मिराज ग्रुप प्रमोटर्स (Miraj Group Promoters) अपने धार्मिक और राजनीतिक संबंधों के चलते भी रहे काफी चर्चित
राजसमंद जिले के नाथद्वारा में स्थित मिराज समूह (Miraj Group) के मुख्यालय सहित उदयपुर, जयपुर, अजमेर, मुंबई स्थित मिराज समूह की विभिन्न कंपनियों के दफ्तरों और सीएमडी मदन पालीवाल के नाथद्वारा स्थित ततकिम आवास पर गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) DGGI ने छापा मारा है। अल सुबह 6 बजे से सभी जगह छापा मारकार कार्रवाई करते हुए सर्च शुरू किया गया। TAX THEFT इसके तहत मिराज समूह की सभी कंपनियों के रिकॉर्ड को भी खंगाला जा रहा है। पहले आयकर सर्वे की सूचना मिली थी, जबकि बाद में Zee News द्वारा डीजीजीआई की छापामार कार्रवाई बताई है। इसके तहत करोड़ों के टैक्स चोरी होने ब्लैकमनी को लेकर जांच की जा रही है। हालांकि अभी तक अधिकारिक तौर पर DGGI द्वारा कोई खुलासा नहीं किया गया है। जी न्यूज की खबर के अनुसार डीजीजीआई की प्रारंभिक जांच में ही 500 करोड़ से ज्यादा टैक्स चोरी का आंकड़ा सामने आ रहा है और टैक्स चोरी इससे भी कई ज्यादा होने की संभावना भी जताई जा रही है।
तंबाकू, पाइप्स, सिनेमा, एफएमसीजी, रियल एस्टेट सहित विभिन्न क्षेत्र में सक्रिय मिराज समूह पर दो साल में करीब दूसरी से तीसरी बार डीजीजीआई ने कार्रवाई की। बता दे कि पिछले साल DGGI ने कार्रवाई के दौरान सप्लाई फर्मों के दो डायरेक्टरों को गिरफ्तार भी किया गया था। मिराज समूह के नाथद्वारा उपली ओडण स्थित मुख्य कार्यालय सहित देशभर में फैले अन्य ठिकानों पर भी छापा पड़ा है। बता दें कि मिराज ग्रुप अपने धार्मिक और राजनीतिक संबंधों के चलते भी काफी चर्चित है। सूत्रों का कहना है कि रेड में करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी उजागर हो सकती है। मिराज ग्रुप पर डीजीजीआई की छापेमारी में तंबाकू उत्पादन, मांग, आपूर्ति और स्टॉक में अनियमितताओं की जांच की जा रही है। बताया कि मिराज समूह की विभिन्न कंपनियों के उत्पादन और वितरण को लेकर माल के स्टॉक व विक्रय दस्तावेजों के अनुसार करीब 500 करोड़ से ज्यादा का टैक्स चोरी हो सकता है। फिलहाल डीजीजीआई की छापेमार कार्रवाई के तहत सर्च जारी है और जीएसटी चोरी का आंकलन किया जा रहा है। कार्रवाई पूरी होने के बाद ही जीएसटी चोरी का वास्तविक आंकड़ा सामने आ पाएगा।
वर्ष 2020 में भी मारा था छापा
डीजीजीआई द्वारा मार्च 2020 में भी छापामार कार्रवाई की गई थी। तब भी नाथद्वारा, उदयपुर सहित कई जगह छापामार कार्रवाई की गई थी। बताया कि डीजीजीआई पर यह आरोप लग रहे थे कि मिराज समूह पर छापामार कार्रवाई करने के बाद करीब 800 करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी बताई गई थी, लेकिन वास्तविक आंकड़े सामने नहीं आ पाए थे। इसलिए डीजीजीआई द्वारा अब दोबारा मिराज समूह पर छापामार कार्रवाई करते हुए टैक्स चोरी की जांच शुरू की है। बताया कि DGGI द्वारा पूर्व में टैक्स चोरी के मिले दस्तावेजों की कंपनियों के अधिकारियों से पूछताछ नहीं हो पाई थी। तब भी छापेमारी में करीब 800 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी के दस्तावेज मिले थे।
उत्पात निर्माण व वितरण के आंकड़ों में अन्तर
मिराज समूह की विभिन्न कंपनियों पर छापामार कार्रवाई और डीजीजीआई की तरफ से दस्तावेजों को खंगालने के बाद उत्पाद निर्माण, स्टॉक और वितरण के आंकड़ों में बड़ा अंतर सामने आ रहा है। कंपनियों के सभी दफ्तरों में एक साथ सर्च की कार्रवाई चल रही है। इसके तहत कंपनियों से जुड़े कई अधिकारियों व कार्मिकों को ऑन कॉल दफ्तर में बुलाया गया है, जिनसे आवश्यक दस्तावेज प्राप्त करते हुए जांच की जा रही है।
लगातार तीसरे साल मिराज समूह पर छापा
वर्ष 2020 में भी मार्च माह में डीजीजीआई ने मिराज समूह के ठिकानों पर छापा मारा था। सूत्रों का कहना है कि उस दौरान कार्रवाई में कर चोरी के सबूत मिलने की बात कही थी। लॉकडाउन के दौरान कालाबाजारी के चलते तंबाकू की कीमतें उच्च स्तर पर थी। डीजीजीआई के इस बार हुए एक्शन में उस समय बरामद दस्तावेजों का सहारा लिए जाने की बात कही जा रही है। डीजीजीआई द्वारा वर्ष 2020 के बाद अक्टूबर 2021 में की गई कार्रवाई के दौरान मिले दस्तावेजों का भी मिलान करते हुए सर्च किया जा रहा है।
कई कंपनियों में टैक्सी चोरी पाया गया
अक्टूबर 2021 में वस्तु एवं सेवाकर आसूचना निदेशालय द्वारा मिराज समूह पर छापामार कार्रवाई की गई थी। तब भी तंबाकू, पाइप्स, सिनेमा, एफएमसीजी, रियल एस्टेट सहित विभिन्न सेक्टर में बड़ी टैक्स चोरी सामने आई थी। तब भी नाथद्वारा, हरिद्वार, अहमदाबाद, जयपुर, राजसमन्द स्थित ठिकानों पर सर्च किया गया था। दो तीन दशक में बड़ा कारोबारी समूह बनने से मिराज समूह कई केंद्रीय आसूचना एंजेंसियों के निशाने पर था। समूह पर डीजीजीआई की छापेमारी में कई वर्षों से की जा रही कर चोरी उजागर हो चुकी है। मुख्य रूप से तंबाकू उत्पाद निर्माण में सक्रिय समूह के उत्पादन, मांग, आपूर्ति और स्टॉक में अनियमितताएं सामने आई थी।