Kedarnath : चारधाम यात्रा काे लेकर खुशखबरी आई है। महाशिवरात्रि के पर्व पर ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट खोलने का ऐलान कर दिया गया है। इस तरह अब केदारनाथ धाम के कपाट 10 मई सुबह 7 बजे खुलेंगे। उत्तराखंड में हिमालय पर्वत की गोद में स्थित केदारनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है। यह उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले में आता है। पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में केदारनाथ के कपाट खोलने की तिथि पंचांग गणना से तय कर घोषित की गई। श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय की मौजूदगी में आयोजित धार्मिक समारोह में Kedarnath Temple को खोलने का निर्णय लिया गया। साथ ही पंचमुखी डोली 6 मई काे रवाना होगी, जो विभिन्न पड़ावों से होकर 9 मई शाम को केदारनाथ पहुंच जाएगी।
भगवान केदारनाथ की पंचमुखी भोग मूर्ति की 5 मई को पंचकेदार गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भैरवनाथ जी के साथ पूजा होगी। फिर पंचमुखी डोली 6 मई को श्री केदारनाथ धाम के लिए रवाना होगी, जो विभिन्न पड़ाव से होकर 9 मई शाम को डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी। केदारनाथ हिमालय की चोटी और बर्फ से ढकी पहाड़ियों के बीच भगवान शिव के इस मंदिर के दर्शन के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डां. हरीश चंद्र गौड़ ने बताया कि 8 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व पर ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में सुबह 9 बजे से धार्मिक अनुष्ठान शुरू हुए। इसके बाद बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय की मौजूदगी में केदारनाथ के रावल भीमाशंकर के मार्गदर्शन में केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख तय की गई।
Kedarnath Yatra : बद्रीनाथ मंदिर के कपाट 12 मई को खुलेंगे
चारधामों में से बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि पहले ही घोषित हो चुकी है। बद्रीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुल रहे हैं, जो कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। बद्रीनाथ को भू वैकुंठ भी कहते हैं। यह मंदिर भगवान नारायण को समर्पित है। उल्लेखनीय है कि यह तीर्थ अलकनंदा नदी के किनारे करीब 3,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शीतकाल में यहां का वातावरण बहुत ठंडा हो जाता है और बर्फबारी होती है, इस वजह से बद्रीनाथ मंदिर के कपाट शीत ऋतु में बंद कर दिए जाते हैं।
kedarnath temple : केदारनाथ के कपाट क्यों बंद किए जाते हैं ?
मान्यता के अनुसार, भाई दूज से शीतकाल की शुरुआत मानी जाती है। भाई दूज दिवाली का पर्व है और इसके बाद ठंड बढ़ जाती है, जिससे हिमालय में रहना संभव नहीं है। इसलिए केदारनाथ समेत चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर यानि सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं। फिर नए साल में अप्रैल-मई महीने में भक्तों के लिए कपाट खोले जाते हैं। केदारनाथ निर्माता पाण्डव वंश के जनमेजय आदि पुरुष बताए जाते हैं।
kedarnath temperature : केदारनाथ धाम इतना प्रसिद्ध क्यों है?
केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडव भाइयों द्वारा कुरु क्षेत्र युद्ध के बाद युद्ध के दौरान अपने परिजनों की हत्या की वजह से भगवान शिव बहुत क्रोधित थे शिव पड़ावों को माफ़ नहीं करना चाहते थे उनसे छिपने के लिए उन्होंने एक बैल का रूप ले लिया और अब से केदारनाथ धाम में बस गए।
Kedarnath Registration : ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा
केदारनाथ धाम दर्शन खुलने की घोषणा के साथ ही अधिकृत वेबसाइट पर पंजीयन की सुविधा भी है। इसके लिए registrationandtouristcare वेबसाइट जाकर पंजीयन किया जा सकता है। फाटा से केदारनाथ – 4,798 रु प्रति व्यक्ति (आना – जाना दोनों ) किराया है, जबकि ऑनलाइन बुकिंग करने के लिए Official Website www.Pawanhans.co.in पर जाकर अधिक जानकारी ले सकते है। सिरसी से केदारनाथ का किराया 5498 रु प्रति व्यक्ति (आना-जाना दोनों ) है, जबकि गुप्तकाशी से केदारनाथ का किराया 7750 रुपए प्रति व्यक्ति आना-जाना दोनों है।
kedarnath registration : केदारनाथ धाम कैसे जाएं, कैसे पहुंचे
उत्तराखंड में केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग से 86 km दूर है। केदारनाथ धाम जाने के लिए आप बस, कार और दो पहिया गाड़ी किसी भी वाहन से जा सकते है। इन गाड़ियों से आप सिर्फ सोनप्रयाग तक ही जा सकते है, इससे आगे पैदल का रास्ता है। मंदिर पहुंचने के लिए सारी व्यवस्था की गयी है। अगर पैदल नहीं जाना चाहते है, तो घोड़े-खच्चर व कंडी की व्यवस्था है। इससे आराम से मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यदि ऋषिकेश से केदारनाथ धाम की यात्रा बस या कार के द्वारा करते है, तो मंदिर तक पहुंचने तक बीच में कितने स्टेशन आने है और कितनी दूरी पर है, जो निम्नानुसार है-
- ऋषिकेश से देवप्रयाग – 71 km
- देवप्रयाग से श्रीनगर – 35 km
- श्रीनगर से रुद्रप्रयाग – 32 km
- रुद्रप्रयाग से गुप्तकाशी – 45 km
- गुप्तकाशी से सोनप्रयाग – 31 km
- सोनप्रयाग से गौरीकुंड – 5 km
- गौरीकुंड से केदारनाथ – 16 km
वैसे तो यहां हेलिकॉप्टर की व्यवस्था भी है, जो सीधे केदारनाथ मंदिर तक पहुंचाता है। देहरादून से हेलिकॉप्टर में जाना चाहे, तो जा सकते है। इसके अलावा सीतापुर हेलीपैड जो गुप्तकाशी से 26 km आगे है। वहां से भी टिकट बुकिंग ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन बुक करवा सकते है। यहां से केदारनाथ पहुंचने में 5 से 7 मिनट का समय लगेगा। इसके अतिरिक्त पवन हंस दैनिक आधार पर फाटा से केदारनाथ के लिए 12 हेलिकॉप्टर की व्यवस्था है। 12 उड़ानों में से 9 उसी दिन लौट आती है, बाकी की 3 उड़ाने दूसरे दिन आती है। यहां से मंदिर जाने के लिए पहली उड़ान सुबह 6:50 बजे रवाना होकर सुबह के 7:00 बजे वह पहुंचती है।
kedarnath temperature or kedarnath weather : अजीब मौसम
वैसे केदारनाथ मंदिर साल में सिर्फ छह महीने के लिए खुलता है। यहां जाने का सही समय आपके लिए अप्रैल, मई और जून का महीना है। इस मंदिर की अधिक ऊंचाई होने से यहां का मौसम काफी ठंडा होता है और शायद आपको बर्फबारी भी देखने को मिल जाए। केदारनाथ में आज का न्यूनतम तापमान -11 ° c (डिग्री सेल्सियस) दर्ज किया गया है, और अधिकतम तापमान -2 ° c (डिग्री सेल्सियस) तक जाने की उम्मीद है।
Kedarnath Fact : केदारनाथ यात्रा से जुडी खास बातें
- केदारनाथ जाने से पहले रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। इसके बिना जाने नहीं दिया जाता है।
- रजिस्ट्रेशन के साथ आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पेन कार्ड, वोटर आईडी आदि दस्तावेज साथ होने चाहिए।
- यात्रा से पहले मेडिकल टेस्ट करवा लें। क्योकि वहां की 14000 फीट की ऊंचाई है, जिससे स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।
- पदयात्रा में खाने-पीने की चीज़ों के साथ दवा का बैग भी साथ रखें।
- मौसम बदलता रहता है, इसलिए रैनकोट, गर्म कपडे, वाटरप्रूफ जूते, कंबल जरूर साथ रखें।
- केदारनाथ मंदिर कितने साल पुराना है ? : लगभग 1200 पुराना है।
- केदारनाथ धाम कहां स्थित है ? : उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में मंदाकनी नदी किनारे गढ़वाल हिमालय श्रृंखला पर।
- केदारनाथ यात्रा का सही समय क्या है : मई, जून, सितम्बर और अक्टूबर का महीना