
Disproportionate Assets : चित्तौड़गढ़ में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने मंगलवार को एक सनसनीखेज कार्रवाई करते हुए अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (AVVNL) के असिस्टेंट इंजीनियर (एईएन) महिपाल जाटव और उनकी लेक्चरर पत्नी सीमा यादव को गिरफ्तार किया। दोनों पर आय से 43% अधिक संपत्ति अर्जित करने का गंभीर आरोप है। जांच के बाद एसीबी ने दोनों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। यह मामला न केवल भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है, बल्कि सरकारी अधिकारियों के पद के दुरुपयोग की कहानी भी बयां करता है।
Anti Corruption Bureau chittorgarh : यह सारा मामला 20 जून 2019 को उस समय शुरू हुआ, जब चित्तौड़गढ़ के एसीबी कार्यालय में कुछ परिवादियों ने लिखित शिकायत दर्ज की। शिकायत में आरोप था कि महिपाल जाटव, जो उस समय जूनियर इंजीनियर के पद पर सावा-शम्भूपुरा, चित्तौड़गढ़ में तैनात थे, ने एक कृषि बिजली कनेक्शन के नाम परिवर्तन के लिए 30,000 रुपये की रिश्वत मांगी। एसीबी ने तुरंत कार्रवाई की और 26 जून 2019 को जाटव को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। इस घटना ने पूरे मामले की परतें खोल दीं।
Chittorgarh News : यह घटना न केवल भ्रष्टाचार की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कानून की नजर से कोई नहीं बच सकता। एसीबी की इस कार्रवाई ने समाज में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया है। अब सवाल यह है कि क्या इस तरह की कार्रवाइयां भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर पाएंगी, या यह केवल सतह को छूने वाली कोशिशें हैं?
गहरी जांच और चौंकाने वाले खुलासे
ACB arrested : रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तारी के बाद एसीबी ने महिपाल जाटव के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया। इसके बाद उनकी संपत्तियों की गहन जांच शुरू हुई। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) विक्रम सिंह राठौड़ के नेतृत्व में जांच में पता चला कि जाटव और उनकी पत्नी सीमा यादव, जो राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल, बानसेन, तहसील भदेसर में लेक्चरर थीं, ने 1 नवंबर 2016 से 26 जून 2019 के बीच अपनी आय से 43% अधिक संपत्ति अर्जित की।
एसीबी ने जाटव के चित्तौड़गढ़ स्थित आवास (डी-23, दिवाकर नगर) की तलाशी ली, जहां संपत्तियों से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूत मिले। इसके अलावा, 6 नवंबर 2019 को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, मीरा मार्केट, चित्तौड़गढ़ में उनके और उनकी पत्नी के नाम पर लॉकर की भी तलाशी ली गई। जांच में सामने आया कि दंपति के पास नकदी, जेवरात, चल-अचल संपत्तियां, निवेश और बैंक खातों में जमा राशि थी, जिनका कोई वैध स्रोत नहीं था।
संपत्ति का हिसाब: 43% की उलझन
जांच के शुरुआती चरण में अनुमान लगाया गया था कि दंपति के पास उनकी आय से 68% अधिक संपत्ति थी, लेकिन गहन जांच के बाद यह आंकड़ा 43% पर स्थिर हुआ। फिर भी, यह राशि इतनी बड़ी थी कि यह साफ हो गया कि दोनों ने अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध तरीकों से धन कमाया। संपत्तियों में शामिल नकदी, जेवरात और अन्य निवेशों का कोई स्पष्ट स्रोत नहीं बताया जा सका। इस पूरे मामले ने यह सवाल उठाया कि कैसे सरकारी अधिकारी इतनी बड़ी मात्रा में अवैध संपत्ति जमा कर सकते हैं।

कोर्ट में पेशी और जेल
caught taking bribe : एसीबी ने महिपाल जाटव और सीमा यादव के खिलाफ ठोस सबूतों के आधार पर आरोप पत्र तैयार किया। अनुसंधान अधिकारी एएसपी विक्रम सिंह राठौड़ ने जांच पूरी कर इसे कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने दोनों को दोषी मानते हुए जेल भेजने का आदेश दिया। इस कार्रवाई ने न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ एसीबी की सख्ती को दिखाया, बल्कि आम जनता में भी यह संदेश दिया कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।
भ्रष्टाचार पर प्रहार
यह मामला राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम का एक हिस्सा है। एसीबी की इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित किया कि भ्रष्टाचार करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। महिपाल जाटव और सीमा यादव की गिरफ्तारी ने न केवल उनके काले कारनामों को उजागर किया, बल्कि अन्य अधिकारियों के लिए भी एक चेतावनी के रूप में काम किया।
