20230619 174154 https://jaivardhannews.com/bageri-dam-history-of-bageri-naka-bandh/

Bageri Dam : राजसमंद जिले में पेयजल योजना के अर्न्तगत 2006 में इस बांध को बनाया गया था। यह बांध इससे जुड़े गांवों में पेयजल आपुर्ति के लिए तैयार किया था, यह बांध पहली बार 22 जुलाई 2007 में छलका था। इस बांध के छलकने के बाद यह पर्यटकों के लिए अतीव मनोरम दृश्य हो गया है, व यहां पर हजाराें की भीड़ में लोग घूमने आते हैं। खास बात यह है कि पेयजल योजना के तहत इस बांध से करीब 292 गांव जूड़े हुए हैं, जिस पर इस बांध के छलकने से इन गांवों में खुशी की लहर छा गई है। खास बात यह है कि बाघेरी नाका इस बार जून माह में ही छलक गया है।

Bageri Overflow : कब-कब छलका बाघेरी नाका

Bageri Overflow : बाघेरी नाका 2006 में बनकर तैयार हुआ, उसी साल छलक गया था। इसके बाद 2007 में छलका था। लेकिन दो साल कमजोर मानसून के चलते 2008 व 2009 में ओवरफ्लो नहीं हुआ। जबकि 2011 से 2015 तक लगातार बाघेरी ओवरफ्लो हुआ। 27 जुलाई 2010, 17 अगस्त 2011, 29 अगस्त 2012, 18 अगस्त 2013, 27 अगस्त 2014 को, 27 जुलाई 2015, 18 जुलाई 2016, 22 जुलाई 2017, 29 जुलाई 2018, 16 अगस्त 2019 व 24 अगस्त 2020 और 4 अक्टूबर 2021 को छलका, 2022 में 28 जुलाई, वर्ष 2023 में 17 जून और 2024 में 15 अगस्त को छलका है।

Bageri Bandh : राजनीतिक दृष्टिकोण में उपलिब्ध किसकी ?

Bageri Bandh : ऐतिहासिक बाघेरी बांध के बारे में राजनीतिक दृष्टिकोण से बात करें, तो राजनीतिक गलियारे में क्षेत्रीय विधायक डॉ. सीपी जोशी की उपलिब्ध मानते हैं। हालांकि भाजपा का दावा है कि बाघेरी बांध की परिकल्पना व योजना भाजपा की देन है। कांग्रेस का दावा है कि डॉ. सीपी जोशी ही बाघेरी बांध के नींव का पत्थर है और उनकी सोच से यह परियोजना साकार रूप ले पाई है। ऐसा ही एक बांध चिकलवास है, जहां का पानी अकाल के वक्त राजसमंद शहर के लोगों ने पीया था। अगर इसी तरह स्थायी स्ट्रक्चर खड़े करने के दिशा में अन्य जगह भी कार्य होते, तो आज गांवों में पेयजल की कोई समस्या ही नहीं रहती। आज बाघेरी बांध के पानी से नाथद्वारा विधानसभा की सरहदों के पार राजसमंद, कुंभलगढ़ विधानसभा ही नहीं, बल्कि उदयपुर के ग्रामीणों की प्यास भी बुझ रही है।

Bageri Dam overflow : सुरक्षा को लेकर पुलिस जवान तैनात

Bageri Dam overflow : मचींद-फतहपुर की पहाडिय़ों के अप्रतिम सौंदर्य व उसकी तलहटियों से बहती जीवनदायिनी बनास नदी के बीच बना बाघेरी का नाका बांध 15 अगस्त 2024 को छलक गया। 32.80 फीट की भराव क्षमता वाले बांध के छलकने से बनास नदी में पानी की आवक शुरू हो गई है। जिले में पेयजल सप्लाई और मुख्य पिकनिक स्पाॅट बाघेरी का नाका बांध के छलकने की सूचना वारयल हाेते ही लाेगाें में खुशी की लहर दाैड़ गई। क्याेंकि इसी बांध से राजसमंद जिले के 292 और उदयपुर जिले के 20 गांवाें में साल भर पेयजल आपूर्ति हाेती है। बाघेरी के ओवरफ्लाे हाेने के बाद बाघेरी पर नहाने के लिए पर्यटकाें की राेक रहेगी। बाघेरी नाका पर पर्यटकाें काे नहाने की अनुमति नहीं है। बाघेरी का नाका बांध छलने की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या मे पर्यटन यहां पर पहुंच रहे है। मगर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर यहां पर पुलिस जाब्ता तैनात किया है। यहां आने वाले पर्यटन को बांध की चादर के निकट नहीं जाने दिया जा रहा है। सभी लोगों को बांध की चादर से पहले सड़क पर ही रोक दिया जा रहा है। साथ ही बहाव काफी तेज होने के कारण पुल के ऊपर भी वाहनों का ठहराव रोक दिया गया है। हालांकि पानी पुल के ऊपर नहीं बह रहा है मगर प्रशासन ने सतर्कता को लेकर वाहनों की इसके ऊपर नहीं ठहरने दिया जा रहा है।

Bageri Dam picnic Spot : दूर-दूर से आते है पर्यटक

Bageri Dam picnic Spot : बाघेरी नाका बेहद प्राकृतिक खूबसूरती से भरे इलाके में बना हुआ है। बारिश के मौसम में हरियाली से चौतरफा आच्छादित पर्वतमालाएं, कभी पहाड़ों की चोटियों से लेकर गोद तक बादलों की सफेद-काली घटाएं तो कभी साफ नीले आसमान और तल में भरे पानी और उसमें उठती लहरें बाघेरी नाका के सौंदर्य में चार चांद लगा देती हैं। इसकी चादर से जब पानी गिरता है तो हर किसी को मोह लेता है। बाघेरी की चादर में नहाने का लुत्फ लेने के लिए जिले ही नहीं, बाहरी जिलों और यहां तक कि अन्य प्रदेशों से भी पर्यटक आते हैं।