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Udaipur Royal Family : मेवाड़ पूर्व राजघराने के मुखिया महेंद्रसिंह का निधन, उदयपुर संभाग में शोक

Udaipur Royal Family : मेवाड़ पूर्व राज परिवार के मुखिया महेंद्रसिंह मेवाड़ का राजसमंद जिले के अनन्ता मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान रविवार दोपहर निधन हो गया। उनके पुत्र नाथद्वारा विधायक विश्वराजसिंह मेवाड़ व राजसमंद सांसद महिमा कुमारी भी अस्पताल में ही थी। वे करीब चौदह दिन तक अस्पताल में भर्ती थे और पिछले एक वर्ष स्वास्थ्य कुछ कमजोर ही रहा। 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। अब 11 नवंबर सुबह 8 स 11 बजे तक उनकी पार्थिव को अंतिम दर्शन के लिए समोर बाग रखा जाएगा। उसके बाद अंतिम यात्रा रवाना होगी, जिसमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी सहित कई प्रदेश व देश के राजपरिवारों के सदस्य, नेता व राजनेता शामिल होंगे।

Royal Family Udaipur : उदयपुर पूर्व राजपरिवार के मुखिया दिवंगत भगवतसिंह के बड़े पुत्र महेंद्रसिंह मेवाड़ वर्ष 1989 में चित्तौड़गढ़ सांसद भी रह चुके हैं। उनके छोटे भाई अरविंदसिंह मेवाड़ है। उनके इकलौते पुत्र विश्वराजसिंह मेवाड़ अभी नाथद्वारा विधायक है, जबकि पुत्रवधू महिमा कुमारी राजसमंद सांसद है। 24 फरवरी 1941 को उदयपुर में जन्मे महेंद्रसिंह मेवाड़ की शादी टेहरी गढ़वाल की राजकुमारी निरुपमा कुमारी से हुई थी। उनके एक बेटा विश्वराजसिंह मेवाड़ व एक पुत्र त्रिविक्रम कुमारी है। उनकी मां का नाम सुशील कुमारी था।परिवार में अभी पौत्री जयती कुमारी व पौत्र देवजादित्य सिंह है। उनकी बेटी त्रिविक्रमा कुमारी का विवाह अखनूर के दिव्य आशीष सिंह जम्वाल से हुआ। उनका पैतृक आवास उदयपुर के समोर बाग में स्थित है।

समोर बाग में होंगे अंतिम दर्शन, फिर अंतेष्टी

बताया जा रहा है महेंद्रसिंह मेवाड़ का निधन होने के बाद 11 नवंबर सुबह 8 बजे से 11 बजे तक उनकी पार्थिव को अंतिम दर्शन के लिए समोर बाग, उदयपुर में रखा जाएगा। उसके बाद समोर बाग से अंतिम यात्रा रवाना होगी, जो जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार, भड़भुजा घाटी, देहली गेट होते हुए महासतियां पहुंचेगी, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

अजमेर में की पढ़ाई, कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़े रहे

महेन्द्र सिंह ने स्कूली पढ़ाई अजमेर के मेयो स्कूल से की। फिर अजमेर के ही सरकारी कॉलेज से स्नातक की। उसके बाद उदयपुर के कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़े रहे। फील्ड क्लब उदयपुर के अध्यक्ष रहे। वर्ष 1923 में स्थापित विद्या प्रचारिणी सभा और भूपाल नोबल्स यूनिवर्सिटी के मुख्य संरक्षक की भूमिका निभाई थी। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा और मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के संरक्षक भी रहे। जनरल काउंसिल एंड बोर्ड ऑफ गवर्नर्स मेयो कॉलेज अजमेर में वाइस प्रेजिडेंट रहे।

Mahendra Singh Mewar : उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने जताया दुख

Mahendra Singh Mewar : राजस्थान की उप मुख्यमंत्री व जयपुर पूर्व राजपरिवार की राजकुमारी दीया कुमारी ने सोशल मीडिया पर महेंद्रसिंह मेवाड़ की तस्वीर साझा करते हुए निधन पर दु:ख व्यक्त किया। साथ ही दिवंगत आत्मा काे श्रीचरण में जगह के लिए ईश्वर से प्रार्थना की और शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना भी व्यक्त की है।

Mewadi Diwan : मेवाड़ का राजसी परम्परा से होगा अंतिम संस्कार

Mewadi Diwan : राजसी परम्परा के तहत महेंद्रसिंह अभी मेवाड़ के मुखिया है, जिससे उनका अंतिम संस्कार भी राजसी परम्परा के तहत ही किया जाएगा। अनन्ता मेडिकल कॉलेज में रविवार अपराह्न कीरब 3 बजे उनका निधन हुआ। अब उनकी पार्थिव देह को उदयपुर में समोर बाग स्थित आवास पर ले जाया जाएगा। फिर मेवाड़ पूर्व राजपरिवार से जुड़े सभी राव, उमराव के साथ प्रदेश व देशभर के पूर्व राजपरिवारों के सदस्यों के साथ नेता व राजनेता भी शामिल होंगे। फिर उनका अंतिम संस्कार अब सोमवार होने की बात बताई जा रही है।

सिसोदिया वंश व राणा प्रताप है इनके पूर्वज

उदयपुर मेवाड़ पूर्व राजपरिवार सिसोदिया वंश है, जिसमें करीब 76वीं पीढ़ी बताई जा रही है। महाराणा प्रताप भी इसी वंश के थे, जिन्होंने कभी ब्रिटिश राज की कभी भी गुलामी स्वीकार नहीं की थी। महाराणा प्रताप की वजह से ही मेवाड़ हमेशा मुगल राज से स्वतंत्र रहा। महाराणा प्रताप ने जंगलों में रहना स्वीकार कर लिया था, मगर मुगलों की अधीनता को स्वीकार नहीं की। इस तरह जंगलों में रहकर फिर से उन्होंने आदिवासी भील परिवारों की नई सेना तैयार करके फिर से मुगलों से लड़ाई लड़े थे। इसके अलावा महाराणा उदयसिंह, जिन्होंने उदयपुर शहर की स्थापना की थी। इसी वंश के राणा सांगा थे, जिनके शरीर पर 78 घाव पड़ने के बावजूद लड़ते रहे। इस तरह उदयपुर सिसोदिया राजवंश से जुड़े राणा व महाराणाओं का इतिहास भी बड़ा ही रोचक और देशभक्ति से ओत प्रोत कर देने वाला रहा। इसी वजह से महाराणा प्रताप को आज मेवाड़ नहीं, बल्कि पूरा देश उनकी ख्याति को नमन करता है। आज भी महाराणा प्रताप के संघर्ष भरे जीवन को आत्मसात करने की सीख दी जाती है।

महेंद्रसिंह 1989 में बने थे चित्तौड़गढ़ के सांसद

उन्होंने मेवाड़ में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ यात्रा का नेतृत्व किया था। फिर वर्ष 1989 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर चित्तौड़गढ़ के सांसद चुने गए थे। फिर वर्ष 1990 में उद्योग मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य बने थे। बाद में कांग्रेस में शामिल हुए और दोबारा चुनाव लड़ा, जिसमें चुनाव हार गए थे। उन्होंने अजमेर के मेयो कॉलेज से स्नातक किया था, जो एक अच्छे खिलाड़ी भी थे।

पिता के निधन पर 1984 में बने थे राजघराने के मुखिया

महेंद्रसिंह मेवाड़ वर्ष 1984 में उनके पिता भगवतसिंह का निधन होने पर मेवाड़ पूर्व राजपरिवार के मुखिया बने थे। बताते हैं कि महेंद्र सिंह ने अपनी विरासत और गुजरे दौर के स्‍मारकों को सहेजने का काम किया। वे कहते थे कि सिसोदिया राजवंश की 76वीं पीढ़ी के रूप में यह उनकी जिम्‍मेदारी है। राजसी परम्परा के तहत 1984 में उनकी ताजपोशी हुई थी और वे मेवाड़ राजपरिवार के मुखिया माने गए। यानि उन्हें महाराणा की पदवी मिली है।

पहले रिकॉर्ड वोट से जीत थे महेंद्रसिंह मेवाड़

महेंद्र सिंह ने वर्ष 1989 में भाजपा के टिकट पर चित्तौड़गढ़ से लोकसभा में चुनाव लड़ा। तब 3,97,056 वोट मिले और उनके सामने कांग्रेस से निर्मला कुमार थीं, जिन्हें 2,05,318 वोट मिले। फिर 1991 के लोकसभा चुनाव में महेंद्र सिंह ने भाजपा को छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया। तब कांग्रेस ने चित्तौड़गढ़ लोकसभा से टिकट देकर मैदान में उतारा। उनके सामने भाजपा से जसवंत सिंह जसोल थे। जसोल चुनाव जीत गए। जसवंत सिंह को 2,56,166 और मेवाड़ को 2,37,748 वोट मिले थे। उसके बाद फिर वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में महेंद्र सिंह मेवाड़ को कांग्रेस ने फिर भीलवाड़ा से टिकट दिया। इस चुनाव में भाजपा के सुभाष चंद बहेड़िया ने हरा दिया। उन्हें 1,95,522 वोट और बहेड़िया को 2,12,731 वोट मिले थे। उसके बाद महेंद्रसिंह राजनीति से दुरिया बना ली थी।

महेंद्रसिंह मेवाड़ से जुड़े फोटो की गैलरी, देखिए

Royal Family Udaipur in Mahendra Singh Mewar
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मेवाड़ पूर्व राजपरिवार में वर्षों पुराना संपत्ति विवाद

उदयपुर पूर्व राजपरिवार की संपत्ति को लेकर विवाद करीब 41 साल पुराना है, जो कि न्यायालय में विचाराधीन है। उदयपुर सिटी पैलेस से जुड़ी संपत्ति का विवाद है। शाही पैलेस, शंभू निवास, बड़ी पाल व घास घर आदि भी है। ऐसे में करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीन को लेकर न्यायालय में वाद विचाराधीन है। कहते हैं कि 1955 से 1983 तक मेवाड़ पूर्व राजपरिवार की सारी संपत्ति भगवत सिंह के पास रही। भगवतसिंह के दो बेटे महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह, एक बेटी योगेक्षरी है। फिलहाल महेंद्रसिंह सबसे बड़े पुत्र है, फिर अरविंदसिंह व बहन योगेश्ववरी है। तीनों भाई बहनों के बीच सम्पत्ति का विवाद है।

अभी उदयपुर पूर्व राजपरिवार की यह स्थिति

उदयपुर पूर्व राजपरिवार में भगवतसिंह के समय से विवाद है। उनके दो बेटे महेंद्रसिंह व अरविंदसिंह व एक बेटी योगेश्वरी हैं। इसके तहत महेंद्रसिंह के परिवार में नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह बेटा है तो राजसमंद सांसद महिमा कुमारी उनकी पुत्रवधू हैं। इसके अलावा डॉ. लक्ष्यराज सिंह जो कि अरविंद सिंह के पुत्र हैं और निवृत्ति कुमारी उनकी पुत्रवधू हैं. फिलहाल सिटी पैलेस पर अरविंद सिंह व उनके पुत्र लक्ष्यराज सिंह का परिवार रहता है, जबकि महेंद्रसिंह व उनके पुत्र विश्वराज सिंह का परिवार सिटी पैलेस से बाहर समोर बाग में बने पैलेस में रहते हैं।

मेवाड़ पूर्व राजपरिवार का यह है इतिहास

महेंद्र सिंह मेवाड़

महेंद्रसिंह मेवाड़ का विवाह टिहरी गढ़वाल के महाराजा मानवेन्द्र शाह की पुत्री कुमारी निरुपमा से हुआ। 1989 में चित्तोड़गढ़ से सांसद भी रहे। उनकी दो संताने थी। बेटा विश्वराजसिंह है, जिनका विवाह पंचकोट पूर्व राजपरिवार के जगदीश्वरी प्रसाद सिंह देव की पुत्री राजकुमारी महिमा कंवर से हुआ। विश्वराजसिंह अभी नाथद्वारा के विधायक है, जबकि महिमा कुमारी राजसमंद की सांसद है। इनके भी दो संतान है- भंवर देवराजदित्य सिंह व बाईसा जयती कुमारी है। महेंद्रसिंह मेवाड़ की बेटी राजकुमारी त्रिविक्रमा का विवाह अखनूर के कंवर दिव्य आशीष सिंह से हुआ।

अरविंदसिंह मेवाड़

अरविंदसिंह मेवाड़ का विवाह कच्छ की राजकुमारी विजयराज कुमारी से हुआ। इनकी 3 संतानें हैं, जिनमें बेटी कुमारी भार्गवी का विवाह घाणेराव के कुंवर लोकेंद्र सिंह राठौड़ से हुआ, जबकि दूसरी बेटी कुमारी पद्मजा का विवाह संतरामपुर के कुंवर कुश सिंह परमार के साथ हुआ। इसके अलावा तीसरा बेटा डॉ. लक्ष्यराज सिंह का विवाह पटना के राजा कनक वर्द्धन सिंह देव की पुत्री निवृत्ति कुमारी से हुआ। इनकी 2 पुत्रियां व एक बेटा है। बेटियों का नाम कुमारी मोहलक्षिका व कुमारी प्राणेश्वरी है। एक छोटा बेटा भी है।

चर्चा में रहे विश्वराज व महिमा कुमारी

उदयपुर में हाल ही सितंबर- अक्टूबर में उदयपुर यात्रा के दौरान विधायक विश्वराज व सांसद महिमा कुमारी ने सवाल उठाए थे। इसके तहत उन्होंने राष्ट्रपति महोदया को लिखे पत्र में बताया कि जिन संपत्तियों का वे दौरा करने जा रही हैं, वे न्यायालयों के स्थगन आदेशों के अधीन हैं। सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अवमानना आवेदन के अधीन हैं और कर विभाग व जिला न्यायालय द्वारा एचयूएफ संपत्तियां घोषित कर रखी है। (उच्च न्यायालय के समक्ष अपील लंबित है।) विधायक विश्वराज सिंह ने लिखा कि उनके पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ (पूर्व सांसद भाजपा) इस एचयूएफ के वैधकर्ता हैं और महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन के वैध अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने लिखा कि राष्ट्रपति इन संपत्तियों का दौरा राष्ट्रपति कार्यालय की गरिमा के हिसाब से ठीक नहीं हैं। वो भी कर्ता और परिवार के मुखिया के साथ कोई संवाद किए बिना। इस यात्रा से प्रशासन को भी गलत संदेश जाएगा। ऐसे में इन तथ्यों पर गौर करते हुए और इस उच्च पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए महामहिम इन संपत्तियों पर न जाकर अपने कार्यक्रमों को संशोधित करें। साथ ही यह जांच करें कि वे कौन लोग हैं, जिन्होंने यह प्रस्ताव दिया था। इसके अलावा विश्वराज सिंह मेवाड़ ने नवंबर 2022 में भी G 20 की शिखर सम्मेलन शेरपा बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री को एक पत्र लिखकर सवाल उठाए और आपत्ति दर्ज करवा चुके हैं। तब भी पत्र में लिखा कि मेवाड़ पूर्व राजपरिवार के सदस्य के तौर पर आपत्ति दर्ज करवाई थी। तब भी सिटी पैलेस उदयपुर में प्रस्तावित कार्यक्रम को स्थगित करने की मांग उठाई गई थी। इस तरह सिटी पैलेस पहले भी सम्पत्ति विवाद को लेकर पहले भी कई बार सवाल, आपत्ति को लेकर सुर्खियों में रहा है।

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