
CPR saves life : नाथद्वारा के बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में उस दिन कुछ ऐसा हुआ, जिसने हर किसी को चकित और भावुक कर दिया। बैंक में रोज़ की तरह ग्राहकों की भीड़ थी, और सभी अपने-अपने कार्यों में व्यस्त थे। इन्हीं में से एक थे नेड़च-घोड़च निवासी सोहनलाल रेबारी, जो अपने खाते से पैसे निकालने के लिए पर्ची भर रहे थे। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि अगले ही पल कुछ ऐसा होगा, जिससे वहां मौजूद हर शख्स की सांसें थम जाएंगी।
Heart attack first aid : सोहनलाल रेबारी जैसे ही पर्ची भर रहे थे, अचानक उनका शरीर लड़खड़ाया और वे ज़मीन पर गिर पड़े। यह देख वहां मौजूद लोग घबरा गए। कुछ लोग समझ नहीं पा रहे थे कि क्या हुआ, तो कुछ ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया। बैंक के सुरक्षा गार्ड ने तत्काल उन्हें संभालने की कोशिश की, लेकिन तब तक सोहनलाल पूरी तरह से बेहोश हो चुके थे और पूरा शरीर अकड़ गया था। ऐसे में बैंक के कर्मी शूरवीरसिंह चौहान ने बिना एक पल गवाएं अपनी जिम्मेदारी समझी और तुरंत हरकत में आ गए। उन्होंने तुरंत सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) देना शुरू कर दिया। बैंक में मौजूद अन्य लोगों ने भी उनका साथ दिया। लगातार दो से ढाई मिनट तक बिना रुके सीपीआर देने के बाद चमत्कारी ढंग से सोहनलाल रेबारी की हालत में सुधार आने लगा। धीरे-धीरे उनकी सांसें सामान्य होने लगीं और तीन मिनट के भीतर वे होश में आ गए। यह नज़ारा देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखों में राहत के आंसू थे।
जब सोहनलाल को सहारा देकर उठाया गया, तो वे खुद अपने पैरों पर चलने लगे। यह देखकर सभी को एक नई सीख मिली कि संकट की घड़ी में अगर समय पर सही मदद मिल जाए, तो किसी की भी जान बचाई जा सकती है। इसके तुरंत बाद बैंक प्रबंधक कपिलदेव चारण ने त्वरित निर्णय लेते हुए एक ऑटो बुलवाया और सोहनलाल को गोवर्धन राजकीय जिला चिकित्सालय पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उनका प्राथमिक उपचार किया। सौभाग्यवश, समय पर मिले उपचार और सीपीआर की बदौलत उनकी जान बच गई।
इंसानियत की सीख दे गई यह घटना
Bank of India : यह घटना किसी अनजान की मदद करना भी इंसानियत का एक अहम हिस्सा है। इस घटना के दौरान कुछ लोग वहां खड़े थे, तो कुछ देखकर भी अनदेखा कर चलते हुए दिखाई दे रहे हैं, लेकिन बैंक के कार्मिक शूरवीरसिंह चौहान और सुरक्षा गार्ड की तत्परता ने एक जान बचाने का काम किया। यही सच्ची मानवता है। इस घटना ने यह सिखाया कि जीवन और मृत्यु के बीच का समय बहुत छोटा होता है, लेकिन सही समय पर की गई कोशिश किसी की ज़िंदगी बचा सकती है। शूरवीरसिंह चौहान के साथ बैंक प्रबंधक कपिलदेव चारण और उनके साथियों की तत्परता और सेवा-भावना आज हर किसी के लिए प्रेरणा बन गई है। हमें भी चाहिए कि ऐसी परिस्थितियों में मूकदर्शक न बने, बल्कि मदद के लिए आगे आएं।
आपकी छोटी मदद से किसी की दुनिया बदल सकती है
Bank customer heart attack : यह कहानी सिर्फ़ एक इंसान की जान बचाने की नहीं, बल्कि उन सभी लोगों को प्रेरित करने की है जो सोचते हैं कि वे किसी की मदद करने के काबिल नहीं हैं। किसी की जिंदगी बचाने के लिए डॉक्टर होना ज़रूरी नहीं, बस इंसानियत और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। कपिलदेव चारण, शूरवीरसिंह चौहान और उनकी टीम ने यह साबित कर दिया कि अगर हम चाहें, तो अपने छोटे-छोटे प्रयासों से किसी की दुनिया बदल सकते हैं। यही सच्ची मानवता और सेवा का संदेश है, जिसे हमें अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए।
हार्ट अटैक आने पर फर्स्ट एड : तुरंत यह करें
Instant CPR survival : हार्ट अटैक एक ऐसी आपातकालीन स्थिति होती है, जिसमें सही समय पर सही कदम उठाना जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर तय कर सकता है। जब किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आता है, तो उसकी हृदय धमनियों में रक्त प्रवाह रुक जाता है, जिससे हृदय को आवश्यक ऑक्सीजन नहीं मिलती और उसका सामान्य कार्य बाधित हो जाता है। इस स्थिति में त्वरित और प्रभावी फर्स्ट एड देना अत्यंत आवश्यक होता है।
हार्ट अटैक के लक्षणों की पहचान करें
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि हार्ट अटैक के सामान्य लक्षण क्या होते हैं:
- सीने में तेज़ दर्द या भारीपन महसूस होना
- दर्द का बाएं हाथ, गर्दन, जबड़े या पीठ में फैलना
- अत्यधिक पसीना आना और ठंड लगना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- चक्कर आना या बेहोशी आना
- अत्यधिक कमजोरी और घबराहट
अगर किसी व्यक्ति में ये लक्षण दिखें, तो तुरंत फर्स्ट एड देना चाहिए।
फर्स्ट एड: जीवन रक्षक कदम
1. घबराएं नहीं, व्यक्ति को शांत रखें
Life saving CPR story : जब किसी को हार्ट अटैक आए, तो सबसे पहले घबराने के बजाय उसे आश्वस्त करें और घबराहट कम करने की कोशिश करें। व्यक्ति को आरामदायक स्थिति में बिठाएं या लिटाएं और अधिक हिलने-डुलने से बचाएं।
2. तुरंत मेडिकल सहायता बुलाएं (एंबुलेंस को कॉल करें)
- भारत में इमरजेंसी नंबर 108 या 102 डायल करें।
- जब तक मेडिकल टीम पहुंचे, तब तक फर्स्ट एड देना जारी रखें।
3. मरीज को तुरंत एस्पिरिन (Aspirin) चबाने को दें
- 300mg एस्पिरिन की गोली चबाने से हृदय तक जाने वाली ब्लड क्लॉटिंग को कम किया जा सकता है, जिससे हार्ट अटैक की गंभीरता को कम करने में मदद मिलती है।
- अगर मरीज को पहले से डॉक्टर द्वारा नाइट्रोग्लिसरीन (Nitroglycerin) लेने की सलाह दी गई है, तो इसे भी लेने में मदद करें।
4. सीपीआर (CPR) देना शुरू करें (अगर व्यक्ति बेहोश हो जाए)
अगर व्यक्ति बेहोश हो गया है और सांस नहीं ले रहा है या धड़कन रुक गई है, तो तुरंत सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) शुरू करें।
- कैसे करें सीपीआर?
- व्यक्ति को पीठ के बल समतल स्थान पर लिटा दें।
- उसके सीने के बीचों-बीच (स्टर्नम पर) दोनों हाथों को रखें, एक हाथ दूसरे के ऊपर।
- तेज़ी से और जोर से 100-120 दबाव प्रति मिनट की दर से दबाएं। (गहरा दबाव लगभग 2 इंच)
- हर 30 दबाव के बाद 2 बार मुँह से सांस (Rescue Breaths) दें (अगर आप प्रशिक्षित हैं)।
- तब तक जारी रखें जब तक एंबुलेंस न आ जाए या व्यक्ति सांस लेने न लगे।
5. ऑक्सीजन और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने के लिए स्थिति ठीक करें
अगर व्यक्ति बेहोश नहीं हुआ है, तो उसे आधा बैठने (semi-reclining position) में रखें और उसके कपड़े ढीले करें ताकि सांस लेने में आसानी हो।
6. मरीज को कुछ भी खाने-पीने को न दें
हार्ट अटैक के दौरान व्यक्ति को पानी, चाय, कॉफी या कोई भी ठोस चीज़ खाने को न दें। इससे स्थिति और बिगड़ सकती है।
7. ठंडी हवा या ताजी हवा का इंतज़ाम करें
अगर संभव हो, तो व्यक्ति को हवादार जगह पर ले जाएं या उसे ताजी हवा दिलाने की कोशिश करें।
क्या न करें?
- व्यक्ति को झटका देने की कोशिश न करें।
- सीने पर ठंडा पानी डालने जैसी घरेलू उपायों पर भरोसा न करें।
- बिना डॉक्टर की सलाह के कोई और दवा न दें।
- व्यक्ति को जबरदस्ती खड़ा करने या चलाने की कोशिश न करें।