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Panther Attack : दिनदहाड़े पैंथर गांव में पैंथर के हमले से 19 भेड़ों की मौत, 10 गंभीर घायल

Panther attack in rajsamand
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अमित पुरोहित @ Jaivardhan News, देवगढ़

Panther Attack : शहर से लेकर गांव- ढाणी में पैंथर के दिन में विचरण करना तो आम बात है, लेकिन रविवार दोपहर में दिनदहाड़े पैंथर गांव के आबादी क्षेत्र में विचरण करते हुए बाड़े में हमला कर दिया, जिससे 19 भेड़ों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 10 भेड़े घायल है। घटना के बाद पशुपालन विभाग के चिकित्सकों की टीम मौके पर पहुंची और घायल भेड़ों का उपचार करते हुए मृत भेड़ों के पोस्टमार्टम की कार्रवाई की गई। इस तरह लाखों रुपए के नुकसान को लेकर पशुपालक क्षुब्ध है।

यह दर्दनाक हादसा राजसमंद जिले के देवगढ़ तहसील क्षेत्र में मियाला पंचायत के शक्करगढ़ गांव का है। बताया कि शक्करगढ़ के एवल मंगरी निवासी प्रभुसिंह पुत्र कानसिंह के भेड़ उनके बाड़े में थे। तभी अपराह्न तीन बजे अचानक पैंथर ने बाड़े में हमला कर दिया। एक के बाद एक कर पैंथर ने दर्जनों भेड़ों को नोंच डाला और कई भेड़ों को काट खाया। पैंथर के ताबड़तोड़ हमले से 19 भेड़ों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि पैंथर के नाखुन से 10 भेड़ घायल हो गई। भेड़ों की चीख सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे, तो बाड़े से पैंथर दीवार छलांग कर भाग गया। सूचना पर वन विभाग से वनपालक हजारीसिंह एवं पशुपालन विभाग से मुख्य ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीश शर्मा मय टीम के घटना स्थल पर पहुंच गए। बाड़े में पैंथर के हमले से मृत 19 भेड़ों के शव का पोस्टमार्टम किया गया, जबकि गंभीर घायल दस भेड़ों का उपचार किया गया। आवश्यक दवाइयां भी दी गई।

दहशत में ग्रामीण, वन विभाग ने लोगों को किया सतर्क

शक्करगढ़ में दिनदहाड़े पैंथर के हमले की घटना के बाद शक्करगढ़ के ग्रामीणों में भी डर व दहशत व्याप्त हो गई है। दिन में पैंथर के हमला करने से लोगों को घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। वनपालक हजारीसिंह व अन्य वन विभाग के कार्मिक व अधिकारियों ने आमजन को सतर्कता बरतने के नसीहत दी। ग्रामीणों ने पैंथर को पकड़कर अन्यत्र छोड़ने की मांग की। इस पर वन विभाग के कार्मिकों ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।

Panther Count : भारत में कितने हैं पैंथर

हमारे भारत देश में पैंथर को तेंदुआ भी कहते हैं। वन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 में जारी रिपोर्ट के अनुसार देशभर में 12 हजार 852 पैंथर है, जिनकी संख्या वर्ष 2014 में करीब 8 हजार ही थी। इस तरह पैंथर की तादाद भारत देश में काफी बढ़ रही है। बताया गया कि पैंथर की तादाद में पिछले चार सालों में 60 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है, जिसकी वजह से अब पैंथर शहरी आबादी क्षेत्र में भी आने लगे हैं।

पैंथर व तेंदुए एक ही समान

तेंदुआ व पैंथर लगभग एक ही जैसे होते हैं, मगर पैंथर के शरीर पर गोल धब्बे दिखाई देते हैं, जबकि तेंदुए के शरीर पर रोसेट शैली के आकार की आकृतियां मिलती है। तेंदुआ अक्सर अपने शिकार को लेकर पेड़ पर चढ़ जाते हैं। तेंदुए का सिर पैंथर के मुकाबले बड़ा व लंबा होता है तथा तेंदुआ गुर्राता व दहाड़ता अधिक है। इसके अलावा कद काठी व शारीरिक बनावट तो पैंथर व तेंदुआ की लगभग एक ही समान है। इसलिए पैंथर व तेंदुए को आम लोगों के लिए एकाएक पहचानना भी मुश्किल है।

पैंथर नहीं छोड़ता अपना इलाका

वन विशेषज्ञ एवं वन विभाग के एसीएफ विनोद कुमार राय ने बताया कि शहर- गांव के जंगली इलाके में पैंथर का परिक्षेत्र तय होता है। उस इलाके में कभी कोई दूसरा पैंथर नहीं आता है और कुछ इलाके में पैंथर कुनबे के रूप में भी रहते हैं। अगर किसी एक क्षेत्र में पहले से पैंथर है और वह किसी दूसरी जगह चला गया अथवा वन विभाग द्वारा पकड़कर अन्य जंगल में छोड़ दिया जाता है, तो फिर उस जगह पर दूसरी जगह का पैंथर अपने आप ही आ जाता है। ऐसे में नया पैंथर जब भी उस इलाके में आएगा, तो उसे वहां के रास्तों का पता नहीं रहता है और आबादी क्षेत्र को समझने में भी वक्त लगता है और ऐसी स्थिति में वक्त बेवक्त लोगों से आमना सामना होना भी स्वाभाविक है एवं उस स्थिति में लोगों पर हमला भी हो सकता है।

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