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कोरोना महामारी में जान गंवाने वाले परिवारों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि जिन लोगों की कोरोना से मौत हुई है, उनके परिवार को मुआवजे की रकम तय करें। साथ ही नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ( NDMA) को निर्देश दिए कि वे नई गाइडलाइन जारी करें।

 कोरोना से मौत होने पर डेथ सर्टिफिकेट जारी करने की व्यवस्था सरल हो। अधिकारी इसके लिए गाइडलाइन जारी करें।  जैसा की फाइनेंस कमीशन ने प्रस्ताव दिया था, उसके आधार पर केंद्र उन उस व्यक्ति के परिवार के लिए इंश्योरेंस स्कीम बनाए, जिसकी जान आपदा में चली गई।  NDMA राहत के न्यूनतम मानकों को ध्यान में रखते हुए कोविड मृतकों के परिवारों के लिए गाइडलाइन 6 हफ्तों के भीतर जारी करे।डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के सेक्शन 12 के तहत NDMA की जिम्मेदारी बनती है कि वह राष्ट्रीय आपदा की स्थिति में पीड़ितों के लिए न्यूनतम राहत रिकमेंड करे। हालांकि, हम केंद्र से ये नहीं कह सकते कि वो इतनी रकम मुआवजे के तौर पर दे।

याचिका में की थी 4 लाख मुआवजे की अपील
जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने गौरव बंसल बनाम केंद्र सरकार और रीपक कंसल बनाम केंद्र सरकार केस में ये फैसला सुनाया है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि कोरोना संक्रमण और संक्रमण के बाद तबीयत खराब होने से जान गंवाने वाले परिवारों को 4 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए। याचिका में यह भी कहा था कि कोरोना से मौत होने पर डेथ सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया सरल की जाए।

पहला कोरोना मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने के लिए केंद्र और NDMA को निर्देश। दूसरा अदालत ने मंगलवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि वे 31 जुलाई तक वन नेशन-वन राशन कार्ड स्कीम लागू करें। केंद्र को निर्देश दिए कि वो असंगठित मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल डेवलप करे ताकि उन्हें स्कीमों का फायदा दिया जा सके। केंद्र राज्यों को राशन मुहैया कराए और राज्य तब तक तब तक कम्युनिटी किचन चलाएं, जब तक देश में महामारी से पनपे हालात खत्म नहीं हो जाते हैं।