
CM Bhajanlal Sharma Biography : राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का जीवन संघर्ष, सादगी और संगठनात्मक मेहनत की मिसाल है। आज जब वे प्रदेश के शीर्ष पद पर आसीन हैं, तब भी उनकी जड़ों में वही किसान परिवार की सादगी और जमीन से जुड़ाव साफ नजर आता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि मुख्यमंत्री बनने से पहले भजनलाल शर्मा कभी दूध बेचकर परिवार का सहारा बने थे और लंबे समय तक बाइक से ही राजनीतिक सफर तय किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संघर्ष के दिनों में चाय बेचने की कहानी जैसे प्रेरणा देती है, ठीक उसी तरह राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की जीवन यात्रा भी आम आदमी को हौसला देती है। एक साधारण कृषक परिवार में जन्मे भजनलाल शर्मा ने कठिन परिस्थितियों के बीच शिक्षा पूरी की और संगठन में मजबूत पकड़ के दम पर राजनीति में लगातार आगे बढ़ते गए।
खेती से शुरू हुआ जीवन, संघर्षों से निखरा व्यक्तित्व
Rajasthan CM Bhajanlal Sharma Story : चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर के भजनलाल शर्मा, अपने पिता किशनस्वरूप शर्मा के इकलौते पुत्र हैं। बचपन से ही उन्होंने खेती-किसानी का काम देखा और परिवार की आजीविका में हाथ बंटाया। कृषि आय सीमित होने के कारण परिवार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसी दौर में भजनलाल शर्मा ने कुछ समय तक दूध बेचने का काम भी किया, ताकि घर की जरूरतें पूरी की जा सकें। उनका पैतृक गांव अटारी, नदबई विधानसभा क्षेत्र में स्थित है। गांव की मिट्टी से जुड़े रहते हुए उन्होंने राजनीति की बुनियाद रखी। संघर्षों के बीच उन्होंने कभी परिस्थितियों से समझौता नहीं किया, बल्कि उन्हें ही अपनी ताकत बनाया।
सरपंच से मुख्यमंत्री तक का लंबा राजनीतिक सफर

Bhajanlal Sharma struggle story : भजनलाल शर्मा का राजनीतिक सफर वर्ष 2000 में गांव के सरपंच पद से शुरू हुआ। यह उनकी सार्वजनिक जीवन की पहली सीढ़ी थी। इसके बाद वर्ष 2003 में उन्होंने नदबई विधानसभा से चुनाव लड़ा, हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन यह हार उनके हौसले को तोड़ने वाली नहीं, बल्कि और मजबूत करने वाली साबित हुई। उनके करीबी बताते हैं कि भजनलाल शर्मा हमेशा संगठन को प्राथमिकता देते रहे। भाजपा संगठन में उनकी मेहनत, अनुशासन और कार्यकर्ताओं से जुड़ाव ने उन्हें लगातार जिम्मेदारियां दिलाईं। इसी संगठनात्मक क्षमता के चलते वे आगे चलकर प्रदेश महामंत्री जैसे अहम पदों पर पहुंचे।
भरतपुर में किराये का मकान, गौ-पालन और दूध का व्यवसाय
Bhajanlal Sharma milk seller story : गांव से निकलने के बाद भजनलाल शर्मा कुछ समय भरतपुर में रहे। वे अपने रिश्तेदार रामेश्वर ठेकेदार के यहां कृष्णा नगर हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में किराये के मकान में रहते थे। यहीं उन्होंने गौ-पालन किया और दूध बेचने का कार्य शुरू किया। यह समय उनके जीवन का संघर्षपूर्ण दौर था, लेकिन इसी दौर ने उन्हें जमीन से जोड़े रखा।
शिक्षा में भी संघर्ष और निरंतरता
Bhajan lal sharma education :भजनलाल शर्मा का जन्म 15 दिसंबर 1968 को नदबई क्षेत्र के गांव अटारी में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने गांव के ही राजकीय प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद बछामदी के राजकीय माध्यमिक विद्यालय और फिर नदबई के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अध्ययन किया। उन्होंने वर्ष 1984 में दसवीं और 1986 में बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। आगे की पढ़ाई के लिए वे भरतपुर पहुंचे, जहां 1989 में महाराजा श्रीजया महाविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद 1993 में राजस्थान विश्वविद्यालय से नॉन-कॉलेज स्टूडेंट के रूप में राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।
Bhajan Lal Sharma family

भजनलाल शर्मा का पारिवारिक जीवन भी बेहद सादगीपूर्ण और अनुशासित रहा है। वे शादीशुदा हैं और दो बेटों के पिता हैं। उनका बड़ा बेटा अभिषेक शर्मा निजी क्षेत्र में नौकरी करता है और अपने कार्यक्षेत्र में सक्रिय है, जबकि छोटा बेटा कुणाल शर्मा चिकित्सा क्षेत्र में करियर बना रहा है। कुणाल एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर डॉक्टर के रूप में सेवाएं दे रहा है।
बाइक से चलता रहा राजनीतिक सफर
भजनलाल शर्मा के करीबी बताते हैं कि उनका जीवन हमेशा सादगी भरा रहा। वर्ष 2009 में जब वे भाजपा के जिलाध्यक्ष बने, तब जाकर उन्होंने पहली बार चारपहिया वाहन खरीदा। इससे पहले तक वे लंबे समय तक बाइक से ही राजनीतिक दौरे करते रहे। सीमित कृषि भूमि और साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि के बावजूद उन्होंने कभी दिखावे को प्राथमिकता नहीं दी।

संगठन की ताकत से मुख्यमंत्री तक
जिलाध्यक्ष, प्रदेश संगठन में अहम भूमिकाएं निभाने के बाद भजनलाल शर्मा ने आखिरकार मुख्यमंत्री पद तक का सफर तय किया। सरपंच से शुरू हुई उनकी राजनीतिक यात्रा आज मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंची है। यह सफर बताता है कि सादगी, मेहनत और संगठन के प्रति निष्ठा से कोई भी व्यक्ति ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है। भजनलाल शर्मा की कहानी केवल एक नेता की नहीं, बल्कि उस आम किसान परिवार के बेटे की कहानी है, जिसने दूध बेचने से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर अपने दम पर तय किया।
