Video… महाराणा प्रताप के शौर्य से ये कैसा मजाक, न जन्म कक्ष खुलता है न कोई इतिहास बताने वाला

ByParmeshwar Singh Chundawat

May 21, 2023 #1 rupee coin maharana pratap, #151 भाग महाराणा प्रताप, #2 जून महाराणा प्रताप, #amazing facts about maharana pratap, #how did maharana pratap died, #jaivardhan news, #jayavardhan news, #jayvardhan news, #live rajsamand, #maharana pratap 154, #maharana pratap 2, #maharana pratap 2023, #maharana pratap 272, #maharana pratap jannat zubair, #maharana pratap ringtone zedge, #maharana pratap serial jannat zubair, #maharana pratap wallpaper zedge, #maharana pratap weapons weight, #maharana pratap weight and height, #maharana pratap wife death, #maharana pratap wife name in hindi, #maharana pratap yadav, #maharana pratap yanchi mahiti, #maharana pratap year, #maharana pratap youtube, #maharana pratap youtube video, #maharana pratap yuddh, #maharana pratap yudh, #maharana pratap yudh haldighati ka, #maharana pratap yudh niti, #maharana pratap yudh photo, #maharana pratap zee tv, #maharana pratap zee5, #maharana pratap zodiac sign, #maharana pratap zoo, #Maharana Prtap, #Maharana prtap birth place, #Maharana Prtap Jayanti, #mewad maharana prtap, #mewar news, #Rajasthan news, #rajasthan news live, #rajasthan police, #rajsamand news, #udaipur me maharana prtap, #udaipur news, #कुम्भलगढ़ दुर्ग, #महाराणा प्रताप, #महाराणा प्रताप इतिहास, #महाराणा प्रताप का जन्म स्थल, #महाराणा प्रताप की कहानी, #महाराणा प्रताप की जन्म और कर्म स्थली कुंभलगढ़, #मेवाड़ का इतिहास, #मेवाड़ के गौरव की कहानी, #मेवाड़ दर्शन, #मेवाड़ राजघराना, #लक्ष्यराजसिंह मेवाड़, #हल्दीघाटी, #हल्दीघाटी खमनोर, #हल्दीघाटी युद्ध, #हल्दीघाटी राजसमंद, #हल्दीघाटी विजय दिवस


देश के गौरव का प्रतीक महाराणा प्रताप की जन्म व रणस्थली से सरकार ने कू्रर मजाक किया है। तभी प्रताप जन्म कक्ष के ताले यदा-कदा ही खुलते हैं और करोड़ों की लागत से बने हल्दीघाटी के राष्ट्रीय स्मारक और दिवेर के विजय स्मारक का धोरी ही नहीं मिल पाया। देशभक्ति और शौर्य की प्रतीक राजसमंद की धरा पर महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़े कई ऐतिहासिक स्थल हैं, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के चलते खुदबुर्द हो रहे हैं।

जानकारी के अनुसार कुंभलगढ़ दुर्ग पर महाराणा प्रताप जन्म कक्ष के अक्सर ताले ही लगे रहते हैं। इस कारण अब तक दुर्ग भ्रमण के लिए आने वाले सैलानी भी प्रताप कक्ष से बेखबर हैं। क्योंकि दुर्ग पर गाइड की कोई सुविधा ही नहीं है। इसके अलावा हल्दीघाटी दर्रा, खोड़ी इमली, राष्ट्रीय स्मारक हल्दीघाटी, दिवेर में मेवा का मथारा (विजय स्मारक), गोकुलगढ़ का महल, मिनिकियावास में प्रताप भगड़ सहित कई एतिहासिक स्थल उपेक्षित हैं। हल्दीघाटी के अलावा कोई भी स्थल पर्यटकों की पहुंच में नहीं है। कुंभलगढ़ दुर्ग पर्यटकों से आबाद रहने के बावजूद जानकारी के अभाव में प्रताप कक्ष की महत्ता बताने व दिखाने की कोई व्यवस्था नहीं है। मातृभूमि की रक्षा एवं स्वाभिमान के लिए दुनियाभर में मशहूर राजसमंद की धरा को ऐतिहासिक स्वरूप में विकसित कर पर्यटक को आकर्षित नहीं कर सका। सरकार द्वारा हल्दीघाटी, दिवेर व कुंभलगढ़ में चेतक स्मारक, राष्ट्रीय स्मारक, शाहीबाग, हल्दीघाटी में बनाए उद्यान सूने ही रहते हैं, जहां इतिहास की जानकारी देने वाला तक कोई नहीं है।

कौन बताए इतिहास?

महाराणा प्रताप से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों के प्रचार प्रसार का लकर कोई प्रयास नहीं हुए और न ही ऐसी कोई व्यवस्था की है। पर्यटन विभाग ने न तो अपनी वेबसाइट, ब्रोशर और प्रचार सामग्री में राष्ट्रीय स्मारक को तवज्जो दी और न ही यहां कोई टूरिस्ट गाइड तैनात किया। किसी भी जगह महराणा प्रताप के इतिहास को लेकर न तो कोई प्रयोगशाला बनी और न ही प्रताप से जुड़े स्थलों पर ही उनकी विस्तृत जानकारी अंकित है।

123 https://jaivardhannews.com/what-kind-of-joke-is-this-with-the-bravery-of-maharana-pratap/

उजड़ गया संरक्षण स्थल

महाराणा प्रताप का गुप्त संरक्षण स्थल गोकुलगढ़ का किला रख रखाव व संरक्षण क अभाव में उजड़ गया है। चार परकोटे में 25 ऊंचाई व लगभग 24 हजार वर्ग फीट में बने किला अब जीर्ण-शीर्ण हो गया है। रावली-टाडग़ढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य में महाराणा प्रताप ने 1856 ईस्वी में हल्दीघाटी युद्ध के बाद गोकुलगढ़ को ही गुप्त तैयारीयों का कैन्द्र बनाकर दिवेर एवं आस-पास के राणाकडा नामक क्षेत्र में मुगल छावनी पर छापामार युद्ध कर 1562 ईस्वी में दिवेर युद्ध में विजयी प्राप्त की थी।

प्रताप जन्म कक्ष पर ताला

कुंभगलढ़ दुर्ग स्थित प्रताप जन्म कक्ष पर हर वक्त ताला ही लगा रहता है। हालांकि कक्ष पूर्णतया खाली है, भारतीय पुरातत्व विभाग के मनमाने रवैये के चलते प्रताप कक्ष का ताला वर्षभर में सिर्फ प्रताप जयंती के दिन ही खुलता है। ताले लगे होने से दुर्ग पर आने वाले पर्यटक प्रताप कक्ष के इतिहास को ही नहीं जान पाते हैं और उन्हें बैरंग लौटना पड़ता है।

देखिए 1997 में शुरू हुई थी उत्थान की कहानी

हल्दीघाटी राष्ट्रीय स्मारक का शिलान्यास 21 जून, 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्द्रकुमार गुजराल, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, तत्कालीन राज्यपाल बलिराम भगत, तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत, तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री एस.आर. बोम्मई के आतिथ्य में हुआ। केन्द्र व राज्य में सरकारें बदलने से मेवाड़ कॉम्प्लेक्स योजना का काम अटकता रहा। केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग और राजस्थान पर्यटन विकास निगम के साझे में सितम्बर 2008 में निर्माण पूरा हो सका। दो एप्रोच रोड, ओपन थियेटर, गार्डन, पार्किंग, बाथरूम-टॉयलेट, परिधि की दीवार, फाउंडेशन, फव्वारा, स्टेच्यू आदि बनाए गए। निर्माण पर दो करोड़ चार लाख रुपए तथा प्रतिमा निर्माण पर 11 लाख रुपए व्यय हुए। 21 जून, 2009 को केन्द्रीय मंत्री डॉ. सी.पी. जोशी के मुख्य आतिथ्य में इसका उद्घाटन हुआ। संचालन का जिम्मा जून 2011 का प्रशासन ने आनन फानन में प्रताप स्मृति संस्थान को सौंप दिया। निष्क्रीय समिति को कार्य सौंपने, कलक्टर की अनुमति बगैर दुकानों के टेण्डर निकालने के खुलासे पर सितम्बर 2011 में कलक्टर रद्द कर दिया। तब से राष्ट्रीय स्मारक अब सिर्फ एक चौकीदार के भरोसे ही चल रहा है।

पुठोल में प्रताप का शौर्य ‘अमर

hadigati5 edited https://jaivardhannews.com/what-kind-of-joke-is-this-with-the-bravery-of-maharana-pratap/

’महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़े स्थलों को विकसित करने में भले ही सरकार उदासीन हैं, लेकिन कुछ लोग आज भी उनके आदर्शों को अमर करने में जुटे हुए हैं। पुठोल चौराहे पर प्रताप की आदमकद मूर्ति स्थापित कर ऐसा सर्कल विकसित कर दिया, जो सदियों तक भावी पीढ़ी को प्रताप की याद रहेगी। मुण्डोल ग्राम पंचायत ने आरके मार्बल के सहयोग से पांच वर्ष पहले साढ़े तीन लाख रुपए खर्च कर प्रताप सर्कल विकसित कर अश्वारुढ़ प्रतिमा स्थापित की। सर्कल पर लघु उद्यान भी विकसित किया, जो क्षेत्र में आने वाले हर शख्स को महाराणा प्रताप की यशोगाथा याद दिलाता है। प्रताप के प्रति आमजन को जोडऩे के लिए ग्राम पंचायत मुण्डोल ने प्रताप जयंती पर दो दिवसीय मेले की शुरुआत कर दी, जो भी अपने आप में अनूठा प्रयास है। सरपंच खुमसिंह मुंदावत अब प्रताप सर्कल के सौन्दर्यीकरण व विकास को लेकर नई योजना बनाने व उसे मूर्त रूप देने में जुटे हुए हैं।

More News : कुंभलगढ़ दुर्ग में महाराणा प्रताप के जन्म कक्ष बंद रहने का रहस्य, देखिए

इन्हें नहीं मिल पाया संरक्षण

  • कुंभलगढ़ में प्रताप जन्म कक्ष
  • प्रताप भगड़ मिनकियावास (कालागुमान)
  • गोकुलगढ़ का किला छापली
  • चेतक समाधि स्थल
  • शिव मंदिर हल्दीघाटी