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लता जी ने रविवार सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर अंतिम सांस ली और शाम 7 बजकर 16 मिनट पर उन्हें मुखाग्नि दी गई। कोरोना और निमोनिया से 29 दिन लड़ीं, लेकिन कितना लड़तीं… उमर भी तो 92 साल हो चली थी। अंतिम संस्कार मुंबई के शिवाजी पार्क में किया गया। तब तक देश वहीं मौजूद रहा, खड़ा रहा। मुखाग्नि भतीजे आदित्य ने दी, साथ में भाई हृदयनाथ मंगेशकर झुके सिर और नम आंखों से हर वो काम करते रहे, जो आदित्य कर रहे थे। बगल में सबकुछ देखतीं लता ताई की बहनें उषा, आशा और मीना भी मौजूद थीं। बैठी सी।

लता जी की कोरोना रिपोर्ट 8 जनवरी को पॉजिटिव आई थी। इसके बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि इसके दो दिन बाद यानी 10 जनवरी को इस बारे में सबको पता चला। करीब पांच दिन पहले उनकी सेहत में सुधार होने लगा था। ऑक्सीजन निकाल दी गई थी, पर ICU में ही रखा गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लता दीदी को प्रणाम किया
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े लोग आए और करीब से श्रद्धांजलि देते गए। बाकी लाखों-करोड़ों लोग दूर से, घरों से, अपने-अपने शहरों से और जिसे जहां जगह मिली, वहां से सब देखते रहे। अपने तरीके से अंतिम प्रणाम करते गए। हर मोबाइल, रेडियो, घर, दुकान, कार, सब जगह लता ही थीं। बोलतीं लता। उनके तमाम गाने गुनगुनाते और दोहराए जाते रहे।

दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित
लता जी के निधन पर 2 दिन का राष्ट्रीय शोक रहेगा यानी देशभर में झंडा आधा झुका रहेगा और किसी भी तरह के जश्न का कार्यक्रम नहीं होगा। महाराष्ट्र सरकार ने लताजी के सम्मान में सोमवार की सार्वजनिक छुट्‌टी और तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को आधे दिन की छुट्टी घोषित कर दी है।

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अंतिम यात्रा में शामिल हुए हजारों लोग
इससे पहले, सेना के जवान लता जी के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर घर से बाहर लाए। इसके बाद आर्मी, नेवी, एयरफोर्स और महाराष्ट्र पुलिस के जवानों ने उनकी अर्थी को कंधा दिया। उनका पार्थिव शरीर फूलों से सजे सेना के ट्रक में रखकर शिवाजी पार्क ले जाया गया। मुंबई के हजारों लोग लता ताई को अंतिम विदाई देने सड़कों पर उतर आए। लता जी की पार्थिव देह दोपहर 1.10 बजे ब्रीच कैंडी अस्पताल से उनके घर पहुंची थी।

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संगीत की दुनिया के 8 सुरमयी दशक
92 साल की लता जी ने 36 भाषाओं में 50 हजार गाने गाए, जो किसी के लिए एक रिकॉर्ड है। करीब 1000 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने अपनी आवाज दी। 1960 से 2000 तक दौर था, जब लता की आवाज के बिना फिल्में अधूरी मानी जाती थीं। 2000 के बाद से उन्होंने फिल्मों में गाना कम कर दिया था। आखिरी गाना 2015 में आई फिल्म डुन्नो वाय में था।

80 साल तक संगीत की दुनिया में सक्रिय लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। 13 साल की छोटी उम्र में 1942 से उन्होंने गाना शुरू कर दिया था। लता जी के पिता पं. दीनानाथ मंगेशकर संगीत की दुनिया और मराठी रंगमंच के बड़े नाम थे। उन्होंने ही लताजी को संगीत की शिक्षा दी थी। पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता जी की तीन बहनें आशा भोसले, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं।

2001 में मिला था भारत रत्न
लता मंगेशकर को 2001 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। इससे पहले पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के सम्मान समेत कई सम्मान मिल चुके थे। कम लोग जानते हैं कि लताजी संगीतकार भी थीं और उनका अपना फिल्म प्रोडक्शन भी था, जिसके बैनर तले बनी फिल्म “लेकिन” थी। इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट गायिका का नेशनल अवॉर्ड मिला था। 61 साल की उम्र में गाने के लिए नेशनल अवॉर्ड पाने वाली वे एकमात्र गायिका हैं। फिल्म “लेकिन” को 5 और नेशनल अवॉर्ड मिले थे।

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  • Laxman Singh Rathor in jaivardhan News

    लक्ष्मणसिंह राठौड़ अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया जगत में 2 दशक से ज़्यादा का अनुभव है। 2005 में Dainik Bhaskar से अपना कॅरियर शुरू किया। फिर Rajasthan Patrika, Patrika TV, Zee News में कौशल निखारा। वर्तमान में ETV Bharat के District Reporter है। साथ ही Jaivardhan News वेब पोर्टल में Chief Editor और Jaivardhan Multimedia CMD है। jaivardhanpatrika@gmail.com

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By Laxman Singh Rathor

लक्ष्मणसिंह राठौड़ अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया जगत में 2 दशक से ज़्यादा का अनुभव है। 2005 में Dainik Bhaskar से अपना कॅरियर शुरू किया। फिर Rajasthan Patrika, Patrika TV, Zee News में कौशल निखारा। वर्तमान में ETV Bharat के District Reporter है। साथ ही Jaivardhan News वेब पोर्टल में Chief Editor और Jaivardhan Multimedia CMD है। jaivardhanpatrika@gmail.com