Shrinathji Temple https://jaivardhannews.com/tradition-of-prediction-and-ashadhi-tol-in-shrinathji-temple/

जन्म के समय मूसलाधार बारिश से यमुना में उफान की बात हो या फिर गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र का अभिमान तोड़ने की, श्रीकृष्ण का बारिश से खास रिश्ता रहा है। संभवत: यही कारण है कि कई जगह श्रीकृष्ण मंदिरों में अलग-अलग तरीकों से बारिश को लेकर पूर्वानुमान लगाया जाता है। ऐसी अनूठी प्रथा नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में भी 350 साल से चली आ रही है। हर बार की तरह इस बार भी आषाढ़ पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा) यानी 13 जुलाई को मंदिर के खर्च भंडार में तस्वीर के रूप में विराजे श्रीनाथजी के विग्रह के सामने इंद्रदेव की मेहरबानी से लेकर अन्न व चारे के उत्पादन की संभावनाओं का तौल होगा। आषाढ़ी ताैल में तीन तरीकों से मानसून का अनुमान लगाया जाएगा।

पहला- अनाज तौलकर, दूसरा- रुई उड़ाकर व तीसरा- 4 मटकों पर मिट्‌टी के 4 पिंड रखकर। तुलाई के लिए मंदिर में छोटी तराजू व चांदी का 10 ग्राम का सिक्का है। खर्च भंडार से रबी व खरीफ दोनों फसलों का 27 तरह का अनाज लिया जाएगा। गेहूं, मक्का, चना, तिल्ली, उड़द आदि को 10-10 ग्राम में अलग-अलग तौलेंगे। फिर 27 पुड़िया बनाकर अनाज के बीच सुरक्षित रखेंगेे। शेष दूसरे दिन शृंगार दर्शन के बाद सभी 27 पुड़ियाें काे खाेला जाएगा। पंड्या, मुनीम और खर्च भंडार के प्रमुख और श्रद्धालु मौजूद रहेंगे। अनाज की फिर तुलाई होगी। तौल बढ़ा तो अच्छी पैदावार और घटा तो कम। एक जैसा तौल आने पर सब सामान्य।

इसी तरह गुरु पूर्णिमा के दिन ही काली-पीली मिट्टी के चार पिंड बनाकर 4 मटकों के ऊपर रखे जाएंगे। दूसरे दिन पिंडाें से मटकों में आई नमी के आधार पर मानसून के चार महीनों में बारिश का अंदाजा लगेगा। अगर अच्छी नमी ताे अच्छी बारिश, नमी कम तो कम। मंदिर परिसर की छत से रूई उड़ाकर मानसून का रुख तय होता है। हवा पुरवाई चलती नजर आई तो बारिश अच्छी होगी, नहीं तो हवा की अलग-अलग दिशा के आधार पर अलग-अलग नतीजे जारी होंगे। बता दें कि श्रीनाथजी का विग्रह 7 साल के बाल रूप का है।

सबसे पहले खर्च भंडार में ही विराजे थे श्रीनाथजी

औरंगजेब के हमलों से बचाने के लिए भगवान को ब्रज से लाकर सबसे पहले खर्च भंडार वाली जगह विराजित किया गया था। मंदिर निर्माण के बाद प्रतिमा की जगह बदल गई और खर्च भंडार में तस्वीर के रूप में विग्रह लगा दिया। खर्च भंडार से भाेग की सामग्री ली जाती है।

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पिछले साल का अनुमान सही निकला

पिछले साल आषाढ़ी ताैल के जरिये मक्का, चाैला की दाल, ज्वार, जाै, गेहूं में बढ़ाेतरी का दावा किया था। 2021 में राजसमंद में मक्का 8400 मीट्रिक टन, ज्वार 6246, बाजरा 12, जाै 280 मीट्रिक टन ज्यादा पैदा हुआ। गेहूं व मूंग की उपज में कमी का दावा था, लेकिन इनकी उपज भी ज्यादा हुई। जिले में बारिश अनुमान के मुताबिक ज्यादा हुई। 2020 में 620 मिमी, 2021 में 680 मिमी हुई।