ऑस्ट्रिया में प्रवासरत ज्योति कोठारी ने राजसमंद की मातृभूमि पर शिक्षा की अलख जगाने का बीड़ा हाथ में लिया है। पिछड़े गांव को गोद लेकर हर विद्यार्थी की वर्षभर की जरूरतों का ख्याल रखने वाली ज्योति ने इस बार तारोट विद्यालय को गोद लेकर विद्यार्थियों को शैक्षिक व सहशैक्षिक सामग्री दी गई। ज्योति व उनके पति दिलीप कोठारी ने 165 विद्यार्थियों को बेग, पोशाक, स्वेटर, ज्यामिती, जूते, मोजे, बेल्ट, टूथ ब्रश, पेस्ट, साबुन, तेल के कीट वितरित किए। स्कूल में बैंच, टेबल, अलमारी, जाजम, पुस्तकें, दरी पट्टियां, वाद्य यंत्र सहित कई संसाधन उपलब्ध करवाए गए हैं। भवन रंगाई पुताई के लिए 31 हजार रुपए सहायता राशि दी गई। इसके अलावा गोद लिए स्कूलों के 12 प्रतिभावान छात्र छात्राओं को एक- एक हजार रुपए की छात्रवृत्ति भी दी गई।
मातृभूमि की सेवा का जज्बा
ज्योति आस्ट्रिया में इंडियन फुड बनाकर जो पैसा कमाती है, उसे वह इन स्कूलों की शैक्षिक, प्रशैक्षिक व्यवस्थाओं पर खर्च कर रही है। ज्योति ने कहा कि भविष्य में स्किल डलवपमेंट की दिशा में कार्य करेगी। इसके तहत इन स्कूलों में बच्चों की रूचि के अनुरुप ट्रेनर नियुक्त किया जाएगा, ताकि विद्यालय के छात्र छात्राएं हुनर अनुरुप अपनी स्किल विकसित कर सकें।
समारोह में ये थे अतिथि
तारोट विद्यालय में एक समारोहपूर्वक शैक्षिक, सह शैक्षिक सामग्री विद्यालय व छात्रों को वितरित की गई। मुख्य अतिथि शिक्षाविद् यमुनाशंकर दशोरा थे। अध्यक्षता गुणसागर कर्णावट ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि राजसमंद पंचायत समिति बीडीओ भुवनेश्वर सिंह चौहान, महेंद्र कर्णावट, ज्योति कोठारी, दिलीप कोठारी, वरिष्ठ साहित्यकार अफजल खां अफजल थे। अतिथियों द्वारा शैक्षिक व सह शैक्षिक सामग्री वितरित की गई। इस अवसर पर अफजल खां पठान, साकरोदा सरपंच प्रतिनिधि किशन गुर्जर, उप सरपंच मोहनसिंह, शिवदास वैरागी, कार्यक्रम अधिकारी राजेश गोराणा, ममता सोनी, शंकरसिंह खरवड़, चन्द्रप्रकाश श्रीमाली आदि मौजूद थे।
अब तक 16 स्कूल ले चुके हैं गोद
राप्रावि भील बस्ती ओडिया, राउप्रावि वणाई, राउप्रावि गच्छालो का गुड़ा, राप्रावि नीचला सादड़ा, राप्रावि बाघपुरा, राप्रावि काडा, राउप्रावि डूमखेड़ा, ढुलियाणा, घाटी, गाडरियावास धोइंदा, धोइंदा, राउमावि धांयला, राउप्रावि भगवान्दा खुर्द, राउप्रावि तारोट व गांधी सेवा सदन राजसमंद
व्यक्तित्व का आधार है परिवार का अनुशासन
शिक्षाविद यमुना शंकर दशोरा ने कहा कि सम्पूर्ण व्यक्तित्व का आधार पिता का अनुशासन और माता के शिक्षा संस्कार है ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों को पूरा समय दें। कार्यक्रम में स्कूली छात्र छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी।