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Wife Love Affair : पत्नी से अवैध संबंध की घटनाएं व कहानियां तो कई सुनी होगी, लेकिन आज जो रियल घटना पर आधारित यह कहानी सुनेंगे, तो आपके रोंगटे खडे हो जाएंगे। इसमें अपनी पत्नी को किसी अन्य के साथ रंगरेलियां मनाते पति देख लेता है और रंगे हाथ पकड लेता है। फिर भी पति न तो पत्नी और न ही उसके साथ रंगरेलिया मना रहे व्यक्ति को टोकता है। हद तो तब हो गई, जबकि उसने अपनी ही पत्नी की उस व्यक्ति से शादी तक करवा दी, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि उसने अपनी पत्नी की गैर मर्द से शादी करवा दी। फिर भी वह उसी के साथ रहती थी और उस व्यक्ति का जब मन करता, वह उसके घर आकर उसके साथ खुलेआम अवैध संबंध बनाता रहता था। यह सिलसिला कई वर्षों तक चलता रहा। फिर एकाएक ऐसा क्या हुआ कि अपनी पत्नी को गैर मर्द के हवाले कर देने वाले की हत्या हो गई। आखिर उसकी हत्या किसने व क्यों की होगी, यह सवाल हर किसी के जेहन में था।

Real Crime Kahani : रियल घटना पर आधारित कहानी में यह मनहूस दिन था 10 दिसंबर 2013। दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम को दोपहर 3 बजे के आस पास सूचना मिली कि मदनपुर खादर के श्रीराम चौक से आगे यमुना खादर की झाडि़यों में एक लाश पड़ी है। चूंकि यह इलाका दक्षिण पूर्वी जिले के थाना जैतपुर के अंतर्गत आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम ने यह सूचना थाना जैतपुर को दे दी। पीसीआर वैन भी सूचना में बताए पते पर रवाना कर दी गई। सूचना मिलते ही थाने में इंसपेक्टर रविंद्र कुमार तोमर तत्काल सब इंस्पेक्टर नरेंद्र, हेमंत कुमार, हेड कांस्टेबल बलिंदर को लेकर श्रीराम चौक के लिए रवाना हो गए। श्रीराम चौक थाने से करीब 200 मीटर दूर था, इसलिए 5 मिनट में सभी वहां पहुंच गए। वहां पता चला कि लाश पुश्ता से करीब 500 मीटर दूर यमुना खादर की झाडि़यों में है। वहीं से झाडि़यों के पास कुछ लोग खड़े दिखाई दिए तो इंसपेक्टर रविंद्र तोमर साथियों के साथ पहुंच गए। वहां पीसीआर वैन भी खड़ी थी। झाडि़यों के बीच में एक युवक की लाश थी, जिसकी उम्र 25-30 साल होगी। युवक जींस और गुलाबी रंग का स्वेटर पहने था। उसका सिर व चेहरा कुचला हुआ था। पास एक ईंट पड़ी थी, जिस पर खून लगा था। उसमें कुछ बाल भी चिपके हुए थे। पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारों ने इसी ईंट से इसका चेहरा कुचला होगा, ताकि लाश की पहचान न हो सके। लाश देखकर लग रहा था कि चेहरे व गरदन का मांस किसी जानवर ने खाया है। चेहरा कुचला होने की वजह से वहां मौजूद कोई भी आदमी लाश को पहचान नहीं पाया। तलाशी लेने पर उसकी जेब से एक पर्स मिला, जिसमें 6 फोटो थे। उनमें से 2 फोटो पुरुष के थे और 4 किसी महिला के मिले। इसके अलावा पर्स में कुछ विजिटिंग कार्ड भी थे। वे सभी एसी, कूलर की सर्विस आदि से संबंधित थे। जेब में 1400 रुपए नकद के अलावा बैंक में पैसे जमा करने की एक स्लिप भी थी। वह स्लिप जामिया काॅपरेटिव बैंक मदनपुर खादर की थी, जिससे अयुब ने किसी शहनाज के खाते में जुलाई महीने में 40 हजार रुपए जमा करवाए थे। मृतक की जेब से नकदी मिलने के बाद यह तो साफ हो गया कि हत्या लूट के लिए नहीं की गई थी। हत्या क्यों की गई और किस ने की, यह जांच का विषय बाद का था। सबसे पहला काम लाश की शिनाख्त कराना था। उसकी जेब से जो विजिटिंग कार्ड्स मिले थे, पुलिस ने उनमें लिखे फोन नंबरों पर संपर्क किया तो उनमें से किसी से मृतक के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई। अब पुलिस के पास केवल बैंक पर्ची बची थी। इंसपेक्टर रविंद्र कुमार तोमर ने आगे की जांच के लिए 2 कांस्टेबलों को जामिया कॉपरेटिव बैंक भेज दिया। वहां से पता चला कि वह एकाउंट जिस शहनाज के नाम का था, वह शाहीन बाग में रहती थी। वहां से शहनाज का मोबाइल नंबर भी मिल गया था।
घटना स्थल पर पुलिस ने लाश का पंचनामा भर कर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की मोर्चरी में रखवा दिया। इस ब्लाइंड मर्डर को सुलझाने के लिए डीसीपी डॉक्टर पी करुणाकरन ने सरिता विहार के एसीपी विपिन कुमार नायर की देखरेख में एक पुलिस टीम बना दी। टीम में थाना प्रभारी अरविंद कुमार, इंसपेक्टर रविंद्र कुमार तोमर, एसआई नरेंद्र, हेमंत कुमार, रोहित कुमार, हेड कांस्टेबल बलिंदर, रविंदर, कांस्टेबल विकास, कुलदीप, निरंजन, मामचंद, बृजपाल, हवा सिंह को शामिल किया।
पुलिस को बैंक से शहनाज का जो मोबाइल नंबर मिला, उस पर कॉल करने पर इमरान नाम के किसी व्यक्ति ने उठाया। इंसपेक्टर तोमर ने कहा कि हमें यमुना खादर की झाडि़यों से एक युवक की लाश मिली है। मरने वाले की जेब से कुछ फोटो भी मिले हैं। उन फोटो को पहचानने के लिए तुम थाना जैतपुर आ जाओ। इस पर इमरान बोला कि वह तो उस वक्त बाहर है, लेकिन वह उसके छोटे भाई को थाने भेज रहा है। करीब आधे घंटे बाद ही इमरान का भाई थाने आ गया। पुलिस ने जब उसे वे फोटो दिखाए तो उसने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया। इंसपेक्टर तोमर ने अपने मोबाइल फोन से लाश के कुछ फोटो खींच लिए थे। खींचे गए वे फोटो जब उसे दिखाए गए तो वह लाश को भी नहीं पहचान सका। इसके 2 घंटे बाद इमरान भी थाने आ गया। इंसपेक्टर तोमर ने जब पर्स में मिले फोटो उसे दिखाए तो फोटो देखते ही वह बोला कि यह फोटो तो अयुब के हैं।
यह जरूरी नहीं था कि पर्स में अयुब के फोटो मिले थे तो लाश भी उसी की रही हो। इसलिए उन्होंने मोबाइल फोन से खींचे गए लाश के फोटो इमरान को दिखाए तो उसने उसे पहचानने से इनकार कर दिया। इमरान से पूछताछ में पता चला कि अयुब नोएडा के गांव कुलेसरा का रहने वाला था। चूंकि उस दिन अंधेरा गिर चुका था, इसलिए पुलिस ने अगले दिन नोएडा जाने का कार्यक्रम बनाया।
11 दिसंबर 2013 को एक पुलिस टीम नोएडा के कुलेसरा स्थित अयुब के घर पहुंची। वहां अयुब की बीवी नूर फातिमा मिली। पुलिस ने जब उससे उसके पति के बारे में पूछा तो उसने कहा कि वह कल से कहीं गए हुए हैं, लेकिन मुझे बता कर नहीं गए कि वह कहां गए हैं? वैसे भी वह अक्सर घर से बिना बताए 2-3 दिनों के लिए जाते रहते हैं। आज या कल लौट आएंगे, मगर आप लोग उनके बारे में क्यों पूछ रहे हैं?

Crime Story : इस पर पुलिस टीम ने बताया कि दरअसल कल दिल्ली के यमुना खादर में एक लाश मिली है। थाने चल कर तुम लाश के फोटो और सामान देख लो। पुलिस वालों ने कहा तो नूर फातिमा उनके साथ थाना जैतपुर आ गई। इंसपेक्टर रविंद्र कुमार तोमर ने मोबाइल फोन से खींचे गए लाश के फोटो पर फातिमा को दिखाए तो वह बोली कि वह कपड़े तो इसी तरह के पहने हुए थे, लेकिन चेहरा कुचला होने की वजह से पहचान में नहीं आ रहा है। मृतक के पर्स से जो फोटो मिले थे, पुलिस ने उन्हें भी नूर फातिमा को दिखाए। पता चला कि उनमें से 2 फोटो अयुब के थे और 4 नूर फातिमा के। लाश की पहचान के लिए पुलिस नूर फातिमा को एम्स की मोर्चरी ले गई। लाश का चेहरा भले ही कुचला हुआ था, मगर कपड़े और कद काठी से उसने तुरंत पहचान लिया। लाश उसके पति अयुब की ही थी। फातिमा फफक कर रोने लगी। लाश की शिनाख्त होने पर पुलिस ने राहत की सांस ली। अब पुलिस का अगला काम हत्यारों का पता लगाना था। पुलिस ने सबसे पहले नूर फातिमा से अयुब के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह मारुति कार सड़क के किनारे लगाकर कपड़ों की सेल लगाते थे। यह कार इमरान की थी और कपड़े भी इमरान ही बिकवाता था। उन्हें तो केवल मजदूरी मिलती थी। कभी कभी वह 1-2 दिनों बाद घर लौटते थे। इसके अलावा उनकी रोजाना शराब पीने की आदत थी। कल शाम को भी वह कार लेकर घर से निकले थे। रात को जब वह घर नहीं लौटे तो मैंने सोचा कि कहीं चले गए होंगे। आज इमरान ने मारुति की चाबी और उनका मोबाइल फोन मुझे देते हुए कहा था कि अयुब जरूरी काम से कहीं गया है, जो एक दो दिन में आ जाएगा, लेकिन अब मुझे पता चल रहा है कि किसी ने उनकी हत्या कर दी है। कोई न कोई वजह जरूर रही होगी, जिससे उसे जान से हाथ धोना पड़ा। वह किन किन लोगों के साथ शराब पीता था और उसकी किसी से कोई दुश्मनी वगैरह तो नहीं थी। इस बारे में पुलिस ने फातिमा से पूछा तो उसने बताया कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी रही हो, ऐसी जानकारी उसे नहीं है। उसे यह भी पता नहीं कि वह किस किसके साथ शराब पीते थे।

Love Affair With Murder : पुलिस को फातिमा की बात पर विश्वास नहीं हो रहा था, इसलिए पुलिस ने अयुब, नूर फातिमा और इमरान के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई। इस काॅल डिटेल्स से पुलिस को चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं। पुलिस को पता चला कि 9 दिसंबर शाम साढ़े 9 बजे इमरान और अयुब के मोबाइल की लोकेशन कालिंदी कुंज की जेजे कालोनी, पुस्ता रोड के पास थी और पुश्ते से थोड़ी दूर आगे ही यमुना खादर में अयुब की लाश मिली थी। इसका मतलब यह था कि उस रात दोनों साथ थे। यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने इमरान को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया। पुलिस ने इमरान से पूछा कि 9 दिसंबर शाम को तुम कहां थे। इस पर इमरान बोला कि मैं शाम को अपने घर था। इस पर पुलिस टीम ने पूछा कि तुम झूठ बोल रहे हो। इंस्पेक्टर रविंद्र ने कहा कि घर के बजाय तुम कहीं और थे। इस पर इमरान बोला कि सर, वह सच बोल रहा हे। उस रात मैं घर पर ही था, चाहें तो आप मेरे घर वालों से पूछ लीजिए। इंसपेक्टर तोमर के पास इस बात के पुख्ता सुबूत थे कि इमरान व अयुब के मोबाइल की लोकेशन पुश्ता रोड की थी। वह जान रहे थे कि इमरान झूठ बोल रहा है। इसलिए उन्होंने उससे मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ शुरू की। इस पूछताछ में वह सच उगलने को मजबूर हो गया। उसने कबूल कर लिया कि अयुब ने उसका जीना हराम कर दिया था, इसलिए मजबूरी में उसे उसकी हत्या करनी पड़ी। उसने बताया कि उसे मारने में उसके साथ उसके 2 दोस्त भी थे। इसके बाद उसने हत्या की जो वजह बताई, वह चौंकाने वाली थी।

Muder Mystery : अयुब मूलत: उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद के गजरौला का रहने वाला था। उसकी शादी नूर फातिमा से हुई थी। अयुब मेहनत मजदूरी करता था। उसके गांव के कई लड़के दिल्ली, नोएडा में काम करते थे। उन लड़कों के पहनावे और खान पान में काफी अंतर था। उनके ठाठ बाट देख कर अयुब के मन में भी घर से बाहर जाकर काम करने की इच्छा हुई। करीब 15 साल पहले काम की तलाश में वह नोएडा आ गया। क्योंकि नोएडा में उसका एक करीबी दोस्त रहता था। यहां वह एक ठेकेदार के साथ मकानों की पुताई का काम करने लगा। अयुब ठीक ठाक कमाने लगा तो गांव से पत्नी नूर फातिमा को भी नोएडा ले आया और कुलेसरा गांव में किराए का कमरा लेकर रहने लगा। करीब 3 साल पहले की बात है कि अयुब दिल्ली के मदनपुर खादर एक्सटेंशन की कच्ची काॅलोनी में रहने वाले इमरान के यहां पुताई करने गया। इमरान भी मूलत: मुरादाबाद के गजरौला कस्बे का रहने वाला था। उसके परिवार में पत्नी शहनाज के अलावा 4 बच्चे थे।

वह अलग अलग इलाकों में सड़क किनारे कार खड़ी कर कपड़ों की सेल लगाता था। इसके अलावा वह प्रोपर्टी डीलिंग का भी काम करता था। उसके यहां कूलर का भी काम होता था। कुल मिलाकर उसकी अच्छी खासी आमदनी थी। घर पर काम करते समय उसकी अयुब से बात हुई तो पता चला कि वह भी गजरौला का ही रहने वाला है। इमरान को उससे सहानुभूति हो गई। अयुब अपने काम से परेशान था, इसलिए उसने इमरान से अपने लिए कोई दूसरा काम बताने को कहा। इमरान के कई तरह के काम थे। उसे अपने साथ काम करने के लिए एक विश्वसनीय आदमी की जरूरत थी। इसलिए उसने अयुब को अपने साथ काम करने को कहा। अयुब तैयार हो गया और फिर वह उसके साथ काम करने लगा। अयुब अब इमरान के साथ सेल लगाकर कपड़े बेचने लगा। इमरान के साथ अयुब के अलावा 2 अन्य लड़के भी काम करते थे। चूंकि इमरान और अयुब एक ही जिले के रहने वाले थे, इसलिए उनकी आपस में अच्छी पटने लगी थी। इमरान का अयुब के घर भी आना जाना हो गया। इमरान के ठाठ बाट देखकर अयुब की बीवी नूर फातिमा उससे काफी प्रभावित हुई। वह बहुत महत्वाकांक्षी थी। पति की जो आमदनी थी, उससे उसकी महत्वाकांक्षाएं पूरी होनी तो दूर, घर का खर्च तक नहीं चलता था। नूर फातिमा का अपनी ओर होने वाला झुकाव 4 बच्चों का बाप इमरान समझ गया। वह भी खुद को रोक नहीं सका और उसे चाहने लगा। वह नूर फातिमा की आर्थिक मदद भी करने लगा। जल्दी ही दोनों के बीच अवैध संबंध कायम हो गए, लेकिन इस बात का अयुब को पता नहीं चला।

करीब 1 साल तक उनके बीच इसी तरह का खेल चलता रहा। इमरान तो अयुब को अकसर शराब पीने के लिए पैसे देता रहता था, इसलिए उसका इमरान पर विश्वास बना रहा। उसे पता नहीं था कि दोस्ती की आड़ में इमरान उसकी पत्नी के साथ क्या गुल खिला रहा है। कहते हैं, गलत काम की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती, एक न एक दिन उसकी पोल खुल ही जाती है। इमरान के साथ भी यही हुआ। एक दिन अयुब ने अपनी पत्नी को इमरान को अपने ही कमरे में आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया। पोल खुलने पर इमरान और नूर फातिमा के चेहरों के रंग उड़ गए। वे घबरा उठे कि पता नहीं अब क्या होगा, लेकिन अयुब ने उस समय उन दोनों से कुछ नहीं कहा। कोई भी मर्द अपनी पत्नी को किसी गैर की बांहों में देखेगा तो जाहिर है, उसका खून खौल उठेगा। मर्द भले ही बाहर गुलछर्रे उड़ाता फिरे, लेकिन अपनी पत्नी को वह खुद के साथ वफादार बनी रहने की उम्मीद रखता है, लेकिन पत्नी के बेवफा होने पर भी अयुब चुप रहा। उसके चुप रहने की वजह क्या थी, इस बात को न तो नूर फातिमा समझ सकी और न ही इमरान। इमरान के जाने के बाद नूर फातिमा के मन में डर बना था कि कहीं पति उसकी पिटाई न करें, लेकिन अयुब ने ऐसा भी नहीं किया, बल्कि उसने पत्नी से साफ कहा कि तू एक बात कान खोलकर सुन ले, इमरान तेरे साथ जो कुछ कर रहा है, वह मैं फ्री में हरगिज नहीं होने दूंगा। उसने मुझे बेवकूफ समझ रखा है क्या। उससे कहना कि उसे मेरा रोजाना का खर्च पूरा करना होगा, वरना वह यहां न आए। पति की बात सुनकर नूर फातिमा मन ही मन खुश तो हुई, लेकिन वह अचंभे में भी पड़ गई कि यह क्या कह रहा है। उसने सोचा कि इमरान तो वैसे भी उसका आर्थिक सहयोग करता रहता है।

उसके कहने पर वह थोड़े बहुत पैसे पति के ऊपर भी खर्च कर देगा। यानी अब वह इमरान के साथ खुलेआम मौज मस्ती कर सकेगी। नूर फातिमा ने यह बात इमरान को बताई तो वह भी खुश हुआ। क्योंकि अब वह बेधड़क होकर नूर फातिमा से मिल सकेगा। इसके बाद इमरान नूर फातिमा के लिए खाने पीने का इंतजाम करने और बिना किसी डर के उससे मिलने लगा। अयुब को उन दोनों के संबंधों पर कोई ऐतराज नहीं था।
इमरान की पत्नी को पता नहीं था कि पति के किसी दूसरी औरत से भी संबंध हैं। पत्नी के इसी विश्वास का इमरान फायदा उठा रहा था। यही नहीं, अब वह नूर फातिमा से निकाह करने की भी सोचने लगा था। उसने इस बारे में उससे बात की तो वह भी तैयार हो गई। रही बात अयुब की तो उसने भी सहमति जता दी। इसके बाद इमरान ने अयुब की मौजूदगी में नूर फातिमा से निकाह कर लिया। यह एक साल पहले की बात है। नूर फातिमा ने इमरान से निकाह जरूर कर लिया था, लेकिन रहती वह अयुब के साथ ही थी। इमरान 1-2 दिन के अंतर पर फातिमा के पास आता रहता था। इस तरह इमरान की 2 नावों की सवारी चलती रही। चूंकि इमरान का कपड़ों की सेल का काम अच्छा चल रहा था, इसलिए उसने मारुति कार अयुब को दे दी और अपने लिए सेंट्रो कार खरीद ली। दोनों ही अलग अलग जगहों पर सेल लगाने लगे। कपड़ों की सेल से जो पैसे आते थे, अयुब उन्हें इमरान को दे देता था। बदले में इमरान उसे उसकी मजदूरी दे देता था।

धीरे धीरे अयुब का स्वभाव बदलने लगा, वह चिड़चिड़ा हो गया। इमरान उसके यहां आता तो वह शराब के नशे में उसे गालियां देता और मारपीट करने पर उतारू हो जाता। इसके अलावा वह इमरान से पैसे ऐंठता। इमरान उसके मुताबिक पैसे देने में आनाकानी करता तो वह उसकी पत्नी शहनाज के सामने उसकी पोल खोलने की धमकी देता। मजबूरी में इमरान को उसके द्वारा मांगे गए पैसे देने के लिए मजबूर होना पड़ता। इमरान की इसी कमजोरी का अयुब फायदा उठा रहा था। आए दिन इस ब्लैकमेलिंग से इमरान परेशान रहने लगा था। उसने अयुब को कई बार समझाया भी, लेकिन उसने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। इमरान को डर लगा रहता था कि कहीं अयुब उसके घर पत्नी शहनाज को फातिमा के बारे में बता न दे। यही वजह थी कि वह इस डर को हमेशा के लिए खत्म करना चाहता था। इसके 2 ही रास्ते थे, जिसमें पहला यह कि वह हमेशा के लिए फातिमा से संबंध खत्म कर लें और दूसरा यह कि अयुब का मुंह हमेशा के लिए बंद कर दें।

अयुब को पैसे देने के बाद भी उसे इस बात का विश्वास नहीं था कि वह अपना मुंह बंद रखेगा। इसके लिए उसके दिमाग में एक ही आइडिया आया कि वह अयुब को ठिकाने लगा दे। ऐसा करने से उसकी परेशानी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी। अयुब को ठिकाने लगाने वाली बात उसने नूर फातिमा को भी नहीं बताई। इस काम को वह अकेला अंजाम नहीं दे सकता था, इसलिए उसने अपने साथ काम करने वाले राकेश और सूरज हाशमी से बात की। राकेश मूलरूप से उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के नगला भवानी गांव का रहने वाला था और दिल्ली में कच्ची काॅलोनी, मदनपुर खादर में रहता था, जबकि सूरज हाशमी उत्तरप्रदेश के जौनपुर जिले के शुक्लागंज का रहने वाला था। वह भी दिल्ली में रहकर इमरान के साथ कपड़ों की सेल लगाता था। इमरान ने दोनों साथियों के साथ अयुब को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली। योजनानुसार इमरान ने 9 दिसंबर शाम को अयुब को कॉल कर दिल्ली में जैतपुर के पुश्ते पर बुलाया।

अयुब शराब के नशे में था। अयुब इससे पहले भी इमरान के बताए गए पते पर पहुंचता रहता था, इसलिए फोन आने पर 9 दिसंबर रात करीब साढे़ 9 बजे मारुति कार से नोएडा से वह दिल्ली के लिए चल पड़ा। उधर इमरान भी राकेश और सूरज हाशमी को अपनी सेंट्रो कार में बिठाकर जैतपुर पुश्ता की तरफ चल पड़ा। श्रीराम चौक से निकलने के बाद यमुना खादर में उन्होंने कार एक किनारे खड़ी कर दी और अयुब का इंतजार करने लगे। अयुब की गाड़ी दिखते ही इमरान ने उसे रुकवा लिया। फिर वे उसे यमुना खादर की तरफ ले गए। अयुब कुछ समझ पाता, उससे पहले ही तीनों ने उसकी पिटाई करनी शुरू कर दी। अयुब ने खुद को बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन 3 लोगों के बीच वह अकेला निहत्था क्या कर सकता था। तीनों उसे पीटते हुए झाडि़यों में ले गए। पीटते पीटते अयुब लगभग अधमरा हो गया तो उसे जमीन पर गिरा कर वहीं पड़ी ईंट से उसके सिर और चेहरे को कुचलने लगे।

थोड़ी देर में अयुब की मौत हो गई। वह जिंदा न रह जाए, इसके लिए इमरान ने साथ लाए छुरे से उसका गला भी काट दिया। इमरान ने अयुब का मोबाइल फोन निकाल लिया। काम हो जाने के बाद सभी अपने अपने घर चले गए।
लाश खादर में पड़ी थी, इसलिए जंगली जानवरों ने उसकी गरदन और चेहरे का मांस खा लिया। अगले दिन इमरान मारुति कार से कुलेसरा नूर फातिमा के पास गया और उसने अयुब का मोबाइल फोन उसे देते हुए कहा कि वह किसी काम से 2-3 दिन के लिए बाहर गया है। कार फातिमा के यहां खड़ी करके वह दिल्ली वापस आ गया। पुलिस ने 11 दिसंबर 2013 की रात को ही इमरान के साथियों राकेश और सूरज हाशमी को भी गिरफ्तार कर लिया। इनकी निशानदेही पर पुलिस ने कार और सेंट्रो कार के अलावा मृतक और उनके मोबाइल, छुर्रा बरामद कर लिए। इसके बाद सभी को साकेत कोर्ट में महानगर दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया।

यह कहानी बताने के पीछे हमारा उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना या परेशान करना नहीं है, बल्कि आमजन को शिक्षित व जागरूक करना मात्र है। इस कहानी में पात्र काल्पनिक है, लेकिन पूरी कहानी रियल घटना पर आधारित है। दिल्ली पुलिस से मिली जानकारी के आधार पर आमजन को जागरू करने के उद्देश्य से कहानी को साझा किया गया है। आपको यह कहानी कैसी लगी और यह कहानी क्या सीख देती है, कमेंट बॉक्स में जरूर लिखिएगा। साथ ही आपको किस तरह की क्राइम कहानियां पसंद है, वह भी बताएं, ताकि आने वाले दिनों में उसी तरह की कहानियां प्राथमिकता से दिखाई जा सकें। धन्यवाद