Devendra Kumar Karnawat : स्वतंत्रता संग्राम के अमर पुरोधा देवेन्द्र कुमार कर्णावट की जन्म शताब्दी का चतुर्थ चरण गांधी सेवा सदन में 101वें जन्म महोत्सव के रुप में आयोजित हुआ। समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार शिक्षा सेवी चतुर कोठारी ने कहा कि आजादी के बाद में सन् 1948 में पच्चीस वर्षीय युवा देवेन्द्र ने देश और राजसमंद के लिए जो सपने देखे वे सपने अब आकार ले रहे है। देवेन्द्र काका ने गांधी सेवा सदन के माध्यम से राजसमंद क्षेत्र में सामाजिक और शिक्षाक्रांति को पंख दिए और मेरे जैसे सैकड़ों कार्यकत्ताओं की टीम खड़ी की जिन्होंने समाज सेवा का मार्ग चुना। गांधी सेवा सदन के प्रारंभिक वर्षों में सन् 1954-57 तक मुझे देवेन्द्र काका के साथ काम करने का सौभाग्य मिला। वे मेरे सार्वजनिक जीवन के गुरु थे। वे न सिर्फ कल्पनाएँ करते वरन् उन्हें आकार देने के लिए योजनाएँ बनाते। वे कुशल योजनाकार थे। अणुव्रत और नया मोड़ के माध्यम से समाज में जो परिवर्तन हुआ, उसके पीछे देवेन्द्र काका का दूरगामी चिन्तन था। आज भी गांधी सेवा सदन शिक्षा के क्षेत्र में विविध प्रयोग कर शिक्षा जगत को नई दिशा दे सामाजिक क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। देवेन्द्र काका जिले के विकास पुरुष थे।

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Rajsamand news : सर्वधर्म प्रार्थना सभा के साथ हुआ महोत्सव का शुभारंभ

सर्वधर्म प्रार्थना सभा से देवेन्द्र जन्म महोत्सव का शुभारंभ हुआ। बाल संगायकों ने मोनिका डांगी के साथ संयममय जीवन हो, राम कहो रहमान कहो, उमंगों के पंख लगाते रहो गीतों का संगान किया तो, पायो जी मैंने राम रतन धन पायो भजन से परिषद् को भक्तिरस में डुबो दिया। इस अवसर पर बाल कलाकारों ने जागा हिन्दुस्तान, सर पर हिमालय का छत्र है देशभक्ति नृत्यों की कलात्मक प्रस्तुति दी। भूमिका मण्डोवरा ने मेवाड़ धरा के नंदन कविता का समवेद् स्वरों में पाठ किया। बाल कलाकारों ने बार-बार दिन ये आये जन्मोत्सव गीत पर थिरकते हुए देवेन्द्र काका को श्रद्धाभाव समर्पित किए।

Gandhi Seva Sadan : पक्षियों के लिए बांधे परिंडे

इस अवसर पर आगत अतिथियों एवं संस्था पदाधिकारियों में बाल प्रांगण में सोन चिडिय़ा को बुलाने के लिए परिण्डे बांधे। बच्चों एवं अतिथियों ने संस्था प्रांगण में बारह परिण्डे बांध कर पक्षियों को आने का आव्हान किया। परिण्डा अभियान के शुभारंभ पर संस्थामंत्री डॉ महेन्द्र कर्णावट ने कहा कि पक्षी पंख फडफ़ड़ा कर वायुमंडल को साफ कर प्रदूषण को रोकते हैं। आज पक्षियों की संख्या कम होती जा रही है। इसका मुख्य कारण मनुष्य की जिव्हा का स्वाद है। पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें पक्षियों का आवागमन बढ़ाना होगा। संस्था प्रांगण में बारह परिण्डे बांधे गए है और दाना-पानी की व्यवस्था की गई है।

दादा-दादी संगीति एवं वरिष्ठजन संगोष्ठी का हुआ आयोजन

देवेन्द्र काका की स्मृति में दादा-दादी संगीति एवं वरिष्ठजन संगोष्ठी का मनभावक आयोजन हुआ। आगत दादा-दादी, बच्चों के साथ खेले, उन्हें कहानियाँ-कविताएँ सुनाते हुए अपने बचपन को याद किया। कवि चतुर कोठारी, अफजल खां अफजल, मोहनलाल गुर्जर ने बच्चों के संग रह मेवाड़ी भाषा में कहानियाँ सुनाई। साठ से अधिक दादा-दादियों ने बच्चों का मनोरंजन किया। डूंगरसिंह कर्णावट, ललित बड़ोला ने देवेन्द्र काका को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दौरान गणपत धर्मावत, डॉ जीएल हिंगड़, लक्ष्मणसिंह कर्णावट, काशीराम पालीवाल, कजोड़मल बैरवा, अफजल खां अफजल, मोहनलाल गुर्जर, मदनलाल धोका, धनेन्द्र मेहता, कल्पना कर्णावट, मांगीलाल यादव, जीतमल कच्छारा, लता पालीवाल, मंजूलता शर्मा, रेणु ठाकुर मौजूद थे। संचालन संस्था मंत्री महेन्द्र कर्णावट ने किया।