कुंभलगढ़ सेंचुरी में टाइगर के आने की संभावनाएं और मजबूत हो गई हैं। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथॉरिटी की एक्सपर्ट कमेटी के सदस्यों ने जंगल का मुआयना किया। जंगल टाइगर के लिए काफी सुरक्षित भी लगा। अब यह कमेटी टाइगर रिजर्व को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। अगर मंजूरी मिलती है तो यह राजस्थान का पांचवां टाइगर रिजर्व होगा।
जायजा लेने आई टीम के सदस्यों ने निरीक्षण के बाद कहा कि जंगल बहुत बड़ा और अच्छा है। हालांकि यहां टाइगर के खाने की उपलब्धता उनके लिए सोचने का विषय रही। सदस्यों ने कहा कि टाइगर यहां रहेंगे तो उन्हें पर्याप्त खाना मिलना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो टाइगर जंगल के बाहर जाएगा जो हम नहीं चाहते। इसपर वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने जंगल में टाइगर के लिए भोजन की उपलब्धता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यहां 20 तरह के जंगली जानवर हैं। जरख, हायना, सांभर, नीलगाय, चिंकारा, वाइल्ड बोर सहित कई जानवर हैं, ऐसे में टाइगर के खाने की समस्या नहीं होगी।
इससे पहले यह टीम रावली टॉडगढ़ से आते हुए जोजावर, सुमेर, देसुरी, सादड़ी, सिंगाड़ा, बोखाड़ा होते हुए पांच रेंज से होकर गुजरी। इस दौरान टीम स्थानीय होटल व्यवसाइयों से भी मिली। टीम के सदस्य क्षेत्र के महुआ बाग रिसोर्ट में पहुंचे। यहां हेरिटेज सोसायटी के सचिव कुबेर सिंह सोलंकी, पूर्व होटल ऐसोसिएशन अध्यक्ष गोरधन सिंह झाला, प्रदीप सिंह सांगावत, गवार सरपंच बिशन सिंह राणावत, शक्ती सिंह चुंडावत, देवेंद्र सिंह सहित कई होटल व्यवसायियों से मिले।
जंगल का जायजा लेने आई एक्सपर्ट कमेटी में एनके वासू, वाइल्ड लाइफ इंस्टीटयूट टाइगर सेल के वैज्ञानिक डॉ. कौशिक बैनर्जी, एनटीसीए के रीजनल ऑफिसर हैमंत कम्दी साथ थे। इनके अलावा डीएफओ फतह सिंह राठौड़, क्षेत्रीय वन अधिकारी किशोर सिंह भी साथ रहे।