एक कंसलटेंट एजेंसी के एडवाइजर ने शूटर ने गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने हाईप्रोफाइल मर्डर का खुलासा करते हुए शूटर सहित पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
राजस्थान के जयपुर के वैशाली नगर में दस दिन पहले एनएचएआई ऑफिस के बाहर कंसलटेंट एजेंसी के एडवाइजर राजेन्द्र चावला की हत्या के मामले में पकड़े गए शूटर धर्मेंद ने पूछताछ में कबूल किया कि बीच चौराहे पर हत्या के समय हाथ नहीं कांपे इसलिए उसने पहले दिन गुड़गांव में डमी पर कई बार फायरिंग की। वारदात वाले दिन विकास को जैसे ही चावला की मौत होने की सूचना मिली तो गुड़गांव रवाना हो गया। साथी द्वारा हॉस्पिटल बुलाने पर अर्जेंट काम बहाना बनाकर आने से मना कर दिया। यह बात ज्योंही पुलिस को पता चली तब से शक की सूई ई-5 इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अटक गई। एक-एक बिंदू पर जांच और सबूत एकत्र करके साबित करने में एक सप्ताह लग गया। गौरतलब है कि पुलिस ने इस हाईप्रोफाइल मर्डर केस खुलासा करके ई-5 इन्फ्रास्ट्रक्चर के एमडी करणदीप श्योरण व शूटर सहित पांच जनों को गिरफ्तार कर लिया। डीसीपी ऋचा तोमर ने बताया कि फायरिंग के बाद मीटिंग में आए इंजीनियर राम भूषण व जय शर्मा की कार से चालक त्रिलोक चंद यादव व ई-5 का जयपुर लाइजन ऑफिसर संजय सैनी अस्पताल लेकर गए थे। सूचना मिलने के बाद पुलिस टीम हॉस्पिटल पहुंची तो सामने आया कि उनकी कंपनी की तरफ से विकास ने गाड़ी से भिजवाया था। उनके बार-बार फोन भी आ रहे थे, लेकिन मरने की सूचना मिलने के बाद आने से मना कर दिया और कहा कि काेई अर्जेंट काम आ गया। इसलिए वह गुड़गांव जा रहे है।
पुलिस ने उसके नंबर लेकर संपर्क किया तो आने से मना कर दिया और गुड़गांव से रात को चंडीगढ़ पहुंच गया। ऐसे में पुलिस का वहीं शक बढ़ गया। उसके बाद पुलिस ने मीटिंग में शामिल सभी लोगों के बयान दर्ज करने की बात कही तो अगले दिन फ्लाइट से दिल्ली और बाद में कंपनी की कार से जयपुर आ गया। नवीन भी गुड़गांव फ्लैट पर रखे शूटरों के मोबाइल व बैग लेकर गांव चला गया। उसे भी बयान दर्ज करने के बहाने वापस बुलाया।
एडिशनल डीसीपी रामसिंह शेखावत ने बताया गाड़ी के बार-बार चक्कर लगाने के बारे में पूछा तो बताया कि एक बार सिगरेट लेने गए और दूसरी बार नाश्ता करने की बात कहकर पुलिस को गुमराह किया। उसके बाद दोनों कंपनी और वहां काम करने वाले कर्मचारियों के बारे में पूछताछ करके कुंडली खंगाली तो सामने आया कि आंध्रप्रदेश प्रोजेक्ट पर काम करने वाले इंजीनियर प्रदीप गुर्जर की लोकेशन घटना के वक्त जयपुर में आई।
जब पुलिस ने टोल नाकों के फुटेज का एनालिसिस किया तो उनकी गाड़ी भी विकास के पीछे-पीछे आई और घटना के कुछ देर बाद वापस गुड़गांव पहुंच गई। तब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ शुरू कर दी। तब आरोपियों ने हत्या करने की बात कबूली और इस साजिश में करणदीप और अमित नेहरा शामिल होने की बात सामने आई।
करणदीप हथियार रखने का शौकीन बताया जा रहा है। इसलिए वह बिहार निवासी इंजीनियर शेखर से कई बार हथियार मंगवा चुका। शूटरों को भी उनमें से हथियार दिए थे। अब पुलिस को आशंका है कि करणदीप के पास भारी मात्रा में हथियार है। अब पुलिस हथियार के संबंध में जांच कर रही है। इधर, शूटर जैसे ही जयपुर पहुंचे तो एक शूटर ने नशे के लिए अफीम मांगी, लेकिन नहीं दिलवा सके। बाद में सिगरेट का एक पूरा पैकिट पिलाया।