राजस्थान की राजधानी जयपुर से लेकर मेवाड़, मारवाड़, ढूढ़ाड़ तक चौतरफा पैंथर की तादाद काफी बढ़ रही है और इसी का नतीजा है कि आए दिन आबादी क्षेत्र में विचरण करने की घटनाएं भी सामने आ रही है। इस बीच केन्द्रीय वन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े ने हर किसी को चिंता में डाल दिया है। प्रदेश के मौजूदा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में न केवल बाघ बल्कि बघेरों का कुनबा भी बढ़ रहा है। आंकड़ों के अनुसार टाइगर रिजर्व में गत पांच वर्ष में इनकी संख्या डेढ़ से दो गुना तक बढ़ी है। हालांकि राजस्थान के कुंभलगढ़ अभ्यारण्य में नया टाइगर रिजर्व क्षेत्र बनाने की कवायदें चल रही है, मगर घटते वन के बीच बढ़ते वन्यजीवों के कहीं न कहीं आबादी क्षेत्र का रूख करने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
केन्द्रीय केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा हाल ही में भारत में तेंदुओं यानि पैंथर की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की। इसमें बताया कि राजस्थान में वर्ष 2018 से 2022 के बीच बघेरों की संख्या 476 से बढ़कर 721 हो गई है। इसमें राजस्थान के चार टाइगर रिजर्व मुकुंदरा, रामगढ़ विषधारी, रणथम्भौर और सरिस्का शामिल किया गया है। बघेरों की गणना कैमरा ट्रैप पद्धति से की गई है। खास बात है कि देश में सर्वाधिक पैंथर की आबादी वाले टाइगर रिजर्व की श्रेणी में सरिस्का और रणथम्भौर दोनों टॉप 15 में शुमार हैं। इससे वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर है। हालांकि यदि राजस्थान के लेपर्ड रिजर्व, सेंचुरी और अन्य वन क्षेत्रों को भी जोड़ दिया जाए तो बघेरों की संख्या 1,000 को पार कर जाएगी। जारी रिपोर्ट के अनुसार देशभर में बघेरो की संख्या 12,852 से बढ़कर 13,874 हो गई है। जिसके तहत राजस्थान में पांच वर्षों के दौरान 245 बघेरे बढ़े हैं। इसमें भी खास तौर से उदयपुर संभाग क्षेत्र में पैंथरों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है, जिसकी वजह से आए दिन शहरी क्षेत्र में पैंथर विचरण करने लगे हैं, जिससे आबादी क्षेत्र में दिनोंदिन वन्यजीवों का खतरा बढ़ रहा है। आमजन परेशान भी है कि आखिर वन्यजीवों से आबादी को कैसे बचाए और वन्यजीवों को कैसे रखा जाएगा। panther in population
Panther attack human : वन्यजीव गणना में बढ़ा आंकड़ा
वन्यजीव गणना के अनुसार देश में पैंथर की सर्वाधिक आबादी वाले टाइगर रिजर्व की श्रेणी में सरिस्का टाइगर रिजर्व तीसरे स्थान पर है। यहां 269 बघेरे हैं। वर्ष 2018 से 2022 के मध्य यहां 102 बधेरे बढ़े हैं। इतना ही नहीं, सरिस्का में बघेरों की सर्वाधिक डेंसिटी पायी गई है। दूसरी ओर रणथम्भौर नेशनल पार्क में भी वर्ष 2018 से 2022 के मध्य 80 बघेरे बढ़े हैं। इसके अलावा कुंभलगढ़ अभ्यारण्य, सीतामाता अभ्यारण्य और रावली टॉडगढ़ अभ्यारण्य में भी पहले के मुकाबले पैंथरों की संख्या काफी बढ़ गई है, जो अभ्यारण्य से बाहर गांवों के बाद अब शहरी आबादी से सटे बीहड़ों तक पहुंच गए हैं। दूसरी तरफ black panther animal की भी चर्चा है।
टाइगर रिजर्व में इस तरह बढ़े पैंथर
टाइगर रिजर्व | वर्ष 2018 | वर्ष 2022 |
मुकुंदरा | 49 | 99 |
रामगढ़ विषधारी | 19 | 25 |
रणथम्भौर | 87 | 167 |
सरिस्का | 167 | 269 |
पैंथर प्रोजेक्ट को लेकर ठोस प्लान नहीं
टाइगर रिजर्व के साथ ही प्रदेशभर में पैंथरों की तादाद काफी बढ़ गई है। पिछले एक दशक में पैंथर जंगलों से गांव और अब शहरी आबादी तक पहुंचने लगे हैं। इसके बावजूद वन विभाग द्वारा पैंथरों को जंगल तक रखने के लिए कोई ठोस प्लान तैयार नहीं किया गया है। पैंथरों के जंगल में भोजन व आवास आदि पर ध्यान नहीं दिया जा रहाद्य। चारों टाइगर रिजर्व में उच्च अधिकारी बाघों की मॉनिटरिंग में जुटे रहते हैं। ऐसे में बघेरों को लेकर कोई विशेष इंतजामों नहीं हैं। यही स्थिति राजस्थान के अन्य जंगलों में भी पैंथरों की बनी हुई है। इसके लिए अलग से मैनेजमेंट प्लान की जरूरत है। यहां तक कि प्रदेश में वर्तमान सरकार के पिछले कार्यकाल में लागू हुआ लेपर्ड प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में है। इसे लेकर पूर्ववती सरकार भी सुस्त थी। यही वजह है कि भोजन और पानी की तलाश में पैंथर आबादी क्षेत्रों में पहुंच रहे हैं, उन्हें जान गंवानी पड़ रही है और कई जगह आम लोग भी उनका शिकार बन रहे हैं।
राजस्थान में लेपर्ड सफारी कितनी है
जयपुर में झालाना और अमागढ़ में लेपर्ड सफारी कराई जाती है। दुनिया में सबसे अधिक तेंदुआ की संख्या संरक्षित करने वाला एकमात्र शहर जयपुर है। 36 वर्ग किमी की भूमि वाले दोनों अभयारण्यों में 60 उप वयस्कों और वयस्क तेंदुओं से अधिक आबादी है। अधिकारियों का यह भी दावा है कि इस उल्लेखनीय आबादी के कारण जयपुर को ‘दुनिया की तेंदुआ राजधानी’ कहा जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में 27 अभयारण्य, 4 टाइगर रिज़र्व और 16 कंज़र्वेशन रिज़र्व हैं। Panther attack काफी बढा है, जो चिंता का विषय है।
राजस्थान में लेपर्ड सफारी कितनी है
राजस्थान में तीन टाइगर सफारी है। हाल ही राज्य के चौथे टाइगर प्रोजेक्ट के रूप में रामगढ़ विषधारी को विकसित किया गया है। उदयपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर बांसवाड़ा हाईवे पर जयसमंद झील है। इस एरिया में जयसमंद झील के अलावा कोई बड़ा पर्यटन स्थल नहीं हैं इसलिए पर्यटकों का यहां ठहराव नहीं हो पाता है। इसके अलावा पाली के जवाई लेपर्ड सफारी के रूप में विकसित होने लगा है। jawai leopard safari में खुलेआम पैंथर विचरण करते दिखाई देते हैं। हालांकि यहां वन विभाग द्वारा प्रोजेक्ट विकसित नहीं किया है।