
Rupee vs dollar today : आज, 11 दिसंबर 2025 को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 90.47 के स्तर तक गिर गया, जो इस साल का अब तक का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले 4 दिसंबर को भी यह लगभग 90.43 तक पहुँचा था। रुपए की इस कमजोरी के पीछे लगातार विदेशी फंड्स की निकासी (FII outflow) और डॉलर की मजबूत मांग प्रमुख कारण हैं।
भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बुधवार, 11 दिसंबर 2025 का दिन इतिहास में दर्ज हो गया, जब भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले टूटकर 90.47 के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भारतीय वित्तीय बाजारों में बढ़ते दबाव, विदेशी निवेशकों के लगातार बाहर निकलने और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं का एक बड़ा संकेत है। इससे पहले 4 दिसंबर को भी रुपया 90.43 के रिकॉर्ड लो पर फिसला था, लेकिन आज का स्तर भारतीय मुद्रा की कमजोरी की नई सीमा तय कर गया।
USD INR exchange rate 2025 : रुपया 2025 की शुरुआत में 85.70 पर था, यानी महज़ 11 महीनों में यह 5% से अधिक कमजोर हो चुका है। ऐसे समय में जब विश्वभर में डॉलर फिर से मजबूत हो रहा है, अमेरिका की मौद्रिक नीतियाँ कड़ी हो रही हैं और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तनाव बढ़ रहा है, भारत सहित उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव लगातार गहराता जा रहा है। विदेशी निवेशकों (FIIs) की लगातार बिकवाली ने भारतीय बाजारों से भारी पूंजी निकाली है, जिसका सीधा असर रुपए की विनिमय दर पर देखा जा रहा है।
Indian rupee record low news : डॉलर की बढ़ती मांग और आयात बिल में उछाल ने भी रुपए को झटका दिया है। भारत जैसे देश, जो तेल और तकनीकी उपकरणों जैसे आवश्यक आयात पर निर्भर हैं, मुद्रा में गिरावट का दोहरा असर झेलते हैं—महँगा आयात और बढ़ती महंगाई। वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कमजोर रुपया भारत की वैश्विक निवेश छवि को भी प्रभावित करता है।

RBI forex intervention : विश्लेषकों के अनुसार 2025 में रुपये का डॉलर के मुकाबले लगभग 5% से अधिक कमजोर होना दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर बाहरी दबाव बढ़ा है। शुरुआत में 1 जनवरी 2025 को रुपया 85.70 पर था, जो अब 90+ स्तर पर पहुँच गया है — यह दर्शाता है कि डॉलर के मुकाबले रुपए में भारी गिरावट आई है।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है—क्या रुपया और नीचे जाएगा? क्या आने वाले दिनों में डॉलर 91 या 92 के स्तर को भी छू सकता है? विशेषज्ञों के अनुसार यह संभव है, यदि विदेशी निवेश की वापसी नहीं रुकती और वैश्विक बाजार का दबाव यूँ ही बना रहता है।
आज रुपया सिर्फ गिरा नहीं है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कई नई चेतावनियाँ छोड़ गया है।
📉 क्यों गिर रहा है रुपया?
रुपए के गिरने के मुख्य कारण नीचे दिए गए हैं:
1. विदेशी पूंजी का बहिर्वाह
Foreign investment outflow India : विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों व बॉन्डों से पैसा निकाल रहे हैं, जिससे डॉलर की मांग बढ़ती और रुपए पर दबाव आता है।
2. डॉलर की मजबूती
यूएस फेडरल रिजर्व की नीतियों से डॉलर मजबूत हुआ है, जिससे उभरती बाजार की मुद्राएँ कमजोर पड़ रही हैं।
3. व्यापार घाटा और कमजोर निर्यात
भारत के निर्यात पर वैश्विक मांग की मंदी और ट्रेड सौदों में देरी से विदेशी मुद्रा प्राप्ति में कमी आई है।
4. उच्च आयात लागत (खासकर तेल)
भारत ऊर्जा और अन्य वस्तुओं के लिए डॉलर में भुगतान करता है, जिससे डॉलर की मांग बनी रहती है।

🌍 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव
📌 भारत का व्यापार और निवेश आकर्षण
USD INR forecast 2026 : रुपये के गिरने से भारत में विदेशी वस्त्र और कच्चा माल महँगा होता है, जिससे आयात महँगा हो जाता है। वहीं निर्यातकों को डॉलर अधिक मिलते हैं, जिससे उन्हें कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन स्थिर वृद्धि के लिए यह पर्याप्त नहीं है।
📌 वैश्विक बाजार में धारणा
भारत की मुद्रा की कमजोरी ने अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के बीच जोखिम धारणा बढ़ाई है और कुछ बाजारों में निवेश कम होने का खतरा पैदा हुआ है।
📊 रुपया की साल 2025 में स्थिति (1 Jan–11 Dec)
| तारीख | डॉलर के मुकाबले INR |
|---|---|
| 1 Jan 2025 | ₹85.70 |
| 1 Mar 2025 | ₹88.15 (अनुमानित) |
| 1 Jun 2025 | ₹89.25 (अनुमानित) |
| 1 Sep 2025 | ₹88.47 (अनुमानित) |
| 3 Dec 2025 | ₹90.29 (रिकॉर्ड स्तर) |
| 11 Dec 2025 | ₹90.47 (नया लो) |
टिप्पणी: मध्य वर्ष के अनुमानित डेटा बाजार विश्लेषण स्रोतों और हालिया रिपोर्टों के आधार पर लगाए गए हैं।
📈 आने वाले दिनों में रुपया क्या कर सकता है?
Impact of weak rupee India economy : विश्लेषकों का मानना है कि अगर यूएस–भारत व्यापार समझौता जल्दी नहीं होता, तो डॉलर की मांग बढ़ सकती है और रूपया और गिर सकता है (कुछ अनुमानों में 2026 में ₹94 तक)।
हालाँकि, अगर विदेशी निवेश वापस लाने, RBI के मजबूत हस्तक्षेप, और निर्यात को प्रोत्साहन जैसे कदम लिए जाते हैं, तो रुपया दबाव से उबर सकता है और धीरे–धीरे मजबूत हो सकता है।
