अनुकंपा नौकरी में चौंकाने वाला मामला सामने आया है, एक कर्मचारी की मौत के बाद पहले पत्नी व फिर बेटे ने दो अलग- अलग विभागों में नौकरी की। जानकारी के अनुसार कर्मचारी उदयपुर जिले में रोडवेज बस में कार्यरत था। नौकरी में धांधली कर दोनों मां बेटो ने सरकारी नौकरी पा ली।
मृतक कर्मचारी भगवत सिंह राठौड़ की 1 जून 1989 को हुई मौत के करीब 19 माह बाद ही उनकी पत्नी शकुंतला राठौड़ ने शिक्षा विभाग में शिक्षिका के पद पर अनुकंपा नौकरी हासिल कर ली, जबकि बेटे आदित्य सिंह राठौड़ ने पिता की मौत के 32 साल बाद 6 अगस्त 2021 को रोडवेज में नौकरी पाई। इस बीच, एक ही मृत कर्मचारी के मृत्यु प्रमाण पत्र पर दो आश्रितों के नौकरी पाने और धोखाधड़ी को लेकर कार्रवाई होने के डर से बेटे आदित्य ने पिछले साल अगस्त में अपनी नौकरी से त्याग पत्र दे दिया। हालांकि, आदित्य ने बताया कि उसने अगस्त 2023 के बाद नौकरी छोड़ दी है। उनकी इच्छा शुरू से ही प्राइवेट सेक्टर में जाने की थी, इसलिए ऐसा किया गया। रोडवेज में समय पर पेमेंट भी नहीं मिलता था।
सवाल दो साल तक की सैलरी का
अब सवाल उसके दो साल तक के प्रोबेशन पीरियड के दौरान 14 हजार 600 इपए प्रतिमाह की राशि लेने पर उठ रहे हैं। इन दो सालों में उसने fraud से करीब 3 लाख 50 हजार रुपए हासिल किए। मामले में शिक्षा विभाग और रोडवेज के जिम्मेदार अधिकारी बिना रिकॉर्ड देखे कुछ भी नहीं कहने जैसे जवाब दे रहे हैं। नियमानुसार एक ही मृत्यु प्रमाण पत्र पर एक ही परिवार के दो आश्रितों को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती है। लेकिन इस मामले में अधिकारियों ने बिना जांच पड़ताल के ही नियुक्ति दे दी।
मामले का ऐसे हुआ खुलासा : fraud
मामले का खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत मांगी गई जानकारी में हुआ है। मृतक कर्मचारी की पत्नी शकुंतला अभी उदयपुर शहर के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय रेजीडेंसी स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं। नौकरी पाने के लिए उनकी ओर से प्रारंभिक शिक्षा विभाग में 17 दिसंबर 1990 को शपथ पत्र और पति का मृत्यु प्रमाण पत्र पेश किया गया था। उनकी पहली पोस्टिंग बांसवाड़ा जिले के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय जौलाना में हुई थी। बाद में ट्रांसफर हुआ और उदयपुर में पोस्टिंग हो गई। शपथ पत्र के अनुसार उस समय उनका बेटा 3 साल का था। उनके बेटे ने दो साल पहले राजस्थान रोडवेज में बतौर कनिष्ठ लिपिक उदयपुर में नौकरी पाई। बताया जा रहा है कि बाद में उनका ट्रांसफर राजसमंद में हो गया और वहीं से नौकरी छोड़ी। बेटे ने पिता की मौत के 32 साल बाद रोडवेज में नौकरी पाई, अब बोला-प्राइवेट जॉब करने के लिए छोड़ चुका नौकरी।
अभी कुछ नहीं कह सकते, रिकॉर्ड देखना पड़ेगा
राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय रेजीडेंसी की प्रिंसिपल रंजना मिश्रा का कहना है कि शकुंतला अभी हमारे स्कूल में शिक्षिका के पद पर कार्यरत है। लेकिन अनुकंपा (fraud) नियुक्ति से जुड़ा उनका क्या मामला चल रहा है, इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है। अभी हम कुछ नहीं कह सकते हैं। जब तक रिकॉर्ड न देखा जाए, तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता है।
आदित्य सिंह के नौकरी छोड़ने का कारण पता नहीं
रोडवेज राजस्थान रोडवेज के राजसमंद आगार के मुख्य प्रबंधक महेश उपाध्याय का कहना है कि आदित्य सिंह राठौड़ उनके डिपो पर ही नौकर करता था। लेकिन अगस्त 2023 के बाद उसने नौकरी छोड़ दी। उसने नौकरी क्यों छोड़ी, इसके पीछे कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आए। हालांकि दो साल का प्रोबेशन पीरियड पूरा कर लिया है। नियुक्ति के बादे में उन्हें जानकारी नहीं है।