घटकों और इसके प्रभाव पर चर्चा करेंगे।

Foreign Exchange Reserves : भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 31 जनवरी को समाप्त सप्ताह में 1.05 अरब डॉलर बढ़कर 630.61 अरब डॉलर हो गया है। लगातार दूसरे सप्ताह इस भंडार में वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे बाजार में स्थिरता और निवेशकों के विश्वास को बल मिलेगा। आरबीआई की नीतियों और वैश्विक आर्थिक परिवर्तनों के आधार पर यह देखना दिलचस्प होगा कि यह भंडार भविष्य में किस दिशा में आगे बढ़ता है।

Forex Reserves Growth : विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार दूसरी वृद्धि

Forex Reserves Growth : बीते कुछ महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का दौर देखने को मिला था। इस गिरावट का मुख्य कारण पुनर्मूल्यांकन के साथ-साथ रुपये की स्थिरता बनाए रखने के लिए आरबीआई द्वारा विदेशी मुद्रा बाजार में किए गए हस्तक्षेप को माना जा रहा था। हालांकि, अब लगातार दूसरे सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे बाजार में स्थिरता की उम्मीद जगी है।

भंडार के प्रमुख घटक : Indian Economy

विदेशी मुद्रा भंडार कई घटकों से मिलकर बनता है, जिनमें प्रमुख हैं:

1. विदेशी मुद्रा आस्तियां (Foreign Currency Assets – FCA)

31 जनवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 20.7 करोड़ डॉलर घटकर 537.68 अरब डॉलर रह गईं। FCA में यूरो, पाउंड, येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का प्रभाव शामिल होता है। चूंकि यह भंडार डॉलर में मूल्यांकित किया जाता है, इसलिए अन्य मुद्राओं के मूल्य में होने वाले उतार-चढ़ाव का इस पर असर पड़ता है।

2. स्वर्ण भंडार (Gold Reserves)

समीक्षाधीन सप्ताह में भारत के स्वर्ण भंडार का मूल्य 1.24 अरब डॉलर बढ़कर 70.89 अरब डॉलर हो गया। स्वर्ण भंडार में वृद्धि से देश की आर्थिक स्थिरता को बल मिलता है, क्योंकि यह वैश्विक अस्थिरता के दौरान एक सुरक्षित संपत्ति मानी जाती है।

3. विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDR)

विशेष आहरण अधिकार (SDR) 2.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 17.89 अरब डॉलर पर पहुंच गया। SDR एक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा भंडार संपत्ति है, जिसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा बनाया गया है और यह वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

4. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास भारत का आरक्षित भंडार : Foreign Direct Investment

IMF के पास भारत का आरक्षित भंडार 1.4 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 4.14 अरब डॉलर रह गया। IMF में आरक्षित भंडार का उपयोग देश की अंतरराष्ट्रीय लेन-देन की क्षमता को बनाए रखने के लिए किया जाता है।

Economic Stability : विदेशी मुद्रा भंडार क्यों महत्वपूर्ण है?

Economic Stability : विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की आर्थिक स्थिति और उसकी वैश्विक वित्तीय स्थिरता को दर्शाता है। यह विभिन्न कारणों से महत्वपूर्ण है:

Financial Markets : भविष्य की संभावनाएं

Financial Markets : हालांकि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अभी भी मजबूत स्थिति में है, लेकिन वैश्विक बाजारों की अस्थिरता, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियां इसके आगे के रुझानों को प्रभावित कर सकती हैं। आरबीआई का मुख्य उद्देश्य रुपये की स्थिरता को बनाए रखना और विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत बनाए रखना है।

भारतीय बाजार पर प्रभाव

विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का भारतीय बाजार पर सीधा और परोक्ष रूप से प्रभाव पड़ता है। इस वृद्धि से भारतीय अर्थव्यवस्था को विभिन्न लाभ मिल सकते हैं:

1. रुपया होगा मजबूत

विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से रुपये की स्थिरता बनी रहती है। जब आरबीआई के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा होती है, तो वह मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है और रुपये को डॉलर के मुकाबले स्थिर रख सकता है। इससे आयात महंगा नहीं होगा और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण बना रहेगा।

2. विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा

विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने से वैश्विक निवेशकों का भारत की अर्थव्यवस्था में विश्वास बढ़ता है। इससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में वृद्धि हो सकती है, जिससे शेयर बाजार में स्थिरता आएगी।

3. आयात निर्भरता पर सकारात्मक प्रभाव

भारत ऊर्जा और तकनीकी उपकरणों के लिए आयात पर निर्भर है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार होने से कच्चे तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य आवश्यक वस्तुओं के आयात में कोई समस्या नहीं आएगी, जिससे घरेलू बाजार में स्थिरता बनी रहेगी।

4. महंगाई पर नियंत्रण

मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार का मतलब है कि आरबीआई जरूरत पड़ने पर मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है और रुपये को स्थिर रख सकता है। इससे आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि नहीं होगी और महंगाई पर नियंत्रण रहेगा।

5. ऋण अदायगी और बाहरी कर्ज पर प्रभाव

भारत का बाहरी ऋण विदेशी मुद्रा में होता है। पर्याप्त भंडार होने से सरकार और कंपनियों को अपने विदेशी ऋण की अदायगी में आसानी होगी, जिससे आर्थिक स्थिरता बनी रहेगी।


भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में किस देश की कितनी मुद्रा

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) देश की आर्थिक स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय लेनदेन की क्षमता का महत्वपूर्ण सूचक है। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक विभिन्न मुद्राओं के सटीक वितरण का विवरण सार्वजनिक नहीं करता है, लेकिन वैश्विक प्रथाओं और भारत के व्यापारिक संबंधों के आधार पर, उपरोक्त अनुमान लगाए जा सकते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये आंकड़े अनुमानित हैं और वास्तविक वितरण भिन्न हो सकता है। विदेशी मुद्रा भंडार का यह विविधीकरण भारत को वैश्विक आर्थिक अस्थिरताओं से बचाने में मदद करता है और देश की आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह भंडार मुख्यतः चार घटकों से मिलकर बनता है-

  1. विदेशी मुद्रा आस्तियां (Foreign Currency Assets – FCA): ये आस्तियां विभिन्न विदेशी मुद्राओं में निवेशित होती हैं, जिनमें अमेरिकी डॉलर, यूरो, पाउंड स्टर्लिंग, जापानी येन आदि शामिल हैं।
  2. स्वर्ण भंडार (Gold Reserves): देश के पास मौजूद सोने का भंडार।
  3. विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDR): अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा निर्मित एक अंतरराष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति।
  4. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में आरक्षित स्थिति (Reserve Position in IMF): IMF में देश की आरक्षित निधि।

हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) विदेशी मुद्रा भंडार के कुल आंकड़े प्रकाशित करता है, लेकिन विभिन्न मुद्राओं के सटीक वितरण का विवरण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। फिर भी, कुछ अनुमानों और वैश्विक प्रथाओं के आधार पर, हम विभिन्न मुद्राओं के संभावित वितरण का अनुमान लगा सकते हैं।

अमेरिकी डॉलर (USD):

अमेरिकी डॉलर वैश्विक व्यापार और वित्त का प्रमुख मुद्रा है। अंतरराष्ट्रीय लेनदेन का अधिकांश हिस्सा डॉलर में होता है, और अधिकांश देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का प्रमुख हिस्सा होता है। अनुमानित रूप से, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 60-65% हिस्सा अमेरिकी डॉलर में हो सकता है।

यूरो (EUR):

यूरो दुनिया की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण आरक्षित मुद्रा है। यूरोपीय संघ भारत का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, जिससे यूरो का भंडार में महत्वपूर्ण स्थान होता है। अनुमानतः, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का 20-25% हिस्सा यूरो में हो सकता है।

जापानी येन (JPY):

जापान एशिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और भारत के साथ उसके मजबूत व्यापारिक संबंध हैं। इसलिए, येन का भी भंडार में स्थान होता है। अनुमानित रूप से, भंडार का 5-7% हिस्सा जापानी येन में हो सकता है।

पाउंड स्टर्लिंग (GBP):

ब्रिटिश पाउंड भी एक महत्वपूर्ण आरक्षित मुद्रा है। हालांकि इसका हिस्सा अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में कम हो सकता है, फिर भी यह भंडार का 3-5% हिस्सा हो सकता है।

अन्य मुद्राएं:

इसके अलावा, अन्य मुद्राओं जैसे स्विस फ्रैंक, कनाडाई डॉलर, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर आदि का भी भंडार में एक छोटा हिस्सा हो सकता है, जो कुल भंडार का 2-3% हो सकता है।

Author

  • लक्ष्मणसिंह राठौड़ अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया जगत में 2 दशक से ज़्यादा का अनुभव है। 2005 में Dainik Bhaskar से अपना कॅरियर शुरू किया। फिर Rajasthan Patrika, Patrika TV, Zee News में कौशल निखारा। वर्तमान में ETV Bharat के District Reporter है। साथ ही Jaivardhan News वेब पोर्टल में Chief Editor और Jaivardhan Multimedia CMD है। jaivardhanpatrika@gmail.com

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