Shree Nath ji Temple : विश्व प्रसिद्ध पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की प्रधानपीठ श्रीनाथजी मंदिर में प्रभु श्रीनाथजी का आगामी 21 जून को ज्येष्ठाभिषेक स्नान होगा। इस मौके पर श्रीजी बावा सवा लाख आमों का भोग अरोगेंगे। मान्यता है कि बृज में पूरे ज्येष्ठ मास में भगवान श्रीकृष्ण ने भक्तों के साथ जल विहार किया था। ज्येष्ठ पूर्णिमा को यमुनाजी में स्नान किया। श्रीयमुनाजी के पद गुणगान, जल विहार मनोरथ उस दौरान हुए थे। उद्यापन के स्वरूप प्रभु को सवा लाख आम का भोग धराकर मनोरथ को पूरा किया था। उसी भाव से प्रतिवर्ष यह मनोरथ होता है। पूर्णिमा के दिन प्रभु को मंगला झांकी के दर्शन के बाद तिलकायत परिवार केसर व पुष्प युक्त सुवासित जल से स्नान कराएगा। इस दिन प्रभु श्रीनाथजी की नगरी में अपार उत्साह रहेगा। स्नानाभिषेक के समय वेदमन्त्र तथा पुरुषसूक्त वाचन किया जाता है। वेदोक्त उत्सव होने से सर्वप्रथम शंख से स्नान होता है। प्रभु के राज्याभिषेक आनंदोत्सव पर ब्रजवासी ठाकुरजी को ऋतुफल की भेंट के तौर पर श्रेष्ठ आमों का भोग धराते हैं।
Shree nath ji Mandir Darshan : कहां से आते हैं सवा लाख आम?
Shree nath ji Mandir Darshan : सवा लाख आमों का भोग लगाने से पूर्व साफ कर उनके मुंह को काटा जाता है। भोग लगाने के बाद ये आम सेवाकर्मियों, राजभोग झांकी के सैकड़ों दर्शनार्थियों में बंटते हैं। मंदिर में एक-दो दिन पहले ही देशभर से श्रद्धालु-वैष्णव हापुस, केसर, नीलम, रत्नागिरि सहित कई किस्म के आम भेजते हैं। श्रीनाथजी मंदिर मंडल भी प्रतिवर्ष आम खरीदता है। गुजरात से भी कई श्रद्धालु ट्रक भरकर आम भिजवाते रहे हैं।
Offering mango to Shrinathji : एक दिन पहले लाए जल का होता है अधिवासन
Offering mango to Shrinathji : स्नान यात्रा से एक दिन पूर्व श्रृंगार की झांकी के दर्शन के बाद मंदिर के तिलकायत परिवार के सदस्य, श्रीनाथजी के बड़े मुखिया, द्वितीय मुखिया व लाड़ले लालनजी के मुखिया, भीतरिया, मंदिर के सेवाकर्मी मोतीमहल क्षेत्र स्थित भीतर की बावड़ी से स्वर्ण एवं रजत घट में स्नान का जल भरकर लाते हैं। इस जल का भावात्मक एवं स्वरूपात्मक होने से कुमकुम-चंदन से पूजन कर व भोग धरकर अधिवासन किया जाता है। कदम्ब, कमल, मोगरा की कली, जूही, तुलसी विभिन्न प्रकार के पुष्प, चंदन, केसर, बरास, गुलाबजल, यमुना जल आदि का अधिवासन होता है। ज्येष्ठाभिषेक के जल यमुनाजी का जल मानकर पूजन किया जाता है। News For Shree nath ji
Where is Shree Nath ji : दहलीज पर हल्दी का लेपन, आसापाल के पत्तों की बंदनवार
Where is Shree Nath ji : मंदिर की दहलीज को हल्दी से लीपा जाता है। आशापाल के पत्तों से बंदनवार बांधी जाती है। मंगला झांकी में श्रीजी बावा की मंगला आरती होती है, फिर ज्येष्ठाभिषेक के लिए विशेष वस्त्र धराए जाएंगे। तिलकायत श्रीजी के श्रीभाल पर कुमकुम से तिलक लगा अक्षत धराएंगे। शंखनाद, जालर घंटा वादन के साथ मंदिर के पंड्या की उपस्थिति में मंत्रोच्चार के साथ केसरयुक्त सुवासित जल से ज्येष्ठाभिषेक कराया जाता है। इस दौरान कीर्तनकार राग बिलावल के साथ विशेष कीर्तन ‘मंगल ज्येष्ठ जेष्ठा पून्यो करत स्नान गोवर्धनधारी, दधि और दूब मधु ले सखीरी केसरघट जल डारत प्यारी…, अरगजा अंग-अंग प्रतिलेपन कालिंदी मध्य केलि विहारी… आदि पदों का गान करते हैं।