राजस्थान के राजसमंद जिले में केलवा से चार धाम की यात्रा पर गए केलवा के मार्बल व्यवसायी लवेश उर्फ लेहरीलाल तेली (40) की केदारनाथ में चट्टान तले दबने से 21 जून को दर्दनाक मौत हो गई। उसके साथ केलवा गांव से उसकी पत्नी, तीन बेटियों, पत्नी व एक बेटे के अलावा तीन मित्रों के परिवार सहित 15 सदस्य साथ में थे। केदारनाथ के दर्शन कर वापस जहां उनकी कारें खड़ी थी, उस जगह पैदल लौटते वक्त अचानक चट्टान उसके ऊपर आकर गिर गई, जिससे पत्नी- बच्चों व मित्रों की आंखों की सामने दर्दनाक मौत हो गई।
लवेश तेली की तरह ही केदारनाथ में 6 मई 2022 से 21 जून तक 100 से ज्यादा तीर्थयात्रियों की अकाल मौत हो चुकी है। इसमें कई तीर्थयात्री पर चट्टानें गिरी है, तो कुछ बीमार होकर, जी घबराकर दम तोड़ा है। हार्ट अटैक, थकान व कोरोना पॉजीटिव की वजह से भी तीर्थयात्रियों की जान गई है। चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की मौत का आंकड़ा 100 पार हो गया है। केदारनाथ धाम में अब तक सबसे अधिक 50 यात्रियों ने दम तोड़ा है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ऑक्सीजन की कमी और ठंड के कारण अचानक हृदय गति रुकने से लगातार यात्रियों की मौतें हो रही हैं। मौतों को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से 50 साल से अधिक आयु के यात्रियों की हेल्थ स्क्रीनिंग की जा रही है। जिन यात्रियों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हैं, उन्हें यात्रा न करने की सलाह दी जा रही है। चारों धाम के यात्रा मार्गों पर स्थापित मेडिकल रिलीफ केंद्रों पर अब तक 50 से अधिक आयु के 5500 से अधिक लोगों की हेल्थ स्क्रीनिंग की गई है, जबकि 57 हजार यात्रियों की स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी की गई है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ठंड से हाईपोथर्मिया और ऑक्सीजन की कमी से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें बढ़ रही हैं। चारों धामों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हैं। मेडिकल रिलीफ केंद्रों और यात्रा मार्गों पर पड़ने वाले स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त डॉक्टर, दवाईयां व ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध है। तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य की जांच कर यात्रा करने की सलाह दी जा रही है।
जानवरों की मौत से संक्रमण फैलने का भी खतरा
चारों धामों में श्रद्धालुओं की मौतों का आंकड़ा 100 के करीब पहुंच चुका है और सबसे ज़्यादा मौतें केदारनाथ में ही हो रही हैं। केदारनाथ में अब उन घोड़ों व खच्चरों की मौतें भी बड़ा संकट बन रही हैं, जो बाबा केदार के दर्शन करने में यात्रियों के लिए मददगार साबित होते हैं। चार धाम यात्रा में श्रद्धालुओं की लगातार मौतें एक तरफ चिंता का विषय बनी हुई हैं, तो अब श्रद्धालुओं को धाम तक ले जाने वाले खच्चरों की मौतें एक नया टेंशन बन गई हैं. केदारनाथ यात्रा में दर्जनों खच्चरों की मौत हो चुकी है और इससे भी बड़ा संकट ये है कि इनके शवों की अंतिम क्रिया ठीक ढंग से करने के बजाय इन्हें नदी में बहा दिया जा रहा है. दिनबदिन चूंकि श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है, तो ज़ाहिर है कि नदी में स्नान करने और नदी का पानी पीने वाले भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में बड़े खतरे की आशंका भी ज़ाहिर की जा रही है। केदारनाथ यात्रा में अहम भूमिका निभाने वाले घोड़े-खच्चरों की एक के बाद एक दर्दनाक मौत हो रही है। अब तक 60 घोड़े खच्चरों की मौत हो चुकी है और यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। यात्रा में घोड़ों-खच्चरों के संचालन की व्यवस्था देखने वाली जिला पंचायत से लेकर पर्यटन मंत्री तक कार्रवाई के संकेत दे चुके हैं, लेकिन इनकी मौत की घटनाएं रुक नहीं रहीं. ज़िम्मेदार क्या कह रहे हैं?
इन जानवरों की मौतों के पीछे कारण
- केदारनाथ की खड़ी चढ़ाई पर यात्रियों को ले जाते समय गर्म पानी का नहीं मिलना।
- बीमार होने पर चिकित्सा की कोई व्यवस्था न होना।
- पौष्टिक आहार की बेहद कमी।
- बिना आराम के दिन में केदारनाथ के कई चक्कर लगाए जाना।
नदी में मृत जानवरों को बहाया जाना खतरनाक ?
कुछ हादसे भी जानवरों की जान लेने की वजह बन रहे हैं। 27 मई को ही पैदल मार्ग में करंट लगने से दो खच्चरों की मौत हो गई। इस हादसे में तीर्थयात्री बाल बाल बचे। भूमिगत बिजली की लाइन के साथ पेयजल लाइन लीकेज के कारण यह हादसा गौरीकुंड के पास घोड़ा पड़ाव में हुआ। इस हादसे के बाद डीएम ने ऊर्जा निगम व जल संस्थान के अफसरों को तलब किया। ज़िला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह ने बातचीत में जानवरों के शव नदी में डाले जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि परंपरागत ढंग से उन्हें दफनाया जाना चाहिए। ऐसे नदी में डालने से किसी महामारी का खतरा हो सकता है। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने भी जानवरों को ठीक से दफनाने की बात करते हुए कहा कि जानवरों पर अत्याचार करने वाले मालिकों पर कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
केदारनाथ में राजसमंद के व्यापारी की हुई मौत, उस क्षेत्र में हर वक्त हादसे के 9 बड़े कारण, देखिए
https://jaivardhannews.com/general/kedarnath-tour-deharadun-india/
वर्ष 2012 में 72 और 2015 में सिर्फ 57 की मौत
कपाट खुलने के बाद 29 दिनों में यात्रियों की मौत का आंकड़ा 59 था। केदारनाथ से लौटते समय पैदल मार्ग पर आदित्य अनंत बनसौण (31) निवासी महाराष्ट्र की अचानक तबीयत खराब हो गई थी। गौरीकुंड में प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें सोनप्रयाग भेजा गया, लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वहीं, रात में केदारनाथ में अहमदाबाद निवासी बौयानी हरि भाई लाल और सोनप्रयाग में दौलत, निवासी समेणाबाड़ी, मध्य प्रदेश की मौत हो गई। मलेगांव महाराष्ट्र निवासी दिलीप अयर (62) की केदारनाथ में मौत हो गई। यात्रा कंट्रोल रूम से बताया गया कि चारों यात्रियों के शव पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग भेजे गए हैं। इससे पहले वर्ष 2012 के पूरे यात्राकाल में 72 और 2015 में 57 यात्रियों की मौत हुई थी।
केदारनाथ कब खुलता है और कब बंद होता है ?
Char Dham Yatra 2022: बाबा केदार (Baba Kedar) की पंचमुखी डोली गुरुवार को अपने धाम पहुंचने के बाद अब 6 मई को सुबह 6.25 बजे शुभ मुहूर्त पर केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) के कपाट खोले गए थे इससे पहले केदारनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली बुधवार को अपने अंतिम पड़ाव गौरीकुंड पहोची थी। छह बजे से फाटा में बाबा केदार की पंचमुखी भोगमूर्ति की विशेष पूजा-अर्चना की गई। धाम के लिए नियुक्त मुख्य पुजारी टी-गंगाधर लिंग ने आराध्य का श्रंगार कर भोग लगाया और आरती उतारी। 2022 में केदारनाथ मंदिर का कपाट 6 मई को खुलने वाला है और 24 या 26 अक्टूबर को केदारनाथ मंदिर का कपाट बंद कर दिया जाएगा।
केदारनाथ यात्रा से जुड़ा हर एक अपडेट
6 मई से शुरू हुई केदारनाथ यात्रा में इस वर्ष नए आयाम स्थापित कर रही है. कपाट खुलने पर जहां रिकार्ड 23,512 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे, वहीं यात्रा के शुरूआती छह दिनों में ही धाम में दर्शनार्थियों का आंकड़ा एक लाख पहुंच गया था। मई के 26 दिनों में जहां 4,35,203 श्रद्धालु धाम पहुंचे, वहीं जून के 19 दिनों में 3,11,547 श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। बीते 13 जून से धाम में प्रतिदिन दर्शनार्थियों की संख्या में कमी आई है। आंकड़ों पर गौर करें तो जहां 1-12 जून तक 2,17,803 यात्री केदारनाथ पहुंचे थे, वहीं 13 से 19 जून तक सात दिनों में 93,744 यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए हैं।
मौसम के कारण प्रभावित हो रही है यात्रा
बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डा. हरीश चंद्र गौड़ ने बताया कि मानसून की दस्तक के साथ ही केदारनाथ में यात्रियों की संख्या में भी कमी आने लगी है। बर्फबारी के कारण प्रशासन द्वारा हेमकुंड साहिब की यात्रा अस्थायी रूप से रोक दी गई थी। मौसम खुलने के बाद फिर से यात्रा शुरू कर दी गई है। मौसम के आधार पर यात्रा प्रभावित हो रही है। सुरक्षा व्यवसथा को लेकर स्थानीय प्रशासन द्वारा व्यवस्था देखी जा रही है।