बांसवाड़ा में बुधवार को आश्चर्यचकित करने वाली घटना हुई। यहां सिविल डिफेंस की टीम ने बुधवार दोपहर करीब 2 बजे सुरवानिया बांध के बेकवाटर वाले दलदल से एक अधेड़ को 32 घंटे बाद जिंदा बाहर निकाला। काली मिट्टी वाले दलदल में अधेड़ जलकुंभी से बुरी तरह उलझा हुआ था। जलकुंभी के बीच वह गर्दन तक पानी में डूबा हुआ था। घटना के बाद अधेड़ को हार्ट अटैक भी आया। उसका महात्मा गांधी राजकीय चिकित्सालय में इलाज चल रहा है।
खांडा डेरा निवासी नानू (52) पुत्र दलिया आदिवासी मंगलवार सुबह 6 बजे घर से निकला था। सदर थाना प्रभारी पूनाराम गुर्जर ने बताया कि नानू मछली पकड़ने के लिए बेक वाटर में गया था, जो गलती से गहरे दलदली हिस्से में जलकुंभी के बीच फंस गया था। सूचना पर लीमथान चौकी पुलिस भी मौके पर गई थी।
गमछे और चप्पलों से पहचाना
मंगलवार सुबह घर से निकला नानू रात तक घर नहीं लौटा। परिजनों ने रात को नजदीकी रिश्तेदारों के यहां पता किया। कोई संपर्क नहीं हुआ तो दूसरे दिन सुबह जल्दी तलाश की। बुधवार सुबह करीब 8 बजे परिजन ने बेक वाटर के करीब उसका गमछा और चप्पलें देखी। इससे उन्हें नानू के आस-पास ही होने का अंदेशा हुआ। कई घंटों की तलाश के बाद दलदल के बीच नानू की हलचल दिखी तो घरवालों ने उसे आवाज दी। उसने घरवालों की आवाज सुनकर एक-दो बार पानी से बाहर हाथ निकालने की कोशिश भी की। बाद में पुलिस के माध्यम से पहुंची सिविल डिफेंस की टीम ने तीन घंटे की मशक्कत के बाद जलकुंभी के दलदल के बीच से नानू को निकाल लिया।
वनस्पति शास्त्र के जानकार डॉ. महेश शर्मा ने बताया कि पानी के बीच शुरुआत में हाथ-पैर चलते समय जलकुंभी में उलझने अहसास कम होता है। आगे बढ़ते समय जलकुंभी का नया जाल मिलता है, जबकि पहले से उलझी हुई बेल कसती जाती है। दलदली जमीन में इस कंडीशन में उलझा हुआ आदमी जमीन की तलाश करता है। इससे वह नीचे ताकत लगाता है और पानी में डूब सकता है। हलचल बंद करते ही जलकुंभी आदमी को फिर सतह पर ले आती है।
परिजन ने बताया कि नानू ने पानी से बाहर आकर धीमी आवाज में बड़बड़ाते हुए बताया कि वह घर से निकलकर पानी में नहाने गया था। ट्यूब लेकर वह थोड़ा आगे गया तो ट्यूब की हवा निकल गई। इससे वह जलकुंभी में फंस गया। कमजोरी में तैर भी नहीं पाया। पानी किनारे चप्पलें देख परिवार ने उसे मरा हुआ मान लिया था। इस सूचना पर गांव के लोग मौके पर जुटे। वहीं कुछ लोगों ने उसके शव को श्मशान तक ले जाने की तैयारी कर ली। तब पता चला कि वह जिंदा है। गांव वालों के लिए भी यह किसी आश्चर्य से कम नहीं था।