Maharana Pratap : मेवाड़ के आन बान, शान व स्वाभिमान के लिए जाने व पहचाने वाले महाराणा प्रताप का पूरा जीवन ही आदर्श है। उनके जीवन के कुछ ऐसे रोचक फैक्ट है, कुछ ऐसे रोचक तथ्य है, जो आपके इतिहास की जानकारी को बढ़ाएगा और आपको महाराणा प्रताप के जीवन प्रसंग से कुछ प्रेरणास्पद जानकारी भी मिली। जीवनसिंह तंवर के फेसबुक पेज से कुछ ऐसी ही रोचक जानकारी संकलित की गई है।
- नाम – कुँवर प्रताप जी (श्री महाराणा प्रताप सिंह जी)
- जन्म – 9 मई, 1540 ई.
- जन्म भूमि – कुम्भलगढ़, राजस्थान
- पुण्य तिथि – 29 जनवरी, 1 यक्ष597 ई.
- पिता – श्री महाराणा उदयसिंह जी
- माता – राणी जीवत कँवर जी
- राज्य – मेवाड़
- शासन काल – 1568–1597ई.
- शासन अवधि – 29 वर्ष
- वंश – सुर्यवंश
- राजवंश – सिसोदिया
- राजघराना – राजपूताना
- धार्मिक मान्यता – हिंदू धर्म
- युद्ध – हल्दीघाटी का युद्ध
- राजधानी – उदयपुर
- पूर्वाधिकारी – महाराणा उदयसिंह
- उत्तराधिकारी – राणा अमर सिंह
Maharana Pratap History : 14 पत्नियां व परिवार
- महाराणा प्रताप के परिवार की रोचक तथ्य है। इसमें बताते हैं कि उनके 14 पत्नियां थी।
- पिता – महाराणा उदय सिंह, मां- जयवंताबाई सोनगरा।
- भाई- शक्ति सिंह, खान सिंह, विरम देव, जेत सिंह, राय सिंह, जगमल, सगर, अगर, सिंहा, पच्छन, नारायणदास, सुलतान, लूणकरण, महेशदास, चंदा, सरदूल, रुद्र सिंह, भव सिंह, नेतसी, सिंह, बेरिसाल, मान सिंह, साहेब खान। (प्रताप के कुछ और किस्से यहां पढ़ें)
- पत्नियां – अजब देपंवार, अमोलक दे चौहान, चंपा कंवर झाला, फूल कंवर राठौड़ प्रथम, रत्नकंवर पंवार, फूल कंवर राठौड़ द्वितीय, जसोदा चौहान, रत्नकंवर राठौड़, भगवत कंवर राठौड़, प्यार कंवर सोलंकी, शाहमेता हाड़ी, माधो कंवर राठौड़, आश कंवर खींचण, रणकंवर राठौड़।
- बेटे- अमर सिंह, भगवानदास, सहसमल, गोपाल, काचरा, सांवलदास, दुर्जनसिंह, कल्याणदास, चंदा, शेखा, पूर्णमल, हाथी, रामसिंह, जसवंतसिंह, माना, नाथा, रायभान।
- बेटियां- रखमावती, रामकंवर, कुसुमावती, दुर्गावती, सुक कंवर।
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कुछ अन्य रोचक तथ्य, जो जानना जरूरी
- महाराणा प्रताप सिंह का प्रिय घोड़ा चेतक था।
- महाराणा प्रताप के पास रामप्रसाद नामक हाथी भी काफी समझदार व ताकवर था। उसी हाथी ने हल्दीघाटी युद्ध में अकेले ने ही अबकर के कई हाथियों को अकेले मार गिराया था।
- राजपूत शिरोमणि महाराणा प्रतापसिंह उदयपुर मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे।
- महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था।
- इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है।
- महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत कैलेण्डर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है।
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Maharana Pratap के कुछ रोचक जानकारी
- महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।
- जब इब्राहिम लिंकन
भारत दौरे पर आ रहे थे, तब उन्होने अपनी मां से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए, तब मां का जवाब मिला ”उस महान देश की वीर भूमि हल्दीघाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना, जहां का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना, लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था। “बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट युएसए ‘किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं। - महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो और कवच 80 किलो था।
- कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।
- आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं ।
- अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है, तो आधा हिंदुस्तान के वारिश वो होंगे, पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी, लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया।
- हल्दीघाटी के युद्ध में मेवाड़ से 20 हजार सैनिक थे और अकबर की सेना में 85 हजार सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए।
- महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक
का मंदिर भी बना हुआ है, जो आज भी हल्दीघाटी में है। - महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग दिया, तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा की फौज के लिए तलवारें बनाईं।
- लुहार समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार कहा जाता है।
- हल्दीघाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहां जमीनों में तलवारें पाई गई। आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था।
- महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा “श्री जैमल मेड़तिया जी” ने दी थी जो 8000 राजपूत वीरों को लेकर 60,000 मुगलो से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे, जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे।
- महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था। मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था, वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे।
- आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं, तो दूसरी तरफ भील।
- महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक
महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद हल्दीघाटी में वीर गति को प्राप्त हुआ। उसका एक पैर टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहां वो घायल हुआ, वहां खोड़ी इमली नामक पेड़ के नीचे की घटना है, जहां अभी कोई पेड़ नहीं है और न ही उस जगह को संरक्षित किया है। हालांकि चेतक मंदिर जरूर है। - राणा प्रताप का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था। उसके मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी की सूंड लगाई जाती थी। यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे।
- मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था। सोने चांदी और महलो को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमते रहे।
- महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’5” थी तथा दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।
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महाराणा प्रताप जयन्ती तिथि अनुसार ही क्यों..?
हिंदुआ सूर्य महाराणा प्रताप जी! ने हिन्दू धर्म के रक्षण हेतू मुगलों से आजीवन अविरत संघर्ष किया। उनका जन्म-“मिति ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया विक्रम संवत-1597” को हुआ था, उस दिन अंग्रेजी तारीख 9 मई 1540 ही थी। जब हम हिन्दू धर्म के सभी पर्व होली, दीपावली, दशहरा, रक्षाबन्धन तिथि अनुसार ही मनाते है, तो फिर हिन्दू महापुरुषों की जयन्ती अंग्रेजी तारीख अनुसार क्यों? अतः हिन्दू परम्परा के अनुसार इस बार भी महाराणा प्रताप जी की 484 वीं जयन्ती हमें तिथि अनुसार 22 मई 2023 को ही मनाना चाहिए।
(साभार : इसमें सामग्री जानकारी जीवनसिंह तंवर के फेसबुक से ली गई है।)
महाराणा प्रताप को किसने मारा
महाराणा प्रताप को मरते दम तक अकबर अधीन करने में असफल ही रहा। अंततः महाराणा प्रताप की मृत्यु अपनी राजधानी चावंड में धनुष की डोर खींचने से उनकी आंत में लगने के कारण इलाज के बाद 57 वर्ष की उम्र में 29 जनवरी, 1597 को हो गई। इस तरह महाराणा प्रताप को किसी से नहीं मारा था। प्रताप की वीरता ऐसी थी कि उनके दुश्मन भी उनके युद्ध-कौशल के कायल थे। माना जाता है कि इस योद्धा की मृत्यु पर अकबर की आंखें भी नम हो गई थीं।
हल्दीघाटी के युद्ध में विजय किसकी हुई?
हाल ही पुरातत्व विभाग द्वारा भी राजसमंद जिले के हल्दीघाटी में युद्ध महाराणा प्रताप द्वारा ही जीतना दर्शाया है। हालांकि पहले उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में इतिहास के विषय में पढ़ाया जा रहा है कि हल्दीघाटी युद्ध में अकबर की जीत हुई थी, जबकि अनेक इतिहासकार इसके खिलाफ हैं। उनके अनुसार साक्ष्य यह साबित कर चुके हैं कि हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की जीत हुई थी। पुरातत्व विभाग ने भी यह माना है कि हल्दीघाटी का युद्ध अकबर ने नहीं, बल्कि महाराणा प्रताप ने जीता था। 1579 से 1585 तक एक के बाद एक गढ़ जीतते गए। महाराणा की सेना ने मुगल चौकियों पर आक्रमण शुरू कर दिए और तुरंत ही उदयपूर समेत 36 महत्वपूर्ण स्थान पर फिर से महाराणा का अधिकार स्थापित हो गया। महाराणा प्रताप ने जिस समय सिंहासन ग्रहण किया , उस समय जितने मेवाड़ की भूमि पर उनका अधिकार था , पूर्ण रूप से उतने ही भूमि भाग पर अब उनकी सत्ता फिर से स्थापित हो गई थी। बारह वर्ष के संघर्ष के बाद भी अकबर उसमें कोई परिवर्तन न कर सका। और इस तरह महाराणा प्रताप समय की लंबी अवधि के संघर्ष के बाद मेवाड़ को मुक्त करने में सफल रहे और ये समय मेवाड़ के लिए एक स्वर्ण युग साबित हुआ। मेवाड़ पर लगा हुआ अकबर ग्रहण का अंत 1585 ई. में हुआ। उसके बाद महाराणा प्रताप उनके राज्य की सुख-सुविधा में जुट गए,परंतु दुर्भाग्य से उसके ग्यारह वर्ष के बाद ही 19 जनवरी 1597 में अपनी नई राजधानी चावंड में उनकी मृत्यु हो गई।महाराणा प्रताप की मौत का कोई पुख्ता सुबूत तो नही मिल पाया था लेकिन कहा गया है कि चवण में 56 की उम्र में शिकार करते समय एक दुर्घटना होने से उनकी मौत हो गई।
महाराणा प्रताप ने अकबर को कितनी बार हराया ?
महाराणा की सेना ने मुगल चौकियों पर आक्रमण शुरू कर उदयपुर समेत 36 बेहद अहम ठिकानों को अपने अधिकार में ले लिया। यानी उन्होंने अकबर की सेना को 36 बार से ज्यादा बार मात दी थी। महाराणा प्रताप तुक के मुगल सम्राट अकबर से कभी भी हारे नहीं था। अधिकतर मौकों पर युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकला था। महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थीं। अकबर को महाराणा प्रताप ने मुख्य रूप से वर्ष 1577,1578 व 1579 के युद्ध में तीन बार बुरी तरह से हराया था।
Maharana Pratap Jayanti : महाराणा प्रताप जयंती
महाराणा प्रताप जयंती 9 मई कोर्ठ मनाई जाती है। इसी दिन महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। इसे राजस्थान में एक त्योहार की तरह मनाते हैं व सार्वजनिक अवकाश भी रहता है। यह आमतौर पर 9 मई को मनाया जाता है, लेकिन कुछ लोग 22 मई को भी मनाते हैं। ज्योतिष पंचांग की मानें तो उनका जन्म ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन पुष्य नक्षत्र में हुआ था, जो विक्रम संवत 2080 में आज के दिन है। यही कारण है कि कुछ ही दिनों के अंतराल पर वीर महाराणा प्रताप की जयंती दो बार मनाई जाती है।
Cast of Bharat ka veer Putra Maharana Pratap : प्रताप की जाति
महाराणा प्रताप एक राजपूत शासक थे, जो सिसोदिया वंश के है। राणा प्रताप मेवाड़ के राजपूत संघ के हिन्दू महाराजा थे। अब पश्चिमोत्तर भारत और पूर्वी पाकिस्तान में हैं। वह मेवाड़ राजवंश के सिसोदिया का है। उन्हें “मेवाड़ी राणा” शीर्षक दिया गया था। मध्यकालीन भारत में राजपूत एक योद्धा जाति थे, जो अपनी बहादुरी और युद्ध कौशल के लिए जाने जाते थे।