असामाजिक तत्वों ने श्री द्वारकाधीश मंदिर की सीढियों पर प्रसाद बिखेर दिया। लोगों ने इसे ठाकुरजी का अपमान बताया। प्रसाद का अनादर करने पर श्रद्धालुओं में भारी रोष व्याप्त है। शुक्रवार रात को अन्नकूट लूट के दौरान कुछ असामाजिक तत्वों ने हुड़दंग मचाया। अन्नकूट लूटने के बाद बाहर निकलने के दौरान प्रसाद का अनादर करते हुए उन्होंने मंदिर की सीढ़ियों पर प्रसाद बिखेर दिया। वहीं लूट कर लाई सब्जी की मटकियां फोड़ दी और चावल को भी बिखेर दिया। यह सब देख मंदिर के सेवा वालों और स्थानीय लोगों ने उनको समझाने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने किसी की बात तक नहीं सुनी। प्रसाद का अनादर करने से मंदिर के सेवावालों सहित स्थानीय लोगों में रोष है।
बता दें कि साल 2018 और 2019 में भी आदिवासी समाज के लोगों द्वारा इधर-उधर फेंक कर और नालियों में बहाकर अनादर किया गया। इसके बाद मंदिर ने करीब 300 साल से चली आ रही इस परंपरा को बंद करने का निर्णय लिया था। साल 2020 में मंदिर ने कोराना काल के चलते सांकेतिक रूप से अन्नकूट महोत्सव मनाया और आदिवासियों में महाप्रसाद का वितरण कर दिया। इस बार फिर आदिवासी समाज के प्रमुख लोगों से चर्चा कर अन्नकूट महोत्सव परंपरा अनुसार मनाने का निर्णय लिया था। लेकिन कुछ लोगों ने इस बार भी प्रसाद का अनादर कर दिया।
दरअसल अन्नकूट महोत्सव पर चावल का मीड़ा बनाकर करीब 60 प्रकार के विविध प्रकार के व्यंजन रखे जाते हैं। अन्नकूट दर्शन के बाद इसमें से कुछ प्रसाद हटा दिया जाता है और चावल, सब्जी सहित अन्य प्रसाद को लूट के लिए रखा जाता है। हटाए गए प्रसाद को सेवा वालों सहित वैष्णवों को वितरित किया जाता है। यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। लेकिन आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि अन्नकूट के लिए जो प्रसाद प्रभु के सामने रखा जाता है, उस पूरे प्रसाद को लुटाया जाए। इस बात को लेकर मंदिर और आदिवासियों में विवाद चल रहा है।
श्रीद्वारकाधीशजी मंदिर में अन्नकूट महोत्सव पर महाप्रसाद का अनादर गलत है। स्थानीय लोगों और सेवा वालों का कहना है कि पंरपरा के अनुसार ही मंदिर में अन्नकूट लूट महोत्सव मनाया जा रहा है। फिर भी अगर कोई समस्या है तो आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों को अन्नकूट महोत्सव से पहले चर्चा करनी चाहिए। ठाकुरजी के प्रसाद का अनादर ठाकुरजी के अपमान के बराबर है।