Devar Bhabhi Affaire : चार बच्चों की मां व शादीशुदा महिला का मुंहबोले देवर पर मन आ गया। अवैध संबंध के चलते महिला अपना ही सुहाग उजाड़ने में नहीं हिचकी। खास बात यह है कि जिस देवर से उसके संबंध थे, वह भी शादीशुदा होकर तीन बच्चे थे। पति की हत्या कर खुद जेल चली गई और उसके चार बच्चे अनाथ हो गए, जबकि देवर भी जेल की सलाखों में बंद हो गया, जिससे उसकी पत्नी व तीन बच्चे भी बेसहारा होकर रह गए हैं।

Real Crime Story : छत्तीसगढ़ के जिला बलौदा बाजार के थाना पलारी के गांव छेरकापुर के रहने वाले भकला आडिल का बेटा सुमेर आडिल आवारा दोस्तों के साथ रहकर काफी बिगड गया था। वह गांव की बहू बेटियों पर बुरी नजर रखने लगा तो भकला ने उसकी शादी पडोस के गांव की रहने वाली तोपबाई से कर दी। भकला का सोचना था कि पत्नी की जिम्मेदारी आते ही बेटा अपने आप सुधर जाएगा। परिणाम उसके अनुकूल ही निकला। सुमेर नई नवेली पत्नी तोपबाई के रूप यौवन में कुछ इस तरह उलझा कि शादी के बाद उसका ज्यादातर समय घर पर ही गुजरने लगा। शादी के डेढ साल बाद तोपबाई ने बेटी को जन्म दिया तो सुमेर की जिम्मेदारी और बढ गई। अब उसके पास समय ही नहीं रहा कि वह दोस्तों के साथ उठे बैठे। एक एक करके सुमेर 4 बच्चों का बाप बन गया।

Crime Alert : परिवार बढा और उसी बीच बाप की भी मौत हो गई तो सुमेर घर परिवार की जिम्मेदारियों में इस कदर उलझ गया कि अब उसे अपना भी होश नहीं रहता था। इसके बावजूद जवानी की बिगडी अन्य आदतें भले ही सुधर गई थीं, लेकिन पीने पिलाने की आदत जस की तस थी, जबकि अब उसके बच्चे भी जवान हो रहे थे। उसकी बडी बेटी हेमलता 18 साल की हो चुकी थी। सुमेर के घर से कुछ दूरी पर संतरू यादव का घर था। उसका दूध का कारोबार था। इसलिए उसके बेटे नरसिंह यादव उर्फ शेरा का मन पढाई में नहीं लगा तो उसकी पढाई छुडाकर संतरू ने उसे अपने साथ दूध के कारोबार में लगा लिया था। उसका एक बेटा और था, जो रायपुर चला गया था और वहां किसी कंपनी में नौकरी करने लगा था। उसके जाने के बाद उसे शेरा का ही सहारा रह गया था। एक ही गांव का होने की वजह से सुमेर और शेरा में अच्छी पटती थी। इसी वजह से दोनों का एक दूसरे के घर भी आना जाना था। वैसे तो दोनों की उम्र में 5-6 साल का अंतर था, लेकिन उनकी आदतें काफी हद तक मिलती जुलती थीं, इसीलिए दोनों में पटरी खाने लगी थी। सुमेर भी खाने पीने वाला आदमी था और शेरा भी। अकसर दोनों की शामें एक साथ गुजरती थीं।

Family Affaire Story : दोस्त की पत्नी होने की वजह से शेरा तोपबाई को भाभी कहता था। इसी रिश्ते की आड में दोनों के बीच हंसी मजाक भी खूब होता था। उनका यह मजाक कभी कभी मर्यादा भी लांघ जाता था। 4 साल पहले की बात है। गर्मी के दिन थे। शेरा अपनी भैंसों को नहलाने के लिए रोजाना दोपहर को गांव के दक्षिण में जायसवाल आरा मिल से थोडी दूर स्थित ठाकुरबिया तालाब पर ले जाता था। उस दिन शेरा ने अपनी भैंसों को पानी में उतारा ही था कि उसकी नजर तालाब के दूसरे घाट पर नहा रही तोपबाई पर पडी। वह साडी उतार कर सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में नहा रही थी। शेरा ने सोचा तोपबाई उसे देखकर या तो पानी में बैठ जाएगी या निकलकर साडी लपेट लेगी, लेकिन जब उसने ऐसा कुछ नहीं किया तो शेरा की आंखों में चमक आ गई।

शेरा को अचानक शरारत सूझी और वह अपनी भैंसों को धीरे धीरे उसी ओर खदेड ले गया, जिधर तोपबाई नहा रही थी। तोपबाई को लगा, उसकी भैंसे अपने आप आ गई हैं, इसलिए वह खामोश रही। शेरा ने भैंस के ऊपर पानी डालने के बहाने एक अंजुली पानी तोपबाई के ऊपर भी उछाल दिया। तोपबाई के भीगे खुले अंग धूप में कुंदन की तरह चमक रहे थे। उस स्थिति में वह कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही थी। पहली बार तो तोपबाई कुछ नहीं बोली, लेकिन जब उसने दोबारा यही हरकत की तो वह उस की शरारत भांप गई। बिल्लौरी आंखों से शेरा को घूरते हुए बोली- क्यों शेरा, तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा है क्या कि मैं नहा रही हूं?’’ ‘‘क्यों नहीं दिखाई दे रहा है भाभी। पानी में भीग कर इस धूप में तो आप कुंदन की तरह चमक रही हैं। ‘तुम मेरे ऊपर पानी क्यों उछाल रहे हो?’’ तोपबाई ने मुस्कुराते हुए कहा। ‘भाभी, मैं पानी आपके ऊपर नहीं, भैसों के ऊपर उछाल रहा था, जिससे उनकी गरमी थोड़ी शांत हो जाए। उसी में से थोडा पानी आप पर भी चला गया होगा। यह कहते हुए शेरा ने सफाई दी।

‘‘भैंस ही नहलाना था तो उधर ही नहला लिया होता। तुम्हें पता नहीं यहां औरतें नहाती हैं। तोपबाई ने बनावटी प्रतिरोध किया। ‘‘अरे ये भैंसे भी तो औरतें हैं। मैं तो इन्हें उसी ओर ले गया था। ये खुद ही अपने घाट पर आ गईं। अब इन्हें छोडकर मैं कहां जा सकता हूं। ‘ठीक है, मैं ही जा रही हूं। तुम अपनी भैसों की गरमी शांत करो।

आप की गरमी बडी जल्दी शांत हो गई भाभी। मैंने तो सोचा था कि अभी आप नहाएंगी, लेकिन आपकी गरमी तो पानी का छींटा पडते ही शांत हो गई। शेरा ने यह बात जिस अंदाज में कही थी, तोपबाई को उसका मतलब समझते देर नहीं लगी। उसने कहा, ‘मेरी गरमी पानी से शांत नहीं होती। उसके लिए मर्द चाहिए। हिम्मत है मेरी गरमी शांत करने की। मौका मिला तो जरूर कोशिश करूंगा भाभी। शेरा ने कहा, ‘‘मौका तो दीजिए। उसके बाद देखिए, मेरी हिम्मत को। इसके बाद बात खत्म हो गई, लेकिन शेरा का जब भी तोपबाई से सामना होता। शेरा अभिवादन करके यह कहना नहीं भूलता।भाभी गरमी शांत करने का कब मौका दे रही हो?’ उसी बीच गांव में छत्तीसगढी नाच गाने का प्रोग्राम बना। जिस दिन नाचगाना होना था, सुबह शेरा तोपबाई के दरवाजे से गुजरा तो आंगन में बैठी तोपबाई उसे दिखाई दे गई। दरवाजे के पास से ही उसने कहा- रामराम भाभीजी, क्या हालचाल है, क्या कर रही हैं?’’

‘‘तुम भी अजीब सवाल करते हो, देख नहीं रहे हो बैठी हूं। वह तो देख रहा हूं, मेरा मतलब कुछ और था. मैं तो गरमी…’’ शेरा की बात पूरी होती, उसके पहले ही तोपबाई ने कहा देवरजी, अभी तुम जाओ। रात में नाच देखने आऊंगी, वहीं मिलना। शेरा का वह दिन बडी मुश्किल से बीता। रात 10 बजे के बाद नाच गाना शुरू हुआ तो तोपबाई ने सुमेर से कहा चलो, नाच देखने नहीं चलोगे क्या? तुझे नाच देखने का बडा शौक है तो तू जा। अभी मेरा मन नहीं है। नाच पूरी रात चलेगी। मन होगा तो आ जाऊंगा. सुमेर ने कहा।

तोपबाई तो यही चाहती थी। इसलिए वह तुरंत निकल गई। वह नाच देखने थोडे ही गई थी। वह तो शेरा से मिलने गई थी। इसलिए वहां पहुंचते ही शेरा को खोजने लगी। शेरा भी उसी को खोज रहा था, इसलिए उन्हें मिलने में देर नहीं लगी. मिलते ही शेरा उसे गांव के बाहर बने स्कूल में ले गया। प्रोग्राम पहले से ही तय था, इसलिए शेरा पहले ही वहां दरी बिछा आया था। दरी पर बैठते हुए तोपबाई ने कहा, ‘‘शेरा, मैं ज्यादा देर तक रुक नहीं सकती, इसलिए जो भी करना है, जल्दी करो। अगर सुमेर नाच देखने आ गया तो मुझे वहां न पाकर शक करेगा। वैसी भी वह बडा शक्की आदमी है।

भाभीजी, आप उसकी चिंता ना करो, मैं हूं न। मैं सब संभाल लूंगा। आखिर मेरी उससे दोस्ती जो है। शेरा भी कहां समय गंवाना चाहता था। इसलिए उसने तोपबाई को बांहों में भर लिया। इसके बाद वासना का ज्वर उमडा तो जल्दी ही शेरा को अहसास हो गया कि तोपबाई सचमुच हुस्न के गोले छोडने वाली तोप है। वासना का तूफान शांत हुआ तो अधखुली आंखों से शेरा की ओर देखते हुए तोपबाई ने कहा शेरा आज मैं तुम्हारी कायल हो गई। तुमने सचमुच मेरी गरमी शांत कर दी।

भाभी, तुम भी कम नहीं हो। मेरे भी छक्के छुडा दिए, शेरा ने कहा। कपडे ठीक करते हुए तोपबाई उठी, ‘‘अब मुझे चलना चाहिए. लेकिन जाने से पहले एक बात का जवाब जरूर चाहूंगी। कहीं तुम मुझे मंझधार में तो नहीं छोड दोगे? मैंने अपनी इज्जत तुम्हारे हवाले कर दी है। भाभी जैसा तुम सोच रही हो, वैसा कुछ भी नहीं होगा। हमारे तुम्हारे बीच आज जो संबंध बने हैं, वह ताउम्र बने रहेंगे। भले ही हम दोनों बूढे हो जाएं, पर हमारा प्यार जरा भी कम नहीं होगा। तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। कभी भी तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत हो। मुझसे बेहिचक कहना। मैं तुम्हारी हर जरूरत पूरी करूंगा।

इच्छा पूरी होने के बाद शेरा अपनी राह चला गया तो तोपबाई अपनी राह। इसके बाद दोनों को जब भी मौका मिलता, कहीं न कहीं जिस्मानी भूख शांत कर लेते। यह ऐसा संबंध है, जो किसी भी तरह छिपाए नहीं छिपता। शेरा और तोपबाई के भी संबंधों की जानकारी सभी को हो गई। मजे की बात यह थी कि तोपबाई जहां 4 बच्चों की मां थी, वहीं उसका प्रेमी शेरा भी 2 बच्चों का बाप था। उसकी पत्नी संतोषी को तीसरा बच्चा होने वाला था। जब इस बात की जानकारी संतोषी को हुई तो उसने पूरा घर सिर पर उठा लिया। उसने शेरा को समझाया भी, लेकिन उस पर पत्नी के समझाने का कोई असर नहीं पड़ा। जल्दी ही हालत यह हो गए कि संतोषी अगर तोपबाई का नाम ले लेती तो उसे गुस्सा आ जाता और वह उस की पिटाई कर देता।

दूसरी ओर सुमेर भी पत्नी की बदचलनी से शर्मिंदा था, लेकिन उसे शराब की ऐसी लत लगी थी कि वह अपनी कमाई का आधे से ज्यादा पैसा शराब में उडा देता था। तोपबाई जब भी समझाने का प्रयास करती, उसे चार बातें सुननी पडती।

घर में बच्चे बडे हो चुके थे, इसलिए सुमेर तोपबाई पर सख्ती नहीं कर पा रहा था। शायद इन्हीं वजहों से तोपबाई और शेरा के संबंधों में कोई रुकावट नहीं आई। जब पानी सिर से ऊपर जाने लगा तो सुमेर ने तोपबाई के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी। वह खुद तो उस पर नजर रखता ही था, इस काम में बेटी भी उसकी मदद करती थी। सुमेर और बेटी की निगरानी से तोपबाई परेशान हो उठी। अब वह पहले की तरह शेरा से नहीं मिल पा रही थी। शेरा भी तोपबाई से मिलने के लिए बेचैन रहता था। शेरा को पता था कि सुमेर ने उस पर घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा रखी है।

दोनों की छटपटाहट बढी तो एक दिन तोपबाई ने कहा- शेरा, अगर तुम चाहते हो कि मैं पूरी तरह से तुम्हारी हो जाऊं तो तुम्हें सुमेर को रास्ते से हटाना होगा। शेरा भी तोपबाई के लिए बेचैन था, इसलिए वह इस के लिए भी तैयार हो गया। 25 जुलाई 2014 को शेरा के एक रिश्तेदार के बेटे का जन्मदिन था। शेरा जन्मदिन की पार्टी में शामिल होकर रात 9 बजे के आसपास घर लौट रहा था, तभी बजरंग चौक के पास उस की मुलाकात सुमेर से हो गई। उसे देखते ही शेरा के दिमाग में उसे ठिकाने लगाने का विचार आ गया। उसने उसके पास जा कर कहा, ‘‘सुमेरभाई लगता है, आजकल आप मुझसे नाराज चल रहे हैं। इसीलिए मेरे साथ बैठ कर खाते पीते नहीं हैं। बहुत दिनों बाद मिले हो तो चलो आज साथ बैठ कर एक एक पैग पी लेते हैं।

सुमेर शराब पीए था, लेकिन शराब उसकी कमजोरी बन चुकी थी। इसलिए वह मना नहीं कर सका। शेरा ने उसे अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाया और बलौदा बाजार की ओर चल पडा। उस समय रात के 10 बज रहे थे। बलौदा बाजार से उसने शराब की एक बोतल खाने का सामान खरीदा और लौट पडा। रास्ते में खोरसी नाला के पास उसने मोटरसाइकिल रोक दी और ठीक ठाक जगह तलाश कर बैठ गया। शेरा ने खुद तो कम पी, जबकि सुमेर को ज्यादा पिलाई। सुमेर पर शराब का नशा चढा तो वह वहीं पर लेट गया। इसके बाद शेरा ने तोपबाई को फोन किया ‘‘तोपबाई, सुमेर मेरे पास नशे में बेहोश पडा है। तुम कहो तो इसे ऊपर पहुंचा दूं या मोटरसाइकिल पर लाद कर तुम्हारे घर छोड दूं।

अब मैं बताऊंगी कि उसका क्या करना है। पहले तो कहते थे कि जीवनभर साथ निभाऊंगा, मंझधार में नहीं छोडूगा। अब मुझ से पूछ रहे हो कि क्या करूं?’’ तोपबाई गुस्से में बोली अगर तुम चाहते हो कि मैं उसके हाथों पिटती रहूं, बेइज्जत होती रहूं तो लाकर उसे यहां छोड दो। शेरा की समझ में आ गया कि तोपबाई क्या चाहती है। उसने कहा ठीक है, आज मैं सारे फसाद का अंत किए देता हूं। आज के बाद तुझे मारने पीटने वाला कोई नहीं रहेगा, रहेगा तो सिर्फ प्यार करने वाला। इसके बाद शेरा ने सुमेर के पास जा कर दोनों हाथों से उस की गरदन दबोच ली और दबाने लगा। सुमेर पर नशा इस कदर हावी था कि वह विरोध नहीं कर सका।

उसने हाथ पैर पटक कर दम तोड दिया। सुमेर मर गया तो शेरा उसके दोनों पैर पकड़ कर उसे घसीटते हुए नाले के पास ले गया और उसकी लाश को उठा कर नाले में फेंक दिया। इसके बाद निश्चिंत होकर अपने घर चला गया। 26 जुलाई, 2014 की सुबह खोरसी नाले से सटे गांव मगरचबा के रहने वालों ने नाले में लाश देखी तो इसकी जानकारी कोतवाली बलौदा बाजार को दी। सूचना पाते ही थाना प्रभारी प्रमोद सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए। थाने से निकलते समय थानाप्रभारी ने यह जानकारी एसपी अभिषेक शांडिल्य के अलावा एएसपी वी.पी. राजभानू को भी दे दी थी। लाश पानी में पेट के बल पडी थी। थाना प्रभारी ने गांव वालों की मदद से वह लाश बाहर निकलवाई। लाश देख कर ही लग रहा था कि उसे रात में ही पानी में फेंका गया था। वहां मौजूद लोगों से पुलिस ने लाश की शिनाख्त करानी चाही तो कोई भी उस की शिनाख्त नहीं कर सका। थाना प्रभारी प्रमोद सिंह घटनास्थल और लाश की जांच कर रहे थे कि एसपी अभिषेक शांडिल्य एवं एएसपी वीपी राजभानू भी आ गए। इसके बाद घटनास्थल की सारी औपचारिकताएं कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया।

इस के बाद थानाप्रभारी प्रमोद सिंह ने थाने लौट कर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया और यह पता लगाने लगे कि 2-3 दिनों में कहीं कोई गुमशुदगी तो दर्ज नहीं हुई। उन्हें पता चला कि थाना पलारी में थोडी देर पहले ही एक महिला तोपबाई आई थी, जिसका पति सुमेर आडिल पिछले दिन से गायब है। तोपबाई ने अपने पति का जो हुलिया बताया था, वह लावारिस लाश के हुलिए से मेल खा रहा था। इसके बाद थानाप्रभारी प्रमोदसिंह ने तोपबाई को पोस्टमार्टम हाउस बुलवा लिया। पोस्टमार्टम हाउस में तोपबाई को नाले में मिली लाश दिखाई तो वह जोरजोर से रोने लगे। इससे साफ हो गया कि मृतक उसका पति सुमेर आडिल था। पोस्टमार्टम के बाद लाश तोपबाई को सौंप दी गई। थाना प्रभारी प्रमोद सिंह ने जांच शुरू की तो पता चला कि तोपबाई का गांव के ही शेरा यादव से अवैध संबंध था। इस बात को ले कर सुमेर आए दिन उस की पिटाई करता रहता था।

थानाप्रभारी प्रमोद सिंह ने तोपबाई और शेरा यादव को थाने बुलवा लिया। दोनों से अलगअलग सख्ती से पूछताछ की गई तो सुमेर की हत्या का सारा राज सामने आ गया। शेरा यादव ने स्वीकार कर लिया कि सुमेर की पत्नी तोपबाई के साथ पिछले कुछ सालों से उस के अवैध संबंध थे। उसी के कहने पर उसने उसके पति सुमेर की हत्या कर लाश नाले में फेंक दी थी। सुमेर की हत्या का खुलासा होने के बाद थानाप्रभारी प्रमोद सिंह ने अज्ञात की जगह शेरा और तोपबाई को नामजद कर अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। तोपबाई को जहां रायपुर की जिला जेल में रखा गया है, वहीं शेरा को बलौदा बाजार जिला जेल भेजा गया है। बलौदा बाजार जेल में महिला सेल न होने की वजह से उसे रायपुर भेजा गया था।

तोप बाई व शेरा के इश्क लडाने के एक गलत कदम ने न सिर्फ खुद को जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया, बल्कि उन्हीं के दोनों परिवार बेसहारा हो गए। शेरा के तीन बच्चों को पालने के लिए पत्नी थी, मगर तोपबाई तो पति को मारकर 4 बच्चों को बेसहारा कर गई। इस तरह अब बेसहारा परिवार के 4 मासूम बच्चों की परवरिश पर बड़ा संकट खड़ा हो गया। यह कहानी बताने के पीछे हमारा उद्देश्य किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं, बल्कि आमजन को इस तरह का गलत कदम न उठाने के लिए प्रेरित करना है, ताकि बेहतर समाज का निर्माण हो। इस तरह की कहानियों के लिए देखिए क्राइम केराेसिन यू ट्यूब चैनल।