उज्जैन के ओमप्रकाश गुप्ता। 15 साल की उम्र से ही गणेश भक्ति में ऐसे डूबे कि अपने मकान का ही सिद्धि विनायक रख दिया। किशोर आयु की भक्ति 75 साल में भी जारी है। उन्होंने अपने घर को गणेश म्यूजियम बना दिया है। इसमें 5 हजार से ज्यादा गणेशजी की मूर्तियां हैं, जो देशभर के विभिन्न शहरों से लाई गईं हैं। यहां विघ्नहर्ता की हर धातु से बनी, हर प्रकार की मूर्ति मिलेगी। इन मूर्तियों को ओमप्रकाश गुप्ता ने 60 साल में खरीदा है। ओमप्रकाश के घर में बने गणेश म्यूजियम को देखने अन्य शहरों के लोग भी आते हैं।
पीतल से लेकर रेडियम तक की मूर्ति
ओमप्रकाश गुप्ता के घर में रखीं मूर्तियां पीतल, स्फटिक, चांदी सहित मिटटी, लकड़ी और रेडियम से बनी हैं। इनके आकार भी अलग-अलग हैं। यहां दक्षिण से लाए लकड़ी के गणेश, पीतल के गणेश, काले गणेश, बैठे गणेश, खड़े गणेश हैं।
घर बना भगवान गणेश का म्यूजियम।
ओमप्रकश गुप्ता बताते हैं कि जिस उम्र में बच्चे खिलौने से खेलते हैं, मैंने उस उम्र से अपने पिता से गणेश प्रतिमा मांग कर सहेज रहा हूं। भगवान गणेश की मूर्तियां लाने का दौर आज भी जारी है। देश भर के अलग-अलग शहरों और चार धाम की यात्रा, नेपाल, इंदौर, ओंकारेश्वर, सागर, टीकमगढ़ समेत कई शहरों से मूर्तियां लाकर अपने घर में रखी हैं। उन्होंने बताया कि मैंने घर में मौजूद 14×18 साइज के कमरे को गणेश म्यूजिम में बदल दिया है।
75 वर्षीय गुप्ता ने हर प्रतिमा को विशेष स्थान दिया है।
ओमप्रकाश गुप्ता ने बताते हैं कि जब मैंने घर बनाया तो घर का नाम भी सिद्धि विनायक रखा। घर में 5 हजार गणेश मूर्तियां होने के बावजूद हर महीने तीन से चार गणेश मूर्तियां खरीदकर लाता हूं। साथ ही हर साल चतुर्थी के मौके पर दो गणेश प्रतिमा लाता हूं ताकि एक को विसर्जित किया जा सके और दूसरा घर में ही रह जाए।
यहां चांदी, तांबा, पीतल, मिट्टी से बनी प्रतिमाएं नेपाल सहित देश के चारों कोने से लाई गई हैं।
गुप्ता की आस्था और मूर्तियों के शौक के आगे उनके परिवार ने हमेशा समर्थन ही दिया। परिवार के सदस्य भी अब उन्हें मूर्तियां लाकर देते हैं। ओमप्रकाश गुप्ता ने अपने मोबाइल में भगवान गणेश के 1600 से ज्यादा तस्वीरें भी सहेजी हैं।