
आयकर विभाग की छापेमारी: टैक्स चोरी पर कैसे होती है कार्रवाई?
Income Tax Raid : कर चोरी एक गंभीर अपराध है, और आयकर विभाग इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि किन परिस्थितियों में कोई कारोबारी आयकर विभाग के शक के दायरे में आता है? आयकर अधिकारियों को कर चोरी की जानकारी विभिन्न स्रोतों से मिलती है, जैसे गुप्त सूचना, बैंकिंग लेन-देन में गड़बड़ी, बेहिसाबी संपत्ति या अचानक बड़ी रकम का लेन-देन। जब कोई व्यवसायी अपनी वास्तविक आय को छुपाने की कोशिश करता है या अपनी संपत्ति का पूरा विवरण नहीं देता, तो वह विभाग की नजर में आ सकता है। डिजिटल भुगतान और बैंकिंग सिस्टम की निगरानी के चलते अब कर चोरी को छुपाना पहले से कठिन हो गया है। इस रिपोर्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि किन परिस्थितियों में आयकर विभाग की नजर व्यापारियों पर पड़ती है और इस पर किस तरह की कानूनी कार्रवाई होती है।
Income tax seizure : आयकर विभाग द्वारा छापेमारी (Income Tax Raid) की कार्रवाई टैक्स चोरी करने वाले व्यक्तियों, कंपनियों या व्यापारिक संस्थानों पर होती है, जो अपने वास्तविक आय को छुपाकर कर (Tax) से बचने का प्रयास करते हैं। इस छापेमारी का उद्देश्य न केवल कर चोरी को पकड़ना होता है, बल्कि सरकार को राजस्व की हानि से भी बचाना होता है।
Income tax search and seizure rules : आयकर विभाग की छापेमारी टैक्स चोरी रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह न केवल दोषियों को पकड़ने में मदद करता है, बल्कि ईमानदार करदाताओं के लिए भी एक मजबूत संदेश भेजता है कि कर चोरी का प्रयास करना कानूनी रूप से दंडनीय है। आयकर अधिनियम के तहत सख्त प्रावधानों के कारण कर चोरी करने वालों को अब पहले से अधिक सतर्क रहना पड़ता है। सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कि कर प्रणाली को पारदर्शी बनाया जाए और करदाताओं को सही तरीके से कर चुकाने के लिए प्रेरित किया जाए।
कैसे होती है आयकर विभाग की रेड?
आयकर विभाग की रेड एक सुनियोजित प्रक्रिया होती है, जिसमें गुप्त रूप से सूचना एकत्र की जाती है और फिर कार्रवाई की जाती है। यह पूरी प्रक्रिया कुछ चरणों में संपन्न होती है:
- सूचना एकत्र करना: आयकर विभाग को टैक्स चोरी की गोपनीय सूचना मिलती है, जो किसी मुखबिर, गुप्तचर एजेंसियों या अन्य स्रोतों से प्राप्त हो सकती है।
- पूर्व-अनुसंधान: सूचना की पुष्टि करने के लिए संबंधित व्यक्ति या संस्था की वित्तीय गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है।
- रेड की योजना: यदि कर चोरी की पुष्टि होती है, तो विभाग छापेमारी की विस्तृत योजना बनाता है। इसमें आयकर अधिकारियों की टीम, सुरक्षा बल और गवाहों की व्यवस्था की जाती है।
- अचानक छापेमारी: कर चोरी के सबूत नष्ट न किए जाएं, इसलिए रेड को गोपनीय रखा जाता है और अचानक कार्रवाई की जाती है।
- डॉक्यूमेंट और डिजिटल डेटा की जांच: विभाग संपत्ति, नकदी, गहने, दस्तावेज और डिजिटल डेटा जैसे कि कंप्यूटर, हार्ड ड्राइव और मोबाइल फोन की जांच करता है।
- जब्ती और पूछताछ: यदि आवश्यक हो, तो संदेहास्पद दस्तावेज जब्त किए जाते हैं और संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ की जाती है।
- आकलन और मुकदमा: यदि टैक्स चोरी का मामला सिद्ध होता है, तो आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है।
Tax evasion penalties in India : किस धारा में कार्रवाई?
आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कर चोरी पर विभिन्न धाराओं में कार्रवाई की जाती है। इनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:
- धारा 132:
- यह धारा आयकर विभाग को तलाशी और जब्ती (Search and Seizure) की शक्ति प्रदान करती है।
- इसमें विभाग को किसी भी संपत्ति, नकदी, गहने, दस्तावेज या डिजिटल सबूत जब्त करने की अनुमति होती है।
- यदि अधिकारी को यह संदेह होता है कि करदाता ने कर चोरी की है, तो वह इस धारा के तहत कार्रवाई कर सकते हैं।
- धारा 133A:
- यह धारा आयकर अधिकारियों को किसी भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान, कार्यालय या अन्य परिसरों में सर्वेक्षण करने की अनुमति देती है।
- इसमें व्यवसायों के खातों, स्टॉक और अन्य आर्थिक दस्तावेजों की जांच की जाती है।
- धारा 271(1)(c):
- यह धारा उन मामलों पर लागू होती है जहां करदाता अपनी आय को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है या झूठी जानकारी देता है।
- इसमें आरोपी पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
- धारा 276C:
- यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर कर चोरी करता है, तो इस धारा के तहत उस पर आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है।
- इसमें दोषी पाए जाने पर 3 महीने से लेकर 7 साल तक की सजा हो सकती है।
- धारा 278B:
- यह धारा कंपनियों पर लागू होती है, जहां किसी कंपनी के निदेशक या अन्य अधिकारी कर चोरी में संलिप्त होते हैं।
- इसमें जिम्मेदार व्यक्तियों को दंडित किया जा सकता है।
Income tax investigation process : मुकदमा दर्ज होने की प्रक्रिया
आयकर विभाग जब यह साबित कर देता है कि किसी व्यक्ति या संगठन ने जानबूझकर कर चोरी की है, तो कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होती है। इसमें निम्नलिखित चरण होते हैं:
- विस्तृत जांच: जब्ती की गई संपत्ति और दस्तावेजों का गहन विश्लेषण किया जाता है।
- नोटिस जारी करना: आरोपी को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया जाता है, जिसमें उसे सफाई देने का मौका दिया जाता है।
- जुर्माना या मुकदमा: यदि करदाता द्वारा कर भुगतान करने से इनकार किया जाता है, तो उसके खिलाफ भारी जुर्माना लगाया जाता है या कोर्ट में मामला दर्ज किया जाता है।
- न्यायिक प्रक्रिया: मामला विशेष अदालतों में जाता है, जहां न्यायाधीश साक्ष्यों के आधार पर फैसला सुनाते हैं।
- सजा और वसूली: यदि आरोपी दोषी साबित होता है, तो उसे सजा दी जाती है और बकाया कर की वसूली की जाती है।
How to avoid income tax raid | कैसे बचे आयकर कार्रवाई से
यदि कोई कंपनी, संस्थान या व्यक्ति आयकर विभाग की कार्रवाई से बचना चाहता है, तो निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:
- सभी आय को घोषित करें:
- किसी भी प्रकार की छिपी हुई आय न रखें।
- सभी बैंक खातों और वित्तीय लेन-देन को पारदर्शी रखें।
- सही समय पर टैक्स फाइल करें:
- आयकर रिटर्न (ITR) समय पर दाखिल करें और सभी आवश्यक विवरण सही तरीके से भरें।
- लेन-देन का सही रिकॉर्ड रखें:
- सभी वित्तीय रिकॉर्ड, बिल, रसीदें और बैंक स्टेटमेंट को संभालकर रखें।
- डिजिटल भुगतान को अपनाएं:
- बेहिसाबी नकद लेन-देन से बचें और डिजिटल ट्रांजेक्शन को प्राथमिकता दें।
- फर्जी खर्चे दिखाने से बचें:
- बोगस कंपनियों के जरिए खर्चे बढ़ाकर कर चोरी करने की कोशिश न करें।
- आयकर अधिनियम की धाराओं का पालन करें:
- कानूनी प्रावधानों के अनुरूप अपनी वित्तीय गतिविधियों को संचालित करें।
- चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की सहायता लें:
- किसी योग्य CA की मदद लें ताकि सभी कर संबंधी दायित्वों का सही से पालन हो सके।
देश में बड़ी कंपनियों और व्यापारियों पर चर्चित आयकर रेड
देश में आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने समय-समय पर बड़ी कंपनियों और व्यापारियों के खिलाफ कर चोरी के मामलों में महत्वपूर्ण कार्रवाइयाँ की हैं। साथ ही, बोगस कंपनियों और फर्जी बिलिंग के माध्यम से टैक्स चोरी के कई बड़े मामले भी उजागर हुए हैं। नीचे इन दोनों बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की गई है। टैक्स चोरी के लिए बड़े पैमाने पर फर्जी कंपनियों और फर्जी बिलिंग का उपयोग किया जा रहा है। आयकर विभाग और जीएसटी अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाइयाँ इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, लेकिन टैक्स चोरी की इस चुनौती से निपटने के लिए निरंतर निगरानी, सख्त नियमों का कार्यान्वयन और जागरूकता आवश्यक है।
भारत में बड़ी कंपनियों और व्यापारियों पर हुई चर्चित आयकर रेड
गुजरात में व्यापारिक समूह पर आयकर छापेमारी (जुलाई 2022):
जुलाई 2022 में, आयकर विभाग ने गुजरात के एक प्रमुख व्यापारिक समूह के खिलाफ छापेमारी की, जो कपड़ा, रसायन, पैकेजिंग, रियल एस्टेट और शिक्षा के क्षेत्रों में सक्रिय था। यह कार्रवाई गुजरात के खेड़ा, अहमदाबाद, मुंबई, हैदराबाद और कोलकाता में 58 स्थानों पर की गई थी। इस छापेमारी में निम्नलिखित खुलासे हुए:
- बेहिसाब आय का खुलासा: करीब 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाब आय का पता चला।
- नकदी और आभूषण जब्ती: 24 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी और 20 करोड़ रुपये मूल्य के आभूषण जब्त किए गए।
- फर्जी लेन-देन: समूह पर फर्जी कंपनियों के माध्यम से शेयर प्रीमियम के जरिए बेहिसाब रकम की लेयरिंग और सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर की कीमतों में हेरफेर का आरोप लगा।
इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हुआ कि बड़े व्यापारिक समूह भी टैक्स चोरी के लिए जटिल तरीकों का उपयोग कर सकते हैं, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान होता है।
बोगस कंपनियों और फर्जी बिलिंग से टैक्स चोरी का खुलासा
दिल्ली में फर्जी बिलिंग का मामला (मार्च 2020):
मार्च 2020 में, केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने दिल्ली में फर्जी बिलिंग के एक बड़े मामले का भंडाफोड़ किया। इस मामले में निम्नलिखित तथ्य सामने आए:
- फर्जी कंपनियाँ: 23 शेल कंपनियाँ बनाई गईं, जिन्होंने बिना वास्तविक व्यापार के फर्जी बिल जारी किए।
- फर्जी बिलिंग की राशि: कुल 7,896 करोड़ रुपये के फर्जी इनवॉइस जारी किए गए।
- इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की चोरी: इन फर्जी बिलों के माध्यम से लगभग 1,709 करोड़ रुपये का आईटीसी क्लेम किया गया।
इस मामले में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया, और विभाग ने ट्रेडिंग नेटवर्क की और परतें खंगालने की प्रक्रिया जारी रखी।
छत्तीसगढ़ में फर्जी आईटीसी बिलिंग (सितंबर 2022):
सितंबर 2022 में, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) विभाग ने छत्तीसगढ़ में सात कंपनियों के खिलाफ फर्जी आईटीसी बिलिंग के मामले में कार्रवाई की। इस मामले में निम्नलिखित तथ्य सामने आए:
- कंपनियाँ: बिजोटिक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, गोल्डन ट्रेडर्स, एआरएल ट्रेडिंग कंपनी, देवी ट्रेडिंग कंपनी, बद्री एंटरप्राइजेज, कुमार ट्रेडर्स और सिंह ब्रदर्स।
- टैक्स चोरी की राशि: 68.04 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का खुलासा हुआ।
- कार्यप्रणाली: ये फर्जी कंपनियाँ बिना किसी वस्तु या सेवा की आपूर्ति के फर्जी बिल जारी कर आईटीसी क्लेम कर रही थीं।
इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हुआ कि फर्जी कंपनियों के माध्यम से जीएसटी प्रणाली में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया जा रहा था।
कानपुर और नोएडा में जीएसटी फर्जीवाड़ा (जून 2023):
जून 2023 में, कानपुर और नोएडा में जीएसटी फर्जीवाड़े के बड़े मामले सामने आए। इन मामलों में निम्नलिखित तथ्य उजागर हुए:
- कानपुर: स्क्रैप डीलर, बैटरी डीलर और अन्य व्यापारियों को फर्जी बिल सप्लाई किए जा रहे थे। फर्जी बिलों में रिक्शेवाले और कबाड़ उठाने वाले जैसे गरीब तबके के लोगों के नाम पर खरीद दिखाकर फर्जी आईटीसी क्लेम और जीएसटी में रिबेट लिया जा रहा था। कुल मिलाकर, 250 करोड़ रुपये से ज्यादा के ट्रांजैक्शन और 80 करोड़ रुपये से ज्यादा की टैक्स चोरी का मामला सामने आया।
- नोएडा: पिछले 5 सालों से संगठित रूप से फर्जी फर्म तैयार कर जीएसटी हेरफेर किया जा रहा था। बिना माल की डिलीवरी के फर्जी बिल तैयार कर जीएसटी रिफंड लिया जा रहा था। पुलिस को 2,660 फर्जी जीएसटी फर्म तैयार किए जाने की जानकारी मिली, जिससे करीब 10,000 करोड़ रुपये के हेरफेर की बात सामने आई।
इन मामलों से यह स्पष्ट होता है कि बोगस कंपनियों और फर्जी बिलिंग के माध्यम से टैक्स चोरी का नेटवर्क कितना व्यापक और संगठित हो सकता है।