Lakshyarajsingh Mewar : मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को उनके कुलगुरु डॉ. वागीश कुमार गोस्वामी ने विधि-विधान से गद्दी पर बैठाया। इस ऐतिहासिक रस्म के दौरान वैदिक मंत्रोच्चारण और शंखनाद की गूंज ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। गद्दी पर विराजमान होने के पश्चात, लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कुलगुरु सहित सभी संत-महात्माओं का आशीर्वाद प्राप्त किया। गद्दी की पारंपरिक पूजा-अर्चना करने के उपरांत, लक्ष्यराज सिंह ने श्री एकलिंगनाथजी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए और आशीर्वाद लिया। इस पवित्र अनुष्ठान के पश्चात उन्होंने धूणी दर्शन किए। शाम के समय वह एकलिंगजी मंदिर के दर्शन के लिए प्रस्थान करेंगे, जहाँ वे भगवान श्री एकलिंगनाथ जी की पूजा करेंगे। इसके बाद भगवान जगदीश मंदिर में दर्शन के साथ यह अनुष्ठान पूर्ण होगा।
अश्व पूजन: मेवाड़ की ऐतिहासिक परंपरा
राजतिलक या गद्दी पर विराजने की रस्म के साथ-साथ अश्व पूजन की परंपरा भी निभाई जाती है। यह प्राचीन परंपरा मेवाड़ में सदियों से चली आ रही है, क्योंकि घोड़े को स्वामी भक्ति और युद्ध कौशल का प्रतीक माना जाता है। इतिहास में कई योद्धाओं ने अपने अश्व की बहादुरी की मिसाल दी है, जिनमें सबसे प्रमुख नाम महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का है। हल्दीघाटी के युद्ध में घायल होने के बावजूद चेतक ने महाराणा प्रताप को सुरक्षित युद्धभूमि से बाहर निकाला था। यही कारण है कि मेवाड़ का राजपरिवार विशेष त्योहारों और राजतिलक के अवसर पर घोड़ों की पूजा करता है। इस राजशाही परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ भी अपने पिता के निधन के बाद अश्व पूजन की रस्म पूरी करेंगे।
Udaipur News : 1500 वर्षों से चली आ रही है यह परंपरा

मेवाड़ राजघराने में घोड़ों को विशेष सम्मान प्राप्त है और यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। राजपरिवार के घोड़े विशेष रूप से उनकी अश्वशालाओं में प्रशिक्षित और देखरेख किए जाते हैं। वर्तमान में सिटी पैलेस और शिकारबाड़ी में राजपरिवार की अश्वशालाएं स्थित हैं, जहां उच्च नस्ल के घोड़ों को पाला जाता है। महाराणा करण सिंह (1620-1628 ई.) के शासनकाल में घोड़ों के लिए विशाल अस्तबल का निर्माण किया गया था, जिसे अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त बनाया गया था। यह अस्तबल न केवल घोड़ों के रहने के लिए बल्कि उनके प्रशिक्षण और देखरेख के लिए भी महत्वपूर्ण केंद्र था। हालांकि, मेवाड़ राजपरिवार में घोड़ों को रखने और उनकी देखभाल करने की परंपरा 1500 साल से भी अधिक पुरानी मानी जाती है। प्राचीन काल में घोड़े राजा-महाराजाओं की शक्ति और शान के प्रतीक माने जाते थे। युद्ध के समय इनका विशेष महत्व होता था और मेवाड़ के राजाओं ने अपने घोड़ों के प्रति असाधारण निष्ठा और सम्मान प्रकट किया है। मेवाड़ राजपरिवार की यह परंपरा आज भी जीवित है, जहां गद्दी पर बैठने, राजतिलक और विशेष अवसरों पर घोड़ों का पूजन किया जाता है। इसे न केवल ऐतिहासिक धरोहर के रूप में देखा जाता है बल्कि यह स्वामी-भक्ति और पराक्रम का प्रतीक भी है।
Lakshyraj Singh mewar Gaddi Utsav : सिटी पैलेस में सुबह 9:30 बजे शुरू हुआ हवन-पूजन
Lakshyraj Singh mewar Gaddi Utsav : सिटी पैलेस परिसर में भव्य अनुष्ठान के तहत सुबह करीब 9:30 बजे हवन-पूजन की पवित्र प्रक्रिया आरंभ हुई। इस शुभ अवसर पर वातावरण वेद मंत्रों के उच्चारण और आस्था की सुगंध से भर गया। हवन की अग्नि में आहुति डालते हुए विधिवत पूजा-अर्चना की गई, जिसमें कुलगुरु और विद्वान पंडितों ने परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार अनुष्ठान संपन्न कराया। इस विशेष आयोजन में कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने उपस्थिति दर्ज कराई। ओडिशा के डिप्टी सीएम और लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के ससुर कनकवर्धन सिंह भी इस पावन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इसके अलावा, सुप्रसिद्ध कवि और अभिनेता शैलेश लोढ़ा सहित कई गणमान्य व्यक्तित्व उदयपुर सिटी पैलेस में पहले ही पहुंच चुके थे।
सभी सफेद परिधान में नजर आए

सिटी पैलेस स्थित नौ चौकी महल के राय आंगन में पारंपरिक गरिमा और शुद्धता का प्रतीक स्वरूप सभी लोग सफेद रंग के परिधानों में उपस्थित हुए। यह दृश्य राजपरिवार की गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं को दर्शा रहा था। डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ भी पूर्ण श्रद्धा और विधि-विधान के साथ सफेद परिधान धारण कर परंपरा का पालन कर रहे थे। इस महत्वपूर्ण अवसर पर उनके पुत्र हरितराज सिंह मेवाड़ ने भी विशेष रूप से संतों और विद्वानों का आशीर्वाद ग्रहण किया, जो राजपरिवार की गुरु-परंपरा और आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक है। यह आयोजन उनके पिता, स्वर्गीय अरविंद सिंह मेवाड़ की स्मृति में संपन्न किया जा रहा था, जिनका 16 मार्च को निधन हो गया था। उनकी अनुपस्थिति को महसूस करते हुए भी, यह आयोजन मेवाड़ की परंपरा और विरासत को सजीव बनाए रखने की एक सशक्त कड़ी के रूप में देखा गया।
शाम को करेंगे एकलिंगजी दर्शन
पारंपरिक रीति-रिवाजों और राजसी परंपराओं के अनुसार, दोपहर 3 बजे अश्व-पूजन की रस्म संपन्न होगी। यह पूजन मेवाड़ राजघराने की पुरातन परंपराओं का हिस्सा है, जिसमें घोड़ों को विशेष सम्मान दिया जाता है। इस अनुष्ठान में लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ पूरी विधि-विधान से भाग लेंगे। अश्व-पूजन के बाद, वे शाम 4:20 बजे कैलाशपुरी स्थित श्री एकलिंगनाथजी के दर्शन के लिए प्रस्थान करेंगे। इसके बाद, शाम 7 बजे उदयपुर के ऐतिहासिक हाथीपोल द्वार का पूजन किया जाएगा, जो मेवाड़ राजवंश की परंपरा और विरासत का अभिन्न हिस्सा है। वहीं, रात 8:15 बजे भाईपा और सरदारों के रंगपलटाई दस्तूर की परंपरा निभाई जाएगी, जो राजपरिवार के स्नेह और प्रशासनिक उत्तरदायित्व के प्रतीक के रूप में देखी जाती है।
City Palace : रात 9 बजे जगदीश मंदिर में होंगे दर्शन

रात्रि 9 बजे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ भगवान जगदीश के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचेंगे। इस पावन अवसर पर वे विशेष पूजा-अर्चना करेंगे और आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। यह पूरी रस्म उनके दिवंगत पिता, स्वर्गीय अरविंद सिंह मेवाड़ की स्मृति और मेवाड़ राजपरिवार की परंपरा के निर्वहन के रूप में आयोजित की जा रही है। गौरतलब है कि अरविंद सिंह मेवाड़ का 16 मार्च को निधन हो गया था। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विशेष ड्रेस कोड निर्धारित किया गया है। पुरुषों को सफेद कुर्ता-पायजामा पहनना अनिवार्य है, जबकि महिलाओं के लिए सफेद सूट या पारंपरिक सफेद पोशाक का नियम रखा गया है।
विश्वराज सिंह की हुई थी राजतिलक रस्म
यह पहली बार नहीं है जब मेवाड़ राजवंश की परंपराओं को विधिपूर्वक निभाया गया हो। इससे पहले, अरविंद सिंह मेवाड़ के बड़े भाई महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन (10 नवंबर 2024) के उपरांत, उनके पुत्र और नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ की राजतिलक रस्म संपन्न की गई थी। यह भव्य आयोजन ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ किले में आयोजित किया गया था, जो मेवाड़ की गौरवशाली परंपराओं और राजसी संस्कृति का प्रतीक है।
लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ के गद्दी उत्सव से जुड़े फोटो





















Parmeshwar Singh Chundwat ने डिजिटल मीडिया में कॅरियर की शुरुआत Jaivardhan News के कुशल कंटेंट राइटर के रूप में की है। फोटोग्राफी और वीडियो एडिटिंग में उनकी गहरी रुचि और विशेषज्ञता है। चाहे वह घटना, दुर्घटना, राजनीतिक, सामाजिक या अपराध से जुड़ी खबरें हों, वे SEO आधारित प्रभावी न्यूज लिखने में माहिर हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स, थ्रेड्स और यूट्यूब के लिए छोटे व बड़े वीडियो कंटेंट तैयार करने में निपुण हैं।