Hathras accident 01 https://jaivardhannews.com/hathras-accident-hathras-satsang-accident-news/

Hathras Accident : उत्तर प्रदेश के हाथरस में नारायण साकार हरि भोले बाबा के सत्संग के दौरान मंगलवार यानि 2 जुलाई को भगदड़ मचने से 122 लोगों की मौत हो गई। इनमें ज्यादातर महिला व बच्चे हैं। हादसा हाथरस से 47 किमी दूर फुलरई गांव में हुआ। FIR के मुताबिक, प्रशासन ने सत्संग के लिए 80 हजार लोगों की अनुमति दी, लेकिन ढाई लाख लोग शामिल हुए। प्रशासन की रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया यह सामने आया कि सत्संग के बाद भोले बाबा के चरणों की धूल लेने की होड़ में लोग आगे बढ़े, मगर सेवादारों से धक्कामुक्की होने से भगदड़ मच गई। भीड़ नीचे बैठे व झुके श्रद्धालुओं को कुचलती हुई निकल गई। हादसे के बाद घायलों को टेम्पो, ट्रक, बस, कार से हाथरस के अस्पताल पहुंचाया गया। परिजन बोले कि जब घायल अस्पताल पहुंचे, तब वहां सिर्फ एक डॉक्टर था। समय पर घायलों को इलाज ही नहीं मिल पाया। अस्पताल के बाहर और बरामदे में घायलों की सांसें टूटती गईं। लाशें बिखरती गईं। प्रशासन ने अब तक 122 मौत की पुष्टि की है। 4 जिलों हाथरस, अलीगढ़, एटा और आगरा में रातभर शवों का पोस्टमॉर्टम हुआ। परिजन अपनों की लाश को लेकर इधर उधर भटकते दिखाई दिए। बुधवार सुबह साढ़े 11 बजे सीएम योगी आदित्यनाथ भी हाथरस पहुंच गए, जिन्होंने जिला अस्पताल में घायलों से मुलाकात की। साथ ही इस घटना की जांच के लिए SIT का गठन कर दिया है।

Hathras Satsang Accident News : घटना के बाद हाथरस पहुंचे सीएम योगी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि यह हादसा साजिश जैसा है। लोग मरते गए। सेवादार वहां से भाग गए। उन्होंने न तो प्रशासन को सूचना दी और न ही मदद की। प्रशासन की टीम जब पहुंची तो सेवादारों ने उन्हें आगे जाने नहीं दिया। हमने भी कुंभ जैसे बड़े आयोजन किए, लेकिन ऐसी चीजें नहीं हुईं। सीएम ने कहा- जांच के लिए SIT का गठन किया है। हाईकोर्ट के रिटायर जज, पुलिस के सीनियर रिटायर ऑफिसर की टीम भी मामले की जांच करेगी, जो भी दोषी होगा, उसको सजा देंगे। दूसरी तरफ प्रयागराज के वकील गौरव द्विवेदी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में ‌PIL दायर करके हादसे की CBI जांच की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट में वकील विशाल तिवारी ने एक पीआईएल दाखिल की। इसमें रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में 5 विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर जांच की मांग की गई है। इसके अलावा हादसे के बाद रात को मुख्य सचिव मनोज कुमार और डीजीपी प्रशांत कुमार ने घटनास्थल का जायजा लिया। मुख्य सचिव का कहना था कि आयोजकों ने 80 हजार लोगों के आने की बात कही थी, लेकिन भीड़ इससे कहीं ज्यादा थी। जांच में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इस घटना के बाद चौतरफा चीख, चित्कार, करूण रुदन ही वातावरण में दिखाई दे रहा था और इस खौफनाक मंजर को देख हर किसी की आंखे नम हो रही है।

Hathras accident 02 https://jaivardhannews.com/hathras-accident-hathras-satsang-accident-news/

satsang hathras baba : प्रत्यक्षदर्शियों ने सुनाई घटना की दर्दनाक कहानी

satsang hathras baba : सत्संग में भगदड़ को लेकर चार लोगों ने आंखों देखी घटना की कहानी सुनाई, तो हर किसी के मन से आह निकल गया। चारों प्रत्यक्षदर्शी बोले कि हम बदायूं के बिल्सी इलाके के निवासी है। मां को खोने वाले वीरेश ने कहा वह भाभी और मम्मी के साथ आज सत्संग में आया था। सत्संग खत्म होते ही अचानक भगदड़ मच गई। जब तक मैं मम्मी को लेकर निकल पाता, लोग उन्हें कुचलते हुए निकल गए। मैं भी गिरा, लेकिन किसी तरह उठकर बाहर भागा, तब जाकर जान बच सकी। भगदड़ के बाद पहुंचा तो देखा कि मेरी मम्मी की सांसें थम गई थीं। मेरी भाभी घायल हैं। उनका इलाज चल रहा है। मेरी आंखों के सामने लोगों ने मेरी मां को कुचल डाला। मैं चीखता-चिल्लाता रहा, लेकिन उस भगदड़ में कोई किसी की सुन नहीं रहा था। हर कोई खुद की और अपनों की जान बचाने की मशक्कत में लगा रहा। इसी तरह सिकंदराराऊ सीएचसी के बाहर एक महिला अपनी बेटी की लाश से लिपटकर रो रही थी। उसने बताया- मेरी बेटी रोशनी की जान चली गई। बड़ी देर बाद उसे भीड़ में ढूंढ पाए। जब उठाया तो सांसें चल रही थीं। अस्पताल लेकर आए तो उसने दम तोड़ दिया। मेरी बेटी को सैकड़ों लोग रौंदते हुए निकल गए। हम परिवार के साथ सत्संग में आए थे। किसी का कुछ पता नहीं चल रहा है। दो लोगों के शव मेरे सामने हैं। मेरे बेटे, बहू और पोते अभी तक नहीं मिले। जलेसर से आई एक महिला ने बताया कि मैं अपने पति और बेटी खुशबू के साथ सत्संग सुनने आई थी। सत्संग खत्म होने के बाद हम लोग जैसे ही निकलने लगे, लोग अचानक बाहर भागने लगे। फिर भगदड़ मच गई। मैं और मेरे पति अपनी बेटी को लेकर भागे, लेकिन लोग मेरी बेटी को रौंदते निकल गए। बेटी की जान चली गई और पति घायल हैं। हाथरस की रहने वाली सीता ने बताया कि आज हम अपनी बहन मंजू राने और उसके 5 साल के बेटे पीके के साथ सत्संग सुनने आए थे। हादसे में मेरी बहन और उसके बेटे की मौत हो गई। मैं खेतों की तरफ भागी, तब जाकर बच सकी। हजारों की भीड़ में लोग एक-दूसरे को रौंदते रहे। कोई किसी को देखने वाला नहीं था। हाथरस के छोटनीपुर में रहने वाले स्वामी ने बताया कि मेरी मां की मौत हो गई है। मां मुन्नी देवी आज ही सत्संग सुनने के लिए यहां आई थी। बुजुर्ग थी, मुझे बोलकर आई थी कि बेटा सत्संग में जा रही हूं। भगदड़ की सूचना मिली तो यहां पहुंचा। देखा तो मेरी मां मरी पड़ी थी।

बाबा बोला- मैं निकल गया था : अराजक तत्वों ने भगदड़ कराई

हाथरस में भगदड़ के 24 घंटे बाद भोले बाबा का पहला बयान आया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह के जरिए लिखित बयान जारी किया, जिसमें लिखा कि मेरे निकलने के बाद हादसा हुआ। असामाजिक तत्वों ने भगदड़ मचाई है। भगदड़ से काफी पहले मैं निकल चुका था। घायलों के स्वस्थ होने की कामना करता हूं।

22 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर

मंगलवार देर रात हादसे को लेकर 22 लोगों के खिलाफ सिकंदराराऊ थाने के दरोगा ने FIR दर्ज कराई। इसमें मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर का नाम है। बाकी सब अज्ञात हैं। चौंकाने वाली बात है कि इसमें मुख्य आरोपी भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार का नाम ही नहीं है। हादसे के बाद से बाबा अंडरग्राउंड हो गया। पुलिस रातभर उसकी तलाश में छापेमारी करती रही। मैनपुरी में बाबा के आश्रम में पहुंची, लेकिन वह नहीं मिला। मैनपुरी में आश्रम के बाहर पुलिस तैनात है।

80 हजार की थी अनुमति, श्रद्धालु शामिल हुए ढाई लाख

hathras satsang accident : FIR के मुताबिक प्रशासन ने सत्संग के लिए 80 हजार लोगों की अनुमति दी थी, लेकिन सत्संग में ढाई लाख लोग शामिल हुए। इस तरह आयोजकों द्वारा सत्संग के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं करना सामने आया। भगदड़ हुई तो सेवादार गेट पर खड़े हो गए। उन्होंने लोगों को रोक दिया। इसके बाद भीड़ खेतों में तरफ भीड़ मुड़ गई और नीचे बैठे और झुके श्रद्धालुओं को कुचलती हुई निकल गई। प्रशासन और सेवादार खड़े होकर देखते रहे। बुधवार सुबह प्रशासन की पहली रिपोर्ट आई। इसमें बताया गया- भोले बाबा के चरणों की धूल लेने के चक्कर में हादसा हुआ। हाथरस के जिलाधिकारी आशीष कुमार ने कहा- सत्संग का आयोजन बाबा की आयोजन समिति कर रही थी। इसलिए आयोजन की व्यवस्था भी उसको ही करनी थी। जिला प्रशासन की जिम्मेदारी सत्संग स्थल से बाहर कानून-व्यवस्था बनाए रखने की थी।

Hathras accident 03 https://jaivardhannews.com/hathras-accident-hathras-satsang-accident-news/

कौन है भोले बाबा

भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है। वह एटा का रहने वाला है। करीब 25 साल से सत्संग कर रहा है। पश्चिमी UP के अलावा राजस्थान, हरियाणा में भी अनुयायी हैं। कुंभ जैसे बड़े-बड़े कार्यक्रम हमने किए हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है। इस घटना के तह तक जाने की जरूरत है। हम इसकी इन्वेस्टिगेशन कर रहे हैं। मामले में FIR हुई है। केंद्र और राज्य ने आर्थिक सहायता की घोषणा की है। जो लोग हादसे के शिकार हुए हैं।

हादसे में लोग मरते गए, सेवादार भाग गए

सीएम योगी ने कहा कि प्रशासन प्रथम दृष्ट्या मानकर चलता है कि धार्मिक आयोजन में सेवादार अंदर की जिम्मेदारी निभाएंगे। सावधानी के लिए प्रशासन अपनी फोर्स तैनात करता है। अंदर व्यवस्था का संचालन और देखरेख सेवादार करते हैं। जहां धार्मिक भावनाओं से लोग आते हैं, तब भीड़ अनुशासित रहती है। लेकिन जब यही कार्यक्रम निहित स्वार्थी तत्वों के हाथों का खिलौना बन जाता है, तब अनुशासनहीनता का कारण बनता है। इसका शिकार वो निर्दोष व्यक्ति होता है, जो धार्मिक श्रद्धा के साथ वहां आता है। योगी ने कहा-हादसे के बाद साजिश करने वाले चुपचाप खिसक लेते हैं। होना यह चाहिए था कि अगर हादसा था तो सेवादारों को लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए थी। हादसे में लोग मरते गए। सेवादार वहां से भाग गए। लेकिन उन्होंने न तो प्रशासन को सूचना दी और न ही मदद की। हम भी बड़े आयोजन करते रहे हैं, लेकिन ऐसी चीजें नहीं आईं।

Hathras Satsang Hadsa : 140 बीघा खेत में सत्संग, 15 दिन की तैयारी

Hathras Satsang Hadsa : हाथरस में सिकंदराराऊ एरिया से गुजरने वाले नेशनल हाईवे से सटा हुआ फुलरई मुगलगढ़ी गांव है। मंगलवार को यहां नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का सत्संग था। कार्यक्रम का नाम- मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम था। कार्यक्रम के लिए 15 दिन पहले से तैयारी की जा रही थी। 78 आयोजक बाबा के फॉलोअर्स को जुटाने के लिए प्रचार में लगे थे। 140 बीघा खेत में आयोजन के लिए टेंट लगाया। लोगों का कहना था कि रविवार से अनुयायियों का आना शुरू हो गया था। हाथरस के अलावा यूपी, मध्यप्रदेश और राजस्थान से अनुयायी पहुंचे थे। बाबा के कार्यक्रम के लिए करीब 200 गाड़ियों से लोग आए थे। इनमें बस-कार, ट्रैक्टर, मैजिक और ऑटो आदि शामिल है। इन वाहनों के पार्किंग तक की व्यवस्था नहीं थी। खेतों में जहां-तहां गाड़ियां खड़ी थीं। कहीं भी पुलिस वाले नहीं दिखाई दिए। सोमवार को जाम भी लगा, तो पुलिस ने जाम हटवाया था। इतनी भीड़ थी कि जाम बार-बार लग रहा था। LIU (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) ने जिला प्रशासन को अलर्ट भी किया। लोकल इंटेलिजेंस ने आशंका जताई थी कि यहां अनुमानित से अधिक भीड़ आ सकती है। लेकिन प्रशासन ने इस रिपोर्ट को अनदेखा कर दिया।

मौके पर बाबा की फोर्स ने संभाली थी कमान

घटनास्थल पर पड़ताल में पता चला- सत्संग में बाबा की प्राइवेट फोर्स ने ही पूरी व्यवस्था को संभाला हुआ था। ट्रैफिक से लेकर पांडाल तक बाबा के सेवादार तैनात थे। मौके पर पुलिस कर्मियों ने बताया कि बाबा की टीम ने प्रशासन का सहयोग नहीं किया। पुलिस जीप को भी उन्होंने आयोजन स्थल पर बड़ी मुश्किल से आने दिया। इतना ही नहीं ट्रैफिक को भी वो खुद ही मैनेज कर रहे थे।

उखाड़ दिए टेंट, सबूत छिपाने की कोशिश

थाने में दर्ज FIR के अनुसार हादसे के बाद आयोजकों और सेवादारों ने साक्ष्य छिपाने की कोशिश की। मृतक और घायलों के सामान और जूते-चप्पलों को खेतों में दबा दिया। वहीं, घटना के बाद टेंट को खोलना शुरू कर दिया। रात तक आधे से ज्यादा टेंट को समेट दिया गया।

Hathras accident 04 https://jaivardhannews.com/hathras-accident-hathras-satsang-accident-news/

वाहनों में लाद कर अस्पताल पहुंचाए घायल व शव

हादसे के बाद जो भी वाहन मिल गया, उसमें घायल व शवों को अस्पताल पहुंचाया गया। बाबा की फोर्स ने शवों और घायलों को गाड़ियों में लादकर अस्पताल भेजा। यही वजह रही कि हादसे की पहली तस्वीर फुलरई गांव से नहीं, सिकंदराराऊ CHC से आई। जब तक पुलिस या मीडिया घटनास्थल पर पहुंची, बाबा की प्राइवेट फोर्स ने लोगों को वहां से हटा दिया। मृतकों और घायलों के परिजनों ने बताया- हादसे के बाद कोई पुलिस वाला नहीं आया। हम खुद ही अपनी गाड़ियों से अस्पताल पहुंचे। हमें यह भी नहीं पता कि जो कोई गाड़ी में बैठा रहा था, वो कौन था। अस्पताल पहुंचे, तब गाड़ी से हमें उतारने के लिए भी कोई नहीं आया। काफी देर तक तो हम मिन्नतें करते रहे कि हमें गाड़ी से उतारो।

इन अधिकारियों की भूमिका पर उठ र हे सवाल

  • आशीष कुमार, जिलाधिकारी : केवल परमिशन देकर खानापूर्ति कर दी। इतने बड़े आयोजन की मॉनिटरिंग नहीं की गई। सत्संग में आए लोगों की भीड़ का आकलन नहीं किया। न ही किसी अधिकारी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी। 140 बीघे में, ढाई लाख लोग। आने-जाने के लिए एक ही गेट। पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं। आयोजन समिति की व्यवस्था की जांच नहीं की गई। लोकल इंटेलिजेंस से भीड़ बढ़ने का इनपुट मिला था। हादसा हो सकता है, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
  • रविंद्र कुमार, उपजिलाधिकारी : सत्संग स्थल के बाहर मौजूद थे। लेकिन बढ़ती भीड़ का अंदाजा नहीं लगा पाए। मौके से ही जिलाधिकारी को रिपोर्ट देनी चाहिए थी। ढाई लाख लोगों के लिए 1 ही गेट था। भीड़ को देखते हुए कुछ वैकल्पिक रास्ते भी बनाने चाहिए थे। मौके पर मौजूद रहने के बावजूद लोकल इंटेलिजेंस के इनपुट को गंभीरता से नहीं लिया। घटना के समय बाहर मौजूद थे, लेकिन समय पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू नहीं करा पाए। लोग भटकते रहे। ये आज सुबह की सत्संग स्थल की तस्वीर है। ज्यादातर टेंट उखाड़ लिए गए हैं। ये आज सुबह की सत्संग स्थल की तस्वीर है। ज्यादातर टेंट उखाड़ लिए गए हैं।
  • निपुण अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक : 80 हजार की भीड़ के लिए केवल एक थाने की पुलिस को तैनात किया गया। लोकल इंटेलिजेंस से भीड़ बढ़ने का इनपुट मिला, इसके बावजूद फोर्स की संख्या नहीं बढ़ाई गई। इतने बड़े आयोजन की लाइव मॉनिटरिंग नहीं की गई। खुद मौके पर जाकर सुरक्षा व्यवस्था को नहीं जांचा गया। बाबा के सेवादार पुलिस को अंदर घुसने नहीं दे रहे थे, क्या पुलिस इतनी बेबस थी। इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा पर FIR क्यों नहीं हुई?
  • डॉ. आनंद कुमार, सीओ : इतने बड़े आयोजन में सिर्फ एक थाने की फोर्स के साथ खड़े रहे। अधिकारियों से फोर्स बढ़ाने की बात नहीं की। हादसे की सूचना लेट मिली। घटना के काफी समय तक पता ही नहीं चल पाया कि हुआ क्या है। भीड़ बढ़ने की सूचना अधिकारियों को देकर आयोजन समिति पर तत्काल एक्शन लेना चाहिए था। शवों को लोडर पर लादकर अस्पताल पहुंचाया गया। शवों को लोडर पर लादकर अस्पताल पहुंचाया गया।
  • डॉ मंजीत सिंह, सीएमओ : आयोजन स्थल के बाहर कोई एम्बुलेंस तैनात नहीं दिखी। जिसकी वजह से रिक्शा-टैंपो में भरकर शवों को अस्पताल पहुंचाया गया। घटनास्थल पर स्वास्थ्य विभाग की टीम समय पर नहीं भेजी गई। सिकंदराराऊ CHC पर तत्काल डॉक्टरों की संख्या नहीं बढ़ाई गई। घटना के बाद जब लोग सिकंदराराऊ CHC पहुंचे, तो वहां लाइट नहीं थी। जनरेटर की व्यवस्था न होने से समय पर इलाज शुरू नहीं हो सका।
  • आयोजन समिति : 80 हजार लोगों को आने-जाने के लिए अलग-अलग तरफ 2-2 गेट बनाने चाहिए थे, जिससे भगदड़ न मचे। भीड़ बढ़ने का इनपुट जिला प्रशासन को देना चाहिए था, जिससे समय रहते सुरक्षा का इंतजाम किया जा सके। बाबा जब सत्संग करके निकला, उसी समय भीड़ को देखते हुए तत्काल सुरक्षा बढ़ा देनी चाहिए थी। घटना के समय लोगों को शांत कराना चाहिए था। पानी की बौछार करने से एकदम से भगदड़ मच गई और 122 लोगों की मौत हो गई।