भारतीय नववर्ष समाजोत्सव समिति व नगर निगम के साझे में नव संवत्सर के उपलक्ष्य में उदयपुर के गांधी ग्राउंड में हुए कार्यक्रम में धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर मुकदमा दर्ज होने पर हिंदु संगठनों ने उग्र प्रदर्शन करते हुए धीरेंद्र शास्त्री पर लगे मुकदमे को वापस लेने की मांग की। उदयपुर में कलेक्ट्रेट के बाहर बड़ी संख्या में हिंदु संगठनों के सदस्यों ने प्रदर्शन करते हुए मुकदमा वापस लेने और युवकों को रिहा करने पर अड़े रहे।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री पर उदयपुर पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज करने पर हिंदू संगठनों के लोग विरोध कर रहे हैं। उदयपुर में शनिवार को जिला कलेक्ट्रेट के बाहर बड़ी संख्या में अलग-अलग हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता पहुंचे और धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ दर्ज मुकदमे को रद्द करने की मांग की।
कलेक्ट्रेट और कोर्ट के बाहर किया हनुमान चालीसा पाठ
हिंदु संगठन के लोगों ने कलेक्ट्रेट और कोर्ट चौराहे पर एक साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया। कार्यकर्ताओं ने जय श्रीराम के नारे लगाए और हिंदू संगठनों के लोगों ने मामला दर्ज करने पर विरोध जताया और पुलिस प्रशासन और राज्य सरकार के खिलाफ हाय-हाय के जमकर नारे लगाए। इस दौरान संगठन के आक्रोशित कार्यकर्ता और पुलिस में हल्की धक्का-मुक्की भी हुई।
दरअसल, उदयपुर में प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ता कुंभलगढ़ में झंडा लगाने की कोशिश में गिरफ्तार हुए 5 युवकों को भी रिहा करने की मांग कर रहे हैं। भारी पुलिस बल की मौजूदगी के साथ एएसपी समेत कई अधिकारी भी तैनात रहे। हिंदू समाज के कार्यकर्ताओं ने पुलिस द्वारा धीरेंद्र शास्त्री पर लगाए गए मुकदमे को वापस लेने की मांग की। कार्यकर्ताओं ने कहा कि जब धीरेंद्र शास्त्री के बयान का किसी धर्म के लोगो ने विरोध नहीं किया, तो पुलिस ने किसके आदेश पर मामला दर्ज किया?
इस मौके पर मेवाड़ क्षत्रिय महासभा संगठन मंत्री जितेंद्र सिंह चुंडावत ने कहा कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ। बागेश्वर धाम के पीठाधीश के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, उसे तुरंत प्रभाव से वापस लेना चाहिए। अन्यथा हिंदू समाज के लोग बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन करेंगे।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से पुलिस ने कुंभलगढ़ और उदयपुर में मामले दर्ज किए हैं। इसके खिलाफ बड़ी संख्या में सभी समाज के लोग ज्ञापन देने के लिए पहुंचे। हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने कहा कि जिस तरह उन पर मामला दर्ज किया गया, वो तुगलकी फरमान था। उन्होंने कहा कि बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने सिर्फ इतना कहा था कि कुंभलगढ़ दुर्ग पर भगवा झंडा क्यों नहीं फहराया जाता। उन्होंने किसी समाज या धर्म के विशेष अपनी बात नहीं कही थी। क्या किसी राजनीतिक दबाव के तहत उन पर मुकदमा दर्ज किया गया?