01 28 https://jaivardhannews.com/mewar-promoter-madan-muni-after-taking-santhara-his-body-deteriorated-after-big-initiation-in-semal/

मेवाड़ प्रवर्तक मदन मुनि ने संथारा के साढे़ पांच घंटे बाद देह का त्याग कर दिया। उनका सेमल में बड़ी दीक्षा के दौरान स्वास्थ्य खराब हो गया था जहां से उन्हें उदयपुर अस्पताल में लाया गया। जहां से चिकित्सकों ने उहें अहमदाबाद रेफर कर दिया। अहमदाबाद में उपचार के दौरान उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था। मेवाड़ उप प्रर्वतक कोमल मुनि ने गुरुदेव मदन मुनि को दोपहर 3.30 बजे संथारा का पचखाण कराया। मंगलवार रात 9.15 बजे संथारा पूर्वक अपनी देह त्याग दी।

श्रमण संघीय जैन श्रावक संघ अध्यक्ष देवीलाल हिंगड़ ने बताया कि मुनि का पार्थिव देह बुधवार शाम को अहमदाबाद से नाथद्वारा लाया जाएगा और मान भवन में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। गुरुवार सुबह 8 बजे मान भवन नाथद्वारा से उनकी अंतिम यात्रा घोड़ाघाटी स्थित मदन पथिक धाम के लिए रवाना होगी। मुनि ने इसी साल पावन धाम फतहनगर में चातुर्मास किया था।

मेवाड़ प्रवर्तक गुरुदेव मदन मुनि “पथिक’ का जन्म राजसमंद जिले के लावा सरदारगढ़ में 22 फरवरी 1931 विक्रम संवत 1987 फाल्गुन शुक्ल पंचमी को हुआ। बचपन का जन्म लक्ष्मीलाल था। माता सुंदरबाई व पिता का नाम गंमेरमल हिंगड़ था। बचपन से ही वैराग्य के भाव जग गए। मेवाड़ पूज्य प्रवर्तक गुरुदेव अंबालाल महाराज से सन् 1954 (विक्रम संवत 2010) में मोलेला गांव में दीक्षा ली। गुरुदेव ने सात दशक दशक तक मेवाड़ के साथ-साथ देश के विभिन्न प्रांतों में विचरण कर धर्म ध्वजा लहराई। 12 जून 1994 को श्रमण संघ के उपप्रवर्तक पर आरूढ़ किया गया। 20 मार्च 2005 को मेवाड़ प्रवर्तक पद मिला। खमनोर के 2019 चातुर्मास में सेवा के महासागर की उपाधि श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि ने प्रदान की।

मदन मुनि ने कई साहित्यिक रचनाएं भी लिखी, जिसमें निबंध उद्बोधन आत्मा के संग जीवन के रंग, चिंतन के कण, ज्योति कण, ज्ञान माधुरी, प्रकाश की पगडंडी, कथा में कथा सुमन भाग 1,2,3, उपन्यास में मुक्ति का राही, सपनों की सौगात, काव्य में अर्जुन माली, नाटक में पर्दा उठ गया, अमरप्रीत, निर्धम ज्योति, अंजना सती, भागो वासना के भूत शामिल है।

मदन मुनि ने इस साल अंतिम चातुर्मास पावन धाम फतहनगर में किया। इससे पूर्व सन 1970 में कांकरोली में चातुर्मास किया। उसके बाद अगले वर्ष 2022 के चातुर्मास की तैयारियां कांकरोली में हो रही थी। नाथद्वारा के 2009 के चातुर्मास में चतुर्विध संघ ने महाश्रमण की उपाधि दी।

दीक्षा पूर्व राजनगर कांकरोली में क्लर्क के पद पर सेवाएं भी दी। कांकरोली में आपके सानिध्य में कई बड़े आयोजन संपन्न हुए, जिसमे महावीर जयंती, अक्षय तृतीया के दो बार विशाल पारणा महोत्सव सहित दीक्षा का कार्यक्रम भी हुआ। 2018 के अक्षय तृतीया के विशाल पारणा महोत्सव के आयोजन व कांकरोली श्रीसंघ की पूर्व में उपलब्धियों को सराहते हुए श्रमण संघीय महामंत्री ने मेवाड़ के एकमात्र संघ को संघरत्न की उपाधि से नवाजा था।