जनेऊ क्या है व इसकी क्या महत्चता है ?

ByParmeshwar Singh Chundawat

Jul 14, 2023 #about janeu in hindi arya samaj, #can a woman wear janeu, #can we remove janeu, #disease pictures janeu dhari, #jaivardhan news, #janeu brahmin brahmin, #janeu brahmin janeu rule, #janeu ceremony gift, #janeu dharan mantra janeu, #janeu how to make janeu at home, #janeu how to wear, #janeu janeu in english, #janeu janeu thread, #janeu ka arth, #janeu mantra, #janeu meaning who can wear, #janeu sanskar, #janeu sanskar in english, #jayavardhan news, #jayvardhan news, #live rajsamand, #mewar news, #Rajasthan news, #rajasthan news live, #rajasthan police, #rajsamand news, #s benefits of janeu, #udaipur news, #क्या जनेऊ पहनना उचित है, #क्षत्रिय जनेऊ, #जनेऊ, #जनेऊ ka matlab, #जनेऊ ki photo, #जनेऊ meaning, #जनेऊ उतारने की विधि, #जनेऊ का अर्थ in hindi, #जनेऊ का महत्व, #जनेऊ का विकास, #जनेऊ का विवरण, #जनेऊ की उत्पत्ति, #जनेऊ के नियम, #जनेऊ के बारे में बताइए, #जनेऊ कैसा होता है, #जनेऊ कैसे पहना जाता है, #जनेऊ कौन पहनता है, #जनेऊ क्या है, #जनेऊ क्या होता है, #जनेऊ पहनने का तरीका, #जनेऊ पहनने के नियम, #जनेऊ पहनने से क्या होता, #जनेऊ मंत्र, #जनेऊ में कितनी गांठे लगाई जाती है, #जनेऊ संस्कार, #बा्रमहण जनेऊ क्यों धारण करते हैं, #ब्राह्मण जनेऊ मंत्र
yagyopaveet 750x375 1 https://jaivardhannews.com/what-is-janeu/

भए कुमार जबहिं सब भ्राता।
दीन्ह जनेऊ गुरु पितु माता॥

आपने देखा होगा कि बहुत से लोग बाएं कंधे से दाएं बाजू की ओर एक कच्चा धागा लपेटे रहते हैं। इस धागे को जनेऊ कहते हैं। जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है। जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है। यह सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। अर्थात इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे।

तीन सूत्र : जनेऊ में मुख्यरूप से तीन धागे होते हैं। यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं और यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है। यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है।यह तीन आश्रमों का प्रतीक है। संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है।
नौ तार : यज्ञोपवीत के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं। इस तरह कुल तारों की संख्या नौ होती है। एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं।
पांच गांठ : यज्ञोपवीत में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक है। यह पांच यज्ञों, पांच ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों का भी प्रतीक भी है।

वैदिक धर्म में प्रत्येक आर्य का कर्तव्य है जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना। प्रत्येक आर्य जनेऊ पहन सकता है बशर्ते कि वह उसके नियमों का पालन करे। जनेऊ की लंबाई, यज्ञोपवीत की लंबाई 96 अंगुल होती है। इसका अभिप्राय यह है कि जनेऊ धारण करने वाले को 64 कलाओं और 32 विद्याओं को सीखने का प्रयास करना चाहिए। चार वेद, चार उपवेद, छह अंग, छह दर्शन, तीन सूत्रग्रंथ, नौ अरण्यक मिलाकर कुल 32 विद्याएं होती है। 64 कलाओं में जैसे- वास्तु निर्माण, व्यंजन कला, चित्रकारी, साहित्य कला, दस्तकारी, भाषा, यंत्र निर्माण, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, दस्तकारी, आभूषण निर्माण, कृषि ज्ञान आदि।

जनेऊ के नियम

1. यज्ञोपवीत को मल-मूत्र विसर्जन के पूर्व दाहिने कान पर चढ़ा लेना चाहिए और हाथ स्वच्छ करके ही उतारना चाहिए। इसका स्थूल भाव यह है कि यज्ञोपवीत कमर से ऊंचा हो जाए और अपवित्र न हो। अपने व्रतशीलता के संकल्प का ध्यान इसी बहाने बार-बार किया जाए।
2.यज्ञोपवीत का कोई तार टूट जाए या 6 माह से अधिक समय हो जाए, तो बदल देना चाहिए। खंडित यज्ञोपवीत शरीर पर नहीं रखते। धागे कच्चे और गंदे होने लगें, तो पहले ही बदल देना उचित है।
4.यज्ञोपवीत शरीर से बाहर नहीं निकाला जाता। साफ करने के लिए उसे कण्ठ में पहने रहकर ही घुमाकर धो लेते हैं। भूल से उतर जाए, तो प्रायश्चित करें ।
5.मर्यादा बनाये रखने के लिए उसमें चाबी के गुच्छे आदि न बांधें। इसके लिए भिन्न व्यवस्था रखें। बालक जब इन नियमों के पालन करने योग्य हो जाएं, तभी उनका यज्ञोपवीत करना चाहिए।

चिकित्सा विज्ञान के अनुसार दाएं कान की नस अंडकोष और गुप्तेन्द्रियों से जुड़ी होती है। मूत्र विसर्जन के समय दाएं कान पर जनेऊ लपेटने से शुक्राणुओं की रक्षा होती है। वैज्ञानिकों अनुसार बार-बार बुरे स्वप्न आने की स्थिति में जनेऊ धारण करने से इस समस्या से मुक्ति मिल जाती है। कान में जनेऊ लपेटने से मनुष्य में सूर्य नाड़ी का जाग्रण होता है। कान पर जनेऊ लपेटने से पेट संबंधी रोग एवं रक्तचाप की समस्या से भी बचाव होता है। माना जाता है कि शरीर के पृष्ठभाग में पीठ पर जाने वाली एक प्राकृतिक रेखा है जो विद्युत प्रवाह की तरह काम करती है। यह रेखा दाएं कंधे से लेकर कमर तक स्थित है। जनेऊ धारण करने से विद्युत प्रवाह नियंत्रित रहता है जिससे काम-क्रोध पर नियंत्रण रखने में आसानी होती है। जनेऊ से पवित्रता का अहसास होता है। यह मन को बुरे कार्यों से बचाती है। कंधे पर जनेऊ है, इसका मात्र अहसास होने से ही मनुष्य नकारात्मकता से दूर रहने लगता है।

Mahaveer vyas https://jaivardhannews.com/what-is-janeu/

महावीर व्यास,
बामनिया कलां,
राजसमंद

Mo.7976384565