
Gold silver rate today : आज का दिन कीमती धातुओं के बाजार के लिए यादगार साबित हुआ है। चांदी ने एक नया रिकॉर्ड कायम करते हुए ₹1,500 की तेज रफ्तार से उछाल मारा और ₹1,86,988 प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गई, जो अब तक का सर्वोच्च भाव है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार को यह ₹1,85,488 प्रति किलो पर बंद हुई थी, लेकिन आज वैश्विक बाजार की तेजी और घरेलू मांग के दबाव में यह नई ऊंचाइयों को छू गई। यह उछाल न सिर्फ निवेशकों के बीच उत्साह भर रहा है, बल्कि ज्वेलर्स और इंडस्ट्री के लिए भी एक बड़ा संकेत है कि चांदी अब महज आभूषणों तक सीमित नहीं रही, बल्कि ग्रीन एनर्जी और टेक्नोलॉजी सेक्टर की जान बन चुकी है।
इसके साथ ही सोने ने भी अपनी चमक बरकरार रखी। 24 कैरेट सोना ₹747 की बढ़ोतरी के साथ ₹1,28,535 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। मंगलवार को यह ₹1,27,788 के स्तर पर था। हालांकि, सोने का यह भाव अभी भी 17 अक्टूबर 2025 को छुए गए ऑल-टाइम हाई ₹1,30,874 से थोड़ा नीचे है, लेकिन बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह फिर से नई ऊंचाइयों को पार कर सकता है। वैश्विक स्तर पर फेडरल रिजर्व की लगातार ब्याज दरों में कटौती (Rate Cut) ने दोनों धातुओं को मजबूत समर्थन दिया है, जिससे डॉलर की कमजोरी और महंगाई की आशंकाओं के बीच निवेशक सुरक्षित निवेश की ओर रुख कर रहे हैं।
शहरों में भावों में क्यों दिखता है अंतर? समझें आसान भाषा में
Gold silver rate today IBJA : भारतीय बाजार में सोना-चांदी के भाव शहरों के हिसाब से थोड़े अलग-अलग क्यों नजर आते हैं, यह सवाल हर खरीदार के मन में होता है। दरअसल, IBJA के निर्धारित भावों में 3% जीएसटी (GST), मेकिंग चार्जेस (जैसे डिजाइन और कारीगरी का खर्च) और ज्वेलर्स का मार्जिन शामिल नहीं होता। ये अतिरिक्त लागतें स्थानीय बाजार की स्थिति, ट्रांसपोर्टेशन खर्च, लोकल टैक्स और मांग-आपूर्ति के आधार पर बदलती रहती हैं। उदाहरण के लिए, मुंबई या दिल्ली जैसे बड़े शहरों में थोक बाजार के भाव कम हो सकते हैं, जबकि छोटे शहरों में रिटेल प्राइस में 5-10% तक का अंतर देखने को मिल सकता है।
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) समेत कई प्रमुख बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस गोल्ड लोन (Gold Loan) के ब्याज दरें तय करने के लिए इसी IBJA बेंचमार्क का सहारा लेते हैं। अगर आप लोन लेने की सोच रहे हैं, तो आज के उच्च भावों का फायदा उठाकर जल्दी आवेदन करें, क्योंकि भावों में गिरावट आने पर लोन अमाउंट प्रभावित हो सकता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि खरीदारी से पहले लोकल ज्वेलर से रियल-टाइम रेट्स चेक करें, ताकि कोई छिपा चार्ज न लगे।

2025: सोना-चांदी के लिए ‘सुपर ईयर’, देखें साल भर की शानदार रफ्तार
Gold price per 10 gram India : इस साल कीमती धातुओं ने निवेशकों को मालामाल कर दिया है। 31 दिसंबर 2024 को 24 कैरेट सोने का भाव ₹76,162 प्रति 10 ग्राम था, जो आज ₹1,28,535 तक पहुंच गया। यानी पूरे साल में ₹52,373 की शानदार बढ़ोतरी! यह उछाल करीब 69% का है, जो महंगाई, जियोपॉलिटिकल टेंशंस (जैसे मिडिल ईस्ट और यूक्रेन संकट) और सेंट्रल बैंक की खरीदारी से प्रेरित है। भारत जैसे देश में, जहां सोना शादियों और त्योहारों का अटूट हिस्सा है, इस बढ़ोतरी ने ज्वेलरी सेक्टर को भी बूस्ट दिया है।
चांदी की बात करें तो यह सोने से भी आगे निकल गई। साल की शुरुआत में 31 दिसंबर 2024 को ₹86,017 प्रति किलोग्राम था, जो अब ₹1,86,988 पर ट्रेड कर रहा है। कुल ₹1,00,971 या लगभग 117% की तेजी! यह आंकड़ा बताता है कि चांदी ने 2025 में ‘सिल्वर रश’ का नया अध्याय लिखा है। ग्लोबल मार्केट में सिल्वर प्राइस $60 प्रति औंस को पार कर चुका है, जो भारतीय रुपये में और ऊंचा भाव बनाता है। निवेशक अब चांदी को ‘पीपल्स गोल्ड’ कहकर पुकार रहे हैं, क्योंकि यह सोने से सस्ता होने के बावजूद वैसा ही सेफ-हेवन स्टेटस देता है।
चांदी की तेजी के पीछे छिपे 5 प्रमुख कारण, जो बाजार को हिला रहे हैं
Silver hits per kg : चांदी के इस रॉकेट जैसे उछाल के पीछे कई वैश्विक और घरेलू फैक्टर काम कर रहे हैं। सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कोस्मास मरिनाकिस ने इसे ‘सिल्वर का नया युग’ करार दिया है। आइए, इन कारणों को विस्तार से समझें:
- इंडस्ट्रियल डिमांड का बूम, खासकर ग्रीन एनर्जी में: चांदी अब सिर्फ निवेश या ज्वेलरी का साधन नहीं, बल्कि एक क्रिटिकल इंडस्ट्रियल मेटल बन चुकी है। सोलर पैनल्स (फोटोवोल्टेइक्स) में चांदी का इस्तेमाल 2025 में 5,200 टन से ज्यादा होने का अनुमान है, जो पिछले साल से 15% अधिक है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) में हर गाड़ी को 50 ग्राम चांदी चाहिए, जबकि AI डेटा सेंटर्स के हर कैबिनेट में 1.2 किलो तक। वर्ल्ड सिल्वर सर्वे के अनुसार, ग्लोबल इंडस्ट्रियल डिमांड 36,000 मीट्रिक टन को पार कर चुकी है, जबकि सप्लाई फ्लैट बनी हुई है। भारत में रिन्यूएबल एनर्जी टारगेट्स के चलते लोकल मैन्युफैक्चरर्स भी चांदी के भंडार जमा कर रहे हैं।
- अमेरिकी ट्रेड पॉलिसीज और टैरिफ का डर: डोनाल्ड ट्रंप की प्रस्तावित ट्रेड नीतियों के तहत चांदी पर हाई टैरिफ लगने की आशंका ने अमेरिकी कंपनियों को स्टॉक पाइलिंग पर मजबूर कर दिया है। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन में कमी आ गई है, और एशिया-यूरोप मार्केट्स में प्राइस प्रेशर बढ़ा। USGS ने चांदी को ‘क्रिटिकल मिनरल’ लिस्ट में शामिल किया, जिससे टैरिफ रिस्क और बढ़ गया। नतीजा? लंदन और न्यूयॉर्क के इन्वेंटरी लेवल्स 2021 के पीक से 50% नीचे आ चुके हैं।
- फेडरल रिजर्व की रेट कट्स और डॉलर की कमजोरी: US फेड ने 2025 में तीसरी बार ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की, जिससे डॉलर वीक हुआ और कमोडिटी प्राइसेज ऊपर चढ़े। सिल्वर ETF इनफ्लो 8.2% बढ़कर 41,400 टन हो गया, जो टोटल डिमांड का 37% है। सिटी बैंक और स्टैंडर्ड चार्टर्ड जैसे एनालिस्ट्स का अनुमान है कि 2026 की शुरुआत तक सिल्वर $55-60 प्रति औंस पर स्थिर रहेगा।
- सप्लाई डेफिसिट का बढ़ता संकट: ग्लोबल माइन प्रोडक्शन 2025 में 820 मिलियन औंस (2,580 टन) तक गिर गया, जो 2020 के पीक से 12% कम है। रिसाइक्लिंग भी फ्लैट है, जबकि डिमांड 5 सालों से लगातार बढ़ रही है। सिल्वर इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 2025 में 125 मिलियन औंस का शॉर्टेज होगा, जो 2021 से कुल 800 मिलियन औंस का डेफिसिट बनाता है। मेक्सिको और रशिया में प्रोडक्शन बढ़ा, लेकिन पेरू-इंडोनेशिया में गिरावट ने बैलेंस बिगाड़ दिया।
- जियोपॉलिटिकल रिस्क्स और इन्वेस्टर सेंटिमेंट: यूक्रेन, मिडिल ईस्ट और ट्रेड वॉर्स जैसे टेंशंस ने सिल्वर को सेफ-हेवन का स्टेटस दिया। भारत में दिवाली-अक्षय तृतीया जैसे त्योहारों पर 35% ज्यादा बिक्री हुई। सोशल मीडिया पर #SilverRush ट्रेंड कर रहा है, जहां निवेशक शेयर कर रहे हैं कि कैसे सिल्वर ने गोल्ड को पछाड़ दिया।
ये फैक्टर मिलकर चांदी को ‘सस्टेनेबल मेटल बूम’ की ओर ले जा रहे हैं, जहां प्राइस वोलेटाइलिटी के बावजूद लॉन्ग-टर्म अपसाइड दिख रहा है।
भविष्य की भविष्यवाणी: चांदी ₹2 लाख पार, सोना ₹1.35 लाख तक संभव?
Gold vs silver returns : केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने चेतावनी दी है कि जियोपॉलिटिकल टेंशंस बने रहने से गोल्ड को मजबूत सपोर्ट मिलेगा। ‘गोल्ड की डिमांड कभी कम नहीं होती, खासकर अनिश्चितताओं में।’ उनके अनुसार, 2025 के अंत तक सोना ₹1.35 लाख प्रति 10 ग्राम को छू सकता है। चांदी के लिए तो और भी रोमांचक अनुमान है – ₹2 लाख प्रति किलो पार करने की पूरी संभावना।
विश्व गोल्ड काउंसिल की ‘गोल्ड आउटलुक 2026’ रिपोर्ट में कहा गया है कि सॉफ्ट ग्रोथ, एकॉमोडेटिव पॉलिसी और जियो रिस्क्स से गोल्ड रेंज-बाउंड रहेगा, लेकिन $4,000-4,800 प्रति औंस ($3,950–$4,950 रेंज) में ट्रेड करेगा। ड्यूश बैंक ने 2026 का फोरकास्ट $4,450 किया है। वेंटुरा सिक्योरिटीज का मानना है कि सेंट्रल बैंक बाइंग और इन्फ्लेशन रिस्क्स से गोल्ड $4,600–$4,800 तक जाएगा। भारत में, जहां गोल्ड RBI रिजर्व का दूसरा बड़ा हिस्सा है, लोकल फैक्टर्स जैसे इम्पोर्ट ड्यूटी और करेंसी फ्लक्चुएशंस भी असर डालेंगे।
निवेशकों के लिए टिप्स: कैसे बनाएं स्मार्ट मूव?
- डाइवर्सिफाई करें: पोर्टफोलियो का 10-15% गोल्ड-सिल्वर ETF या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) में लगाएं। सिल्वर ETF ने इस साल 11% मंथली रिटर्न दिए हैं।
- टाइमिंग का ध्यान: फेड की अगली मीटिंग्स पर नजर रखें। अगर रेट कट्स जारी रहीं, तो बाय-ऑन-डिप का मौका मिलेगा।
- रिस्क मैनेजमेंट: हाई वोलेटाइलिटी में स्टॉप-लॉस यूज करें। महिलाओं के लिए गोल्ड ज्वेलरी अभी भी बेस्ट, लेकिन मेकिंग चार्जेस चेक करें।
- टैक्स बेनिफिट्स: SGB पर 2.5% इंटरेस्ट और कैपिटल गेन टैक्स एग्जेम्प्शन का फायदा लें।
2025 ने साबित कर दिया कि कीमती धातुएं महज धन का प्रतीक नहीं, बल्कि स्मार्ट इन्वेस्टमेंट का हथियार हैं। बाजार की यह चमक आने वाले साल में और तेज हो, इसकी पूरी उम्मीद है। निवेश से पहले फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें, क्योंकि मार्केट रिस्क हमेशा बना रहता है।
