01 121 https://jaivardhannews.com/another-new-variant-of-corona-surfaced-fear-of-vaccine-ineffective-due-to-more-infectious/

पूरा विश्व कोरोना महामारी से झूझ रहा है। एक के बाद एक कोरोना के नए वैरिएंट मिलने वाले खबरों से चिंता बढ़ा दी है। कोरोना महामारी के लिए जिम्मेदार वायरस SARS-CoV-2 का नया वैरिएंट मिला है। यह वैरिएंट पहले साउथ अफ्रीका और फिर कई दूसरे देशों में पाया गया है। स्टडी के मुताबिक यह ज्यादा संक्रामक है और वैक्सीन के असर से बचा रहता है।

साउथ अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (NICD) और क्वाजुलु-नेटाल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लेटफॉर्म (KRISP) के वैज्ञानिकों ने कहा कि इस साल मई में देश में पहली बार C.1.2 वैरिएंट का पता चला। इसके बाद 13 अगस्त तक यह वैरिएंट चीन, रिपब्लिक ऑफ दि कांगो, मॉरीशस, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड में पाया गया है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वायरस वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट कैटेगरी का हो सकता है। WHO के मुताबिक वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट कोरोना के ऐसे वैरिएंट हैं जो वायरस के ट्रांसमिशन, गंभीर लक्षणों, इम्यूनिटी को चकमा देने, डायग्नोसिस से बचने की क्षमता दिखाते हैं। एक स्टडी में कहा गया है कि C.1.2 इससे पहले मिले C.1 के मुकाबले काफी हद तक म्यूटेट हुआ है। C.1 को ही दक्षिण अफ्रीका में कोरोना की पहली लहर के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

रिसर्चर्स ने नोट किया है कि ये म्यूटेशन वायरस के दूसरे हिस्सों के बदलाव के साथ मिलकर वायरस को एंटीबॉडी और इम्यून सिस्टम से बचने में मदद करते हैं। इसमें वे लोग भी शामिल हैं जिनमें पहले से ही अल्फा या बीटा वैरिएंट के लिए एंटीबॉडी डेवलप हो चुकी है।

म्यूटेशन की रफ्तार दूसरे वैरिएंट्स से दोगुनी
रिसर्चर्स ने पाया है कि नए वैरिएंट में दुनिया भर में मिले वैरिएंट ऑफ कंसर्न और वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट से ज्यादा म्यूटेशन हुआ है। स्टडी में साउथ अफ्रीका में हर महीने C.1.2 जीनोम की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है। ये मई में 0.2% से बढ़कर जून में 1.6 % और फिर जुलाई में 2 % हो गई। रिसर्चर्स का कहना है कि यह बढ़ोतरी वैसी ही है, जिस तरह शुरुआती पहचान के दौरान देश में बीटा और डेल्टा वैरिएंट के साथ देखी गई थी। स्टडी के मुताबिक C.1.2 वायरस में हर साल लगभग 41.8 म्यूटेशन हो रहे हैं। इसकी यह रफ्तार वायरस के दूसरे वैरिएंट से लगभग दोगुनी है।

वायरोलॉजिस्ट उपासना रे का कहना है कि यह वैरिएंट स्पाइक प्रोटीन में C.1.2 लाइन में जमा हुए कई म्यूटेशन का नतीजा है, जो इसे 2019 में चीन के वुहान में पहचाने गए मूल वायरस से बहुत अलग बनाता है। कोलकाता के CSIR-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी से जुड़ी उपासना ने कहा कि यह ज्यादा संक्रामक और तेजी से फैलने की क्षमता रखता है। स्पाइक प्रोटीन में बहुत सारे म्यूटेशन होते हैं, इसलिए यह इम्यून सिस्टम से बच सकता है और दुनिया भर में चल रहे वैक्सीनेशन प्रोग्राम के लिए एक चुनौती है।

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  • Laxman Singh Rathor in jaivardhan News

    लक्ष्मणसिंह राठौड़ अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया जगत में 2 दशक से ज़्यादा का अनुभव है। 2005 में Dainik Bhaskar से अपना कॅरियर शुरू किया। फिर Rajasthan Patrika, Patrika TV, Zee News में कौशल निखारा। वर्तमान में ETV Bharat के District Reporter है। साथ ही Jaivardhan News वेब पोर्टल में Chief Editor और Jaivardhan Multimedia CMD है। jaivardhanpatrika@gmail.com

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By Laxman Singh Rathor

लक्ष्मणसिंह राठौड़ अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया जगत में 2 दशक से ज़्यादा का अनुभव है। 2005 में Dainik Bhaskar से अपना कॅरियर शुरू किया। फिर Rajasthan Patrika, Patrika TV, Zee News में कौशल निखारा। वर्तमान में ETV Bharat के District Reporter है। साथ ही Jaivardhan News वेब पोर्टल में Chief Editor और Jaivardhan Multimedia CMD है। jaivardhanpatrika@gmail.com