जंगल से आबादी क्षेत्र में पैंथर का आना व खुलेआम विचरण करना तो अब आम हो चुका है, मगर पैंथर जब गांव के आबादी क्षेत्र में आने के लिए रास्ता भटक गया तो करीब 3 घंटे तक पैंथर इधर से उधर भागता रहा और बार बार लोगों से आमना सामना होता रहा। पैंथर को देख लोगों में डर व दहशत व्याप्त हो गई और पूरे गांव में अफरातफरी का माहौल बन गया। सूचना पर वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई, मगर जब पैंथर को गांव से जंगल की तरफ भगाने के लिए शोर मचाया, तो पैंथर एक के बाद एक कर महिला व वनकर्मियों सहित 5 लोगों पर लपक गया और गंभीर घायल कर दिया। हालांकि बाद वह जंगल की तरफ भाग खड़ा हुआ, तो लोगों ने कुछ राहत की सांस ली, मगर चूंकि पैंथर के मुंह को मानव रक्त लगने से नरभक्षी होने की भी आशंका है।
यह घटना है राजस्थान में उदयपुर जिले के भींडर रेंज स्थित सिंहाड पंचायत में बोरिया गांव की। यह गांव में गुरुवार को 9 घंटे से ज्यादा समय पैंथर के दहशत में रहा। दोहपर 1 बजे गांव में में घुसे पैंथर ने एक के बाद एक 5 लोगों पर हमला किया, लेकिन वन विभाग की रेस्क्यू टीम मौके पर नहीं पहुंची। इसको लेकर गांव में खासी नाराजगी भी दिखी। लोगों का आरोप था कि दोपहर 1:30 बजे से रेस्क्यू टीम को बुला रहे हैं, लेकिन रात 9 बजे टीम पहुंची। गांव में छिपे पैंथर की दहशत का आलम यह था कि लोगों ने बच्चों को घरों में बंदकर 9 घंटे से ज्यादा समय तक सुरक्षा के लिए खुद खड़े रहे।
एक घंटे बाद आए वनकर्मी भी निहत्थे होने से रहे बेबस
मौके पर वनकर्मी भी एक घंटे बाद पहुंचे, लेकिन निहत्थे होने के कारण वो भी बेबस नजर आए। पैंथर ने 3 ग्रामीणों के अलावा 2 बुजुर्ग वनकर्मियों को भी बुरी तरह घायल कर दिया। दोपहर 1 बजे बोरिया निवासी शांता देवी (32) भैंस को चारा डाल रही थीं, तभी अचानक से पैंथर ने हमला कर दिया। इस हमले से भयभीत शांता देवी ने चिल्लाना शुरू किया। शोर सुनकर बचाने के लिए गांव के ही जगदीश पटेल (35) पहुंचे, तो उन्हें भी पैंथर ने शिकार बना दिया। तब तक बड़ी संख्या में ग्रामीण जमा हो गए। इससे पैंथर दहशत में आ गया और इधर-उधर भागने लगा। भागने के क्रम में उसने भैरुलाल डांगी (48) पर भी धावा बोल दिया। यह देख ग्रामीण दहशत में आ गए और बचाव के लिए लोग इधर-उधर भागने लगे। इसमें 4 ग्रामीण चोटिल हो गए।
सहायक वनकर्मी भी पैंथर के हमले से हुए घायल
पैंथर का आतंक देख ग्रामीणों ने पुलिस और भीडर वन्य रेंज ऑफिस में फोन कर घटना की सूचना दी और मदद मांगी। तकरीबन एक घंटे बाद वन विभाग की टीम आई, लेकिन सभी निहत्थे थे। हिम्मत कर वन विभाग ग्रामीण वन समिति के सदस्य भवरसिंह (55) और मेघराज मीणा (57) आगे बढ़े और उन्होंने घर में छिपे पैंथर को निकालने की कोशिश की, लेकिन पैंथर ने दोनों पर भी हमला कर दिया, जिससे दोनों बुरी तरह जख्मी हो गए। किसी तरह छत से कूदकर दोनों ने अपनी जान बचाई। यहां से भागने के क्रम में एक अन्य युवक पर भी हमला कर दिया। घटना की जानकारी होते ही स्थानीय गांव सहित रावतपुरा, बंबोरा, आवरा, नंदीवेला और सगतड़ी सहित कई गांवों के लोग जमा हो गए, लेकिन देर रात तक पैंथर उसी घर में छिपा रहा।
भींडर-कुराबड़ रेंज में 35 से ज्यादा मौजूद है पैंथर
सिंहाड ग्राम पंचायत भींडर और कुराबड़ रेंज के बीच का एरिया है। यहां कुराबड़ रेंज में 15 पैंथर और भींडर रेंज में 20 पैंथर रहते हैं। सिंहाड ग्राम पंचायत के पास पहाड़ी और बीडे का एरिया होने से यह पैंथर का पसंदीदा एरिया है। वहीं भींडर में समतल एरिया होने यहां पैंथर की आबादी ज्यादा है। पूर्व में भी पैंथर के क्षेत्र के वर्चस्व को लेकर आपस में टकराव की घटना हुई।
आक्रोशित शंकर पटेल ने सुनाई आपबीती, देखिए
बोरिया गांव के शंकर लाल पटेल ने मीडिया के समक्ष अपनी आपबीती सुनाई। पटेल बोले कि जब पैंथर गांव में आया, तब करीब दोपहर 1 बजे थी। सबसे पहले महिला को शिकार बनाया। इसकी जानकारी होते ही गांव में दहशत फैल गई। इसके बाद उसने 7 लोगों को जख्मी किया। हमने वन विभाग को तत्काल सूचना दी और रेस्क्यू टीम को भी बुलाने को कहा। तकरीबन 1 घंटे बाद वन विभाग की टीम तो पहुंची, लेकिन सभी निहत्थे थे। ऐसे में वो सभी लाचार दिखे। जब भी रेस्क्यू टीम को फोन किया जाता, हर बार एक ही जवाब मिलता आधे घंटे में पहुंच रहे हैं। इसकी वजह से गांव में करीब 9 घंटे तक दहशत बनी रही। भूखे-प्यासे लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहे, लेकिन रेस्क्यू टीम को उदयपुर से आने में 9 घंटे लगे। रात 9 बजे रेस्क्यू टीम पहुंची तो गांव वालों ने थोड़ी राहत की सांस ली। शंकरलाल पटेल ने बताया कि सभी पांच लोगों को उदयपुर में भर्ती कराया गया। कुछ की हालत गंभीर है। गांव वालों ने मांग की है कि रेस्क्यू टीम को रेंज में ही तैनात किया जाए ताकि समय पर लोगों को मदद पहुंचाई जा सके।
आपके काम की बात : रोज दहाड़ रहे पैंथर, सावधानी कैसे रखें, कब करता है पैंथर हमला, क्या है उसकी खासियत ?
जंगल से आबादी में जंगली जीव जन्तु, जानवरों का आने की बात पुरानी हो चुकी है। क्योंकि अब तो शहरी इलाके में कई जगह पैंथर भी अपना स्थायी आवास बना चुके हैं। सुबह- शाम या रात में पैंथर कहीं न कहीं दिख ही जाता है और कई बार लोगों का आमना सामना होना भी अब आम बात हो गई है। ऐसे में आए दिन शहरी इलाके में पैंथर की दहाड़ भी सुनाई देती है। आए दिन गांव और शहर के आबादी क्षेत्र में पैंथर आ जाए, तो कैसे खुद का और अन्य लोगों का बचाव करें, इसके लिए वन विभाग के अधिकारी बता रहे हैं खास टिप्स, देखिए… पूरी खबर पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करिए…