
Mosam : राजस्थान में होली के दौरान मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है। प्रदेश के बीकानेर संभाग सहित पश्चिमी राजस्थान के कुछ जिलों में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की संभावना है, जिससे बादल छा सकते हैं और कुछ स्थानों पर हल्की बारिश या बूंदाबांदी हो सकती है।
Rajasthan weather forecast Holi : राजस्थान में मार्च की शुरुआत से ही तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। रविवार को बाड़मेर में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया, जिससे राज्य के पश्चिमी हिस्सों में गर्मी का असर बढ़ गया। जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, लोगों ने कूलर और पंखे चलाने शुरू कर दिए हैं। राज्य के कई अन्य शहरों में भी पारा 35 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है। चूरू, नागौर, दौसा समेत कई शहरों में अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक तापमान में 1-2 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि होने की संभावना है।
Weather Alert : राजस्थान में इस साल होली के दौरान गर्मी का असर तेज रहने वाला है। हालांकि, 13 मार्च के बाद पश्चिमी विक्षोभ के कारण कुछ इलाकों में मौसम बदलेगा, जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिल सकती है। अगले कुछ दिनों तक तापमान में वृद्धि जारी रहेगी, इसलिए लोगों को गर्मी से बचाव के लिए एहतियात बरतने की जरूरत है।
सबसे ज्यादा गर्मी बाड़मेर जिले में
Rainfall prediction Rajasthan March : रविवार को राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में आसमान साफ रहा, लेकिन शाम के समय जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर के आस-पास बादल छाने लगे। हालांकि, नमी कम होने और ऊंचाई वाले बादलों के कारण बारिश नहीं हुई। हल्की हवाएं जरूर चलीं, लेकिन गर्मी में कोई खास राहत नहीं मिली।
बाड़मेर में इस दिन सबसे अधिक तापमान 39.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसके अलावा, श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, जैसलमेर और जोधपुर में भी अधिकतम तापमान औसत से 4 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।
प्रमुख शहरों का अधिकतम तापमान:
- चूरू: 35.8°C
- बीकानेर: 36°C
- जोधपुर: 37.2°C
- जैसलमेर: 37.4°C
- श्रीगंगानगर: 32.5°C
- नागौर: 36.6°C
- चित्तौड़गढ़: 37.7°C
- डूंगरपुर: 37°C
- जालौर: 38.4°C
- सिरोही: 36.4°C
- फतेहपुर: 36°C
- कोटा, सीकर: 34.5°C
- जयपुर: 33.3°C
- अजमेर: 35.2°C
रात का तापमान भी बढ़ने लगा
राजस्थान में दिन की गर्मी के साथ अब रातें भी गर्म होने लगी हैं। बाड़मेर में रात का न्यूनतम तापमान 22.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि फलोदी में 21.2 डिग्री सेल्सियस, जैसलमेर में 17.3 डिग्री सेल्सियस और जयपुर में 18.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
आगे कैसा रहेगा मौसम?
जयपुर मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, 12 मार्च तक राजस्थान में मौसम शुष्क और तेज धूप वाला रहेगा। इस दौरान कई शहरों का तापमान 33 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। 13 मार्च तक तापमान में और 2-3 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि होने की संभावना है।
13 मार्च से पश्चिमी विक्षोभ का असर:
13 मार्च से एक हल्के प्रभाव वाला पश्चिमी विक्षोभ राजस्थान में सक्रिय होगा, जिससे बीकानेर संभाग के जिलों में मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा। 13 और 14 मार्च को कुछ इलाकों में हल्की बारिश या बूंदाबांदी हो सकती है, जिससे तापमान में थोड़ी गिरावट आ सकती है।
संभावित प्रभाव:
- बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर और बाड़मेर में बादल छाने की संभावना।
- कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हो सकती है, जिससे तापमान में हल्की गिरावट दर्ज हो सकती है।
- गर्मी का असर कम होने की संभावना, लेकिन दिन में धूप तेज रह सकती है।
प्रदेश में तापमान की स्थिति देखिए
शहर | अधिकतम (°C) | न्यूनतम (°C) |
---|---|---|
अजमेर | 35.2 | 14.9 |
भीलवाड़ा | 35.4 | 13.6 |
अलवर | 33.0 | 12.0 |
जयपुर | 33.3 | 18.2 |
पिलानी | 33.7 | 15.0 |
सीकर | 34.5 | 17.5 |
कोटा | 34.5 | 15.3 |
चित्तौड़गढ़ | 37.7 | 14.6 |
उदयपुर | 34.6 | 14.9 |
बाड़मेर | 39.4 | 22.1 |
जैसलमेर | 37.4 | 17.3 |
जोधपुर | 37.2 | 17.0 |
फलोदी | 34.6 | 21.2 |
बीकानेर | 36.0 | 17.5 |
चूरू | 35.8 | 16.4 |
गंगानगर | 32.5 | 14.2 |
धौलपुर | 33.7 | 13.8 |
बारां | 35.5 | 11.4 |
हनुमानगढ़ | 29.1 | 10.8 |
जालौर | 38.4 | 14.6 |
सिरोही | 36.4 | 13.1 |
फतेहपुर | 36.0 | 13.4 |
करौली | 34.9 | 10.5 |
दौसा | 35.6 | 11.1 |
झुंझुनू | 35.2 | 17.3 |
पाली | 36.8 | 13.1 |
यह टेबल राजस्थान के प्रमुख शहरों के अधिकतम और न्यूनतम तापमान को दर्शाती है।
जलवायु परिवर्तन: गर्मी में बारिश और सर्दी में गर्मी के कारण
आज दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। मौसम के अनियमित पैटर्न, असामान्य तापमान वृद्धि, और अप्रत्याशित बारिश इसके स्पष्ट संकेत हैं। हाल के वर्षों में, भारत सहित कई देशों में देखा गया है कि गर्मी के मौसम में अचानक बारिश हो रही है, जबकि सर्दियों में अपेक्षाकृत गर्मी महसूस की जा रही है। यह बदलाव जलवायु असंतुलन (Climate Imbalance) को दर्शाता है, जो प्राकृतिक और मानवीय कारणों से उत्पन्न हो रहा है।
गर्मी में बारिश और सर्दी में गर्मी जैसी जलवायु परिवर्तन की स्थितियाँ मानवीय गतिविधियों और प्राकृतिक बदलावों का परिणाम हैं। यदि समय रहते हमने इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो भविष्य में इसके और भी गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। हमें मिलकर ऐसे प्रयास करने होंगे, जिससे जलवायु संतुलित बनी रहे और पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके।
गर्मी में बारिश और सर्दी में गर्मी क्यों हो रही है?
गर्मी में बारिश और सर्दियों में गर्मी जैसी स्थितियाँ जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष परिणाम हैं। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
1. ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)
ग्लोबल वार्मिंग का मतलब है कि धरती का औसत तापमान लगातार बढ़ रहा है। यह मुख्य रूप से ग्रीनहाउस गैसों (CO₂, CH₄, NO₂) के उत्सर्जन से हो रहा है, जो औद्योगीकरण, जीवाश्म ईंधनों (कोयला, पेट्रोल, डीजल) के जलने और वनों की कटाई से उत्पन्न होते हैं।
गर्मी के मौसम में तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे हवा में नमी बढ़ती है। यह नमी जब ठंडी हवा के संपर्क में आती है तो अचानक बारिश का कारण बनती है। इसी तरह, सर्दियों में बढ़ता तापमान ठंड को कम कर देता है, जिससे अपेक्षाकृत गर्म सर्दियाँ देखने को मिलती हैं।
2. पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) और मानसून पैटर्न में बदलाव
भारत में सर्दियों में अधिक गर्मी और गर्मी में बारिश की स्थिति पश्चिमी विक्षोभ और मानसूनी पैटर्न में हो रहे बदलाव से जुड़ी है। पश्चिमी विक्षोभ एक प्रकार की मौसम प्रणाली है जो यूरोप और मध्य एशिया से होकर भारत तक पहुँचती है।
- सर्दियों में पश्चिमी विक्षोभ अधिक सक्रिय होने से अधिक बारिश और गर्मी महसूस होती है।
- गर्मियों में मानसून से पहले ही बारिश होने के कारण तापमान में अचानक गिरावट देखी जाती है।
3. महासागरीय घटनाएँ: एल नीनो और ला नीना (El Niño & La Niña)
महासागरों में होने वाली घटनाएँ भी जलवायु परिवर्तन को प्रभावित करती हैं।
- एल नीनो (El Niño): इस स्थिति में प्रशांत महासागर का तापमान असामान्य रूप से बढ़ जाता है, जिससे भारत में सर्दियों में अधिक गर्मी और बारिश देखने को मिलती है।
- ला नीना (La Niña): इसके विपरीत, जब महासागर का तापमान कम होता है, तब मानसून अधिक सक्रिय हो सकता है, जिससे गर्मी के मौसम में भी बारिश हो सकती है।
4. वनों की कटाई और शहरीकरण (Deforestation & Urbanization)
तेजी से बढ़ते शहरीकरण और वनों की कटाई से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। पेड़-पौधे वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं, लेकिन जंगलों के कटने से यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है। इससे:
- तापमान में वृद्धि होती है।
- मौसम के पैटर्न अनियमित हो जाते हैं।
- गर्मी में बारिश और सर्दी में गर्मी जैसे हालात बनने लगते हैं।
5. ग्रीनहाउस इफेक्ट (Greenhouse Effect) का प्रभाव
ग्रीनहाउस गैसें पृथ्वी की सतह से निकलने वाली गर्मी को रोककर वातावरण को गर्म कर देती हैं। इसके कारण:
- सर्दियों में अपेक्षाकृत अधिक गर्मी रहती है।
- गर्मियों में मौसम असामान्य हो जाता है, जिससे अचानक बारिश होने लगती है।
इन बदलावों के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की अनिश्चितता कई समस्याएँ पैदा कर रही है:
- खेती और खाद्य सुरक्षा पर असर
- अनियमित बारिश से फसलें प्रभावित हो रही हैं।
- अत्यधिक गर्मी और सूखे के कारण पैदावार कम हो रही है।
- असमय बारिश से फसलें बर्बाद हो रही हैं।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव
- गर्मी और ठंड के असमान्य पैटर्न से बीमारियाँ बढ़ रही हैं।
- लू (Heatwave) और हीट स्ट्रोक जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं।
- वायु प्रदूषण बढ़ने से सांस संबंधी बीमारियाँ बढ़ रही हैं।
- पानी की कमी और बाढ़ का खतरा
- कहीं अत्यधिक बारिश हो रही है तो कहीं सूखा पड़ रहा है।
- जल स्रोतों का संतुलन बिगड़ रहा है।
समाधान और बचाव के उपाय
अगर हमें जलवायु परिवर्तन को रोकना है, तो हमें कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे:
- वृक्षारोपण को बढ़ावा देना: पेड़-पौधे जलवायु को संतुलित रखते हैं, इसलिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए।
- जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करना: कोयला, पेट्रोल और डीजल की बजाय सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना चाहिए।
- औद्योगिक उत्सर्जन पर नियंत्रण: फैक्ट्रियों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित करने के लिए कड़े कानून लागू करने चाहिए।
- जल संरक्षण: बारिश के पानी का संचयन करना और जल संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित करना आवश्यक है।
- जनजागरूकता: जलवायु परिवर्तन के बारे में लोगों को जागरूक करना जरूरी है ताकि वे अपने दैनिक जीवन में इको-फ्रेंडली आदतें अपनाएँ।