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Panther killed by villagers : पैंथर ने किया हमला तो ग्रामीणों ने कुल्हाड़ी से काट डाला, क्या आदमखोर ही था ?

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Panther killed by villagers : राजस्थान के उदयपुर व राजसमंद जिले की सरहद पर स्थित गोगुंदा में आदमखोर पैंथर की तलाश में प्रदेशभर के वनकर्मी, पुलिस, सेना व शूटर तलाशने में जुटे हैं, इसी बीच उदयपुर जिले में ही गोगुंदा से करीब 25 किमी. दूर सायरा के पास पैंथर ने एक किसान पर हमला कर दिया, मगर किसान ने खुद का बचाव करते हुए उसके कान पकड़ लिए। फिर उसके पुत्र सहित अन्य लोग दौड़ आए और कुल्हाड़ी व लाठियों से बचाव में पैंथर को पीटने लगे, तो उसकी मौके पर ही मौत हो गई। पैंथर के हमले से गंभीर घायल किसान का अस्पताल में उपचार जारी है। कुल्हाड़ी के वार से पैंथर उसी जगह ढेर हो गया। अब सवाल उठ रहा है कि क्या गोगुंदा में तलाशा जा रहा पैंथर ही यहां पर आया अथवा यह कोई दूसरा पैंथर है। इसको लेकर अभी तक कोई स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। शुक्रवार तड़के तीन बजे सायरा थाना क्षेत्र के कमाेल गांव की घटना है।

Leopard Attack in udaipur : जानकारी के अनुसार उदयपुर जिले में सायरा थाना क्षेत्र के कमोल गांव में तड़के करीब तीन बजे पैंथर 55 साल के देवाराम के घर में घुस गया, जहां पहले तो बाड़े में बंधी गायों पर हमला किया। गायों की चीख पुकार सुनकर देवाराम तत्काल बाड़े में पहुंचा, जहां पर पैंथर ने उन पर हमला कर दिया। उनके दोनों हाथों को भी जबड़े में दबा लिया और पंजों से भी कई बार वार किया। इस पर देवाराम शोर मचाते हुए कुछ मिनट तक लेपर्ड से बचने का प्रयास करत रहे। इसके बाद ग्रामीणों और परिवार का शोर सुनकर जमीन पर गिरे देवाराम को छोड़कर पैंथर जंगल की ओर भाग गया। इसके बाद ग्रामीणों ने हथियार लेकर उसका पीछा किया। वहीं, घायल देवाराम को नजदीक के हेल्थ सेंटर ले जाया गया। जहां से उन्हें उदयपुर के एमबी हॉस्पिटल में रेफर किया गया। देवाराम का हालत फिलहाल ठीक है, लेकिन डर के कारण वे कुछ भी बोल नहीं पा रहे हैं। वन विभाग के अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि पैंथर का शव देवाराम के घर के पास ही पड़ा मिला। पैंथर के चेहरे पर बड़ा घाव है, जिससे लग रहा है कि किसी धारदार हथियार या कुल्हाड़ी से उस पर हमला किया गया। पैंथर के डर की वजह से इन दिनों ग्रामीण हथियार साथ में रखते हैं। ऐसे में संभावना है कि लेपर्ड को लोगों ने मार डाला हो। पूरे मामले की जांच की जा रही है। कथित तौर पर पैंथर से बचाव में ग्रामीणों द्वारा लाठी व कुल्हाड़ी से वार किए, जिससे पैंथर की मौत हो गई। हालांकि अभी तक वन विभाग द्वारा अधिकारिक तौर पर स्थिति स्पष्ट नहीं की है कि घटना की रियल कहानी क्या है। फिलहाल वन विभाग की टीम ने प्रकरण दर्ज करते हुए सभी पहलुओं पर गहन जांच जारी है और ग्रामीणों व पीड़ितों से भी पूछताछ की जा रही है।

Panther attack in udaipur : गोगुंदा से 25 किमी की दूर कमोल गांव

आदमखोर पैंथर के हमले से उदयपुर जिले के गोगुंदा क्षेत्र में अब तक करीब 9 लोगों की मौत हो चुकी है। आदमखोर पैंथर की तलाश में पुलिस, प्रशासन, वन विभाग व सेना के जवान डटे हुए हैं, लेकिन पैंथर का करीब एक पखवाड़े के बाद भी कोई पता नहीं चल पाया है। इसके चलते गोगुंदा क्षेत्र के ग्रामीणों में डर व दहशत व्याप्त है। इस बीच अब सायरा थाना क्षेत्र में पैंथर का हमला हुआ है। गोगुंदा व सायरा क्षेत्र के लोगों में पैंथर का खौफ है।

Udaipur News : कमाेल क्षेत्र में दो तीन दिन हुए कई हमले

Udaipur News : बताया जा रहा है कि कमोल गांव से करीब 10 किमी दूर ढोल गांव में एक दिन पहले लेपर्ड ने एक ग्रामीण पर हमले का प्रयास किया था। 9 अक्टूबर को लेपर्ड ने ढोल गांव के सरदारपुरा में गाय का शिकार किया था। 4 अक्टूबर 2024 को भी ढोल गांव के कालू सिंह और वाटो का गुड़ा की चपली बाई पर लेपर्ड ने हमले का प्रयास किया था। लगातार हमलों से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है।

Man-eating panther : गाेगुंदा क्षेत्र में आदमखोर नहीं चला पता

Man-eating panther : करीब एक माह से उदयपुर के गोगुंदा, झाड़ोल व सायरा क्षेत्र में पैंथर का आतंक है और उसकी तलाश के लिए कीरब 300 लोगों की टीम 20 से ज्यादा गांवों में तैनात है। गांवों के जंगल में हाईटेक तकनीक से आदमखोर पैंथर को तलाशने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें 12 शूटर भी शामिल हैं। टीम में अलग-अलग टाइगर सेंचुरी से बुलाए गए एक्सपर्ट भी शामिल हैं, लेकिन अब तक आदमखोर लेपर्ड को पकड़ा नहीं जा सका है। हालांकि, इस बीच लेपर्ड के हमले लगातार जारी है। वहीं, अब एक्सपर्ट्स में इस बात को लेकर भी विवाद है कि सही आदमखोर की पहचान कैसे होगी? इस बीच गोगुंदा और झाड़ोल एरिया के गांवों में लेपर्ड के हमले के बाद सायरा एरिया में बढ़े हमले भी प्रशासन के लिए परेशानी बढ़ा रहे हैं।

पोस्टमार्टम के बाद पैंथर के शव की अंतेष्टी

वन विभाग के अधिकारियों ने पैंथर के शव का गोगुंदा पशु चिकित्सालय में डॉक्टरों की टीम से पोस्टमॉर्टम करवाया। फिर पैंथर के शव को सायरा वन विभाग कार्यालय लाया गया, जहां पर गठित कमेटी के सदस्य अधिकारियों की मौजूदगी में पैंथर के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। बताया कि पैंथर के जबड़े व सिर पर कुल्हाड़ी के हमले के निशान मिले हैं। पैंथर ने भैंस के बछड़े को बचाने गए देवाराम पर हमला कर दिया था। बाद में आक्रोशित लोगों ने पीट पीट कर पैंथर को मार डाला।

देखिए लेपर्ड कब कर सकता है हमला, जानिए स्वभाव

पैंथर यानि लेपर्ड का स्वभाव समझ जाए, तो आसानी से पता लगाया जा सकता है कि वह हमला करने वाला है या नहीं। अगर आबादी क्षेत्र में आने ही लग गए हैं, तो स्वाभाविक है कि हमें भी उसका स्वभाव समझना होगा, तभी हमेशा पैंथर से हम सुरक्षित रह सकेंगे और पैंथर भी सुरक्षित रह सकेगा। वन विभाग राजसमंद के एसीएफ विनोद राय ने बताया कि पैंथर कभी एकाएक इंसानों पर हमला नहीं करता, लेकिन अगर पैंथर किसी जगह फंस गया है और चौतरफा लोग या जाने का कोई रास्ता नहीं है, तो ऐसी स्थिति में लोगों पर हमला कर सकता है। यही उसका स्वभाव है। साथ ही अगर लोगों के द्वारा बार बार पैंथर पर पत्थर फेंकने या परेशान करने, भगाने के प्रयास करने से वह चिड़चिड़ा हो सकता है और ऐसी स्थिति में वह लोगों पर हमला कर सकता है। वरना कभी भी पैंथर लोगों पर एकाएक हमला नहीं करेगा और न ही कभी लोगों के रास्ते में आएगा, मगर जब कहीं भी पैंथर दिखाई दे, तो कभी भी उसका रास्ता नहीं काटे, वह अपने आप चला जाएगा। उसे छेड़ने का प्रयास करेंगे, तो वह उत्तेजित हो जाता है और क्रोधित होकर हमला कर सकता है।

पैंथर व तेंदुए एक ही समान

तेंदुआ व पैंथर लगभग एक ही जैसे होते हैं, मगर पैंथर के शरीर पर गोल धब्बे दिखाई देते हैं, जबकि तेंदुए के शरीर पर रोसेट शैली के आकार की आकृतियां मिलती है। तेंदुआ अक्सर अपने शिकार को लेकर पेड़ पर चढ़ जाते हैं। तेंदुए का सिर पैंथर के मुकाबले बड़ा व लंबा होता है तथा तेंदुआ गुर्राता व दहाड़ता अधिक है। इसके अलावा कद काठी व शारीरिक बनावट तो पैंथर व तेंदुआ की लगभग एक ही समान है। इसलिए पैंथर व तेंदुए को आम लोगों के लिए एकाएक पहचानना भी मुश्किल है।

क्या पैंथर नहीं छोड़ता अपना इलाका

वन विशेषज्ञ एवं वन विभाग के एसीएफ विनोद कुमार राय ने बताया कि शहर- गांव के जंगली इलाके में पैंथर का परिक्षेत्र तय होता है। उस इलाके में कभी कोई दूसरा पैंथर नहीं आता है और कुछ इलाके में पैंथर कुनबे के रूप में भी रहते हैं। अगर किसी एक क्षेत्र में पहले से पैंथर है और वह किसी दूसरी जगह चला गया अथवा वन विभाग द्वारा पकड़कर अन्य जंगल में छोड़ दिया जाता है, तो फिर उस जगह पर दूसरी जगह का पैंथर अपने आप ही आ जाता है। ऐसे में नया पैंथर जब भी उस इलाके में आएगा, तो उसे वहां के रास्तों का पता नहीं रहता है और आबादी क्षेत्र को समझने में भी वक्त लगता है और ऐसी स्थिति में वक्त बेवक्त लोगों से आमना सामना होना भी स्वाभाविक है एवं उस स्थिति में लोगों पर हमला भी हो सकता है।

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