Dollar vs Rupee : साल 2024 भारतीय रुपये के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 3% कमजोर हुआ और 85.59 रुपये प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर तक पहुंच गया। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती और डॉलर की बढ़ती मांग इसका मुख्य कारण रही। अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन से आयात पर शुल्क बढ़ाने के संकेत से भी डॉलर में जबरदस्त तेजी देखी गई।
Rupee depreciates : 1 जनवरी 2024 को रुपया 83.19 प्रति डॉलर था, जो 27 दिसंबर तक 85.59 पर आ गया। हालांकि, अन्य वैश्विक मुद्राओं की तुलना में रुपये में उतार-चढ़ाव कम रहा, जो इसकी स्थिरता को दर्शाता है।
India in the world economy : 2024 में रुपए पर असर के कारक
- वैश्विक घटनाक्रमों का प्रभाव
रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में संकट ने वैश्विक व्यापार को प्रभावित किया। लाल सागर के जरिए व्यापार में अड़चनें और अन्य प्रमुख देशों में हुए चुनाव भी मुद्रा बाजार पर भारी पड़े। - डॉलर का बढ़ता दबदबा
अमेरिकी केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती ने डॉलर को अन्य मुद्राओं के मुकाबले मजबूत बनाए रखा। - चीन की अर्थव्यवस्था की सुस्ती
चीन की जीडीपी वृद्धि दर 4.8% तक गिरने से भारतीय निर्यात पर असर पड़ा। पश्चिम एशिया में तनाव और आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट ने भी भारत की व्यापार स्थिति को प्रभावित किया।
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रुपए में गिरावट की प्रमुख घटनाएं
पिछले दो महीनों में रुपये में तेज गिरावट देखी गई। अक्टूबर में यह 84 प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया, और दिसंबर में 85.80 प्रति डॉलर तक गिर गया। यह दो साल में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट थी। हालांकि, अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपया कुछ हद तक बेहतर प्रदर्शन करता नजर आया। जापानी येन के मुकाबले यह 8.7% मजबूत हुआ और यूरो के मुकाबले भी इसमें 5% का सुधार देखा गया।
आरबीआई का हस्तक्षेप और विदेशी मुद्रा भंडार
भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये को स्थिर रखने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई। विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2024 के 704.89 अरब डॉलर से घटकर दिसंबर में 644.39 अरब डॉलर रह गया। इसके बावजूद आरबीआई ने बाजार में हस्तक्षेप कर रुपये की तेज गिरावट को रोकने की कोशिश की। डॉलर के मुकाबले रुपया के अब वर्ष 2025 में मजबूत होने की उम्मीद है।
Happy News 2025 : अब नए साल 2025 से उम्मीदें
विशेषज्ञों को उम्मीद है कि 2025 में रुपये की स्थिति में सुधार होगा। वैश्विक बाजार में स्थिरता और भारतीय अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन से रुपया मजबूत हो सकता है। 2024 रुपये के लिए कठिनाइयों से भरा रहा, लेकिन अन्य वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले इसकी स्थिरता ने इसे थोड़ा संतोषजनक बनाया। 2025 में उम्मीदें अधिक हैं कि भारतीय रुपया बेहतर प्रदर्शन करेगा। विशेषज्ञों और निवेशकों की नजर अब आने वाले वैश्विक और घरेलू आर्थिक घटनाक्रमों पर होगी।
- डॉलर का प्रभाव घटेगा
अगर अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में सुधार होता है और वैश्विक बाजार स्थिर रहता है, तो रुपये पर डॉलर का दबाव कम हो सकता है। - भारतीय अर्थव्यवस्था का समर्थन
भारत में मजबूत आर्थिक नीतियां और निर्यात को बढ़ावा देने के उपाय रुपये को मजबूत कर सकते हैं।