रक्षाबंधन पर एक बहन ने भाई की चिता पर राखी बाई। गत दिनों भाई की हृदय गति रूकने से मौत हो गई थी। रक्षाबंधन पर बहन श्मशान पहुंची जहां पर भाई की चिता पर बहन ने रखी बांधी।
राजस्थान के नागौर जिले के हरसौर गांव के चिरंजीलाल बीएसएफ में हैड कांस्टेबल थे जिनका इसी स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में परेड में भाग लेने के बाद हृदयगति थमने से निधन हो गया था। चिरंजीलाल की राजकीय सम्मान से इसी 17 अगस्त को हरसौर में अंत्येष्टि की गई थी। भाई की चिता की आग अभी पूरी तरह से ठंडी भी नहीं हुई थी। परंपरानुसार फूल चुनने के बाद यानी संस्कार के तीसरे दिन लकड़ी की टिमची (पतुली या त्रिपादुका) पर पानी से भरी एक मटकी रखी जाती है। इसमें से बूंद-बूंदकर पानी चिता की राख पर गिरता रहता है और यह प्रक्रिया बारहवें तक चलती है। अपने भाई को राखी बांधने के लिए बहन लक्ष्मी रक्षाबंधन के दिन सुबह अपनी भतीजी यानी चिरंजीलाल की बेटी सांची को साथ लेकर श्मशान पहुंची और वहां टिमची को राखी बांधी।
बहन लक्ष्मी का मन अभी भी नहीं मान रहा कि उसका भाई चिरंजी अब इस दुनिया में नहीं है। तभी तो रक्षाबंधन पर भाई की चिता पर रखी बांध दी। इस दौरान बहन के चेहरे पर दर्द व बेबसी दिख रही थी। बहन ने कहा, भाई देश के लिए शहीद हो चुके लेकिन गर्व है कि आज वह शहीद की बहन कहलाती है। भाई से जुड़ी यादें ताजा करके लक्ष्मी रो पड़ी। चिरंजीलाल तीन भाई थे, जिनमें से अब एक भाई बचा है। उल्लेखनीय है कि चिरंजीलाल छह बार गोल्ड मेडलिस्ट थे।