लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद
Dr. CP Joshi का नाम देश में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में शामिल है। नाथद्वारा से विधायक, भीलवाड़ा से सांसद का चुनाव लड़ने के बाद राज्य व केन्द्र सरकारों में केबिनेट मंत्री के तौर पर कई मंत्रालयों की कमान संभाल चुके हैं। वर्तमान में राजस्थान के साथ राष्ट्रीय राजनीति में चाहे भाजपा हो या कांग्रेस में, जिस तरह से नेता, विधायक व मंत्री विवादों से घिरे है, मगर डॉ. सीपी जोशी की पहचान हमेशा स्पष्टवादी नेता की रही है। आज राजस्थान ही नहीं, बल्कि केन्द्र स्तर पर भी डॉ. सीपी जोशी का बड़े नेताओं में नाम है, जो हमेशा विवादों से किनारे रहते हैं। डॉ. जोशी के जीवन की कहानी, जो बड़ी ही दिलचस्प व रोचक है, जो आपको भी अपने जीवन में कई सबक दे सकती है।
Lok Sabha Election को लेकर कांग्रेस द्वारा दिग्गत नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने के लिए लंबे समय से प्रयास चल रहे थे। इसके तहत डॉ. सीपी जोशी को इस बार Lok Sabha Election 2024 में फिर भीलवाड़ा से टिकट दिया है। डॉ. जोशी अभी भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में जनसंपर्क में जुटे हुए हैं। भीलवाड़ा में घोषित कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. दामोदर गुर्जर को राजसमंद लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बनाया गया है। क्योंकि भीलवाड़ा लोकसभा सीट से डॉ. सीपी जोशी पहले सांसद रह चुके हैं और भीलवाड़ा में सबसे बड़ा चंबल प्रोजेक्ट लेकर आए थे। इसलिए क्षेत्रीय लोगों की डिमांड को देखते हुए डॉ. सीपी जोशी को भीलवाड़ा से ही दोबारा मौका दिया गया है।
Dr. CP Joshi के जीवन की कहानी
डॉ. सीपी जोशी का पूरा नाम है डॉ. चन्द्रप्रकाश जोशी, जिसे राजसमंद में सीपी साब के नाम जाना जाता है। ये वहीं दिग्गज नेता है, जिनको वर्ष 2008 में इन्हीं के चेले कल्याणसिंह चौहान ने भाजपा से टिकट लेकर उन्हें 1 वोट से हरा दिया था। फिर 1 वोट को लेकर वे मामला सुप्रीम कोर्ट तक ले गए। क्योंकि वे जानते हैं कि राजनीति में 1 वोट का महत्त्व क्या है। हालांकि 1980 से अब तक के राजनीतिक कॅरियर में उनकी पहचान एक स्पष्टवादी नेता के रूप में रही, जो नेता हो या कार्यकर्ता, सबको सबके सामने स्पष्ट जवाब दे देते हैं। फिर चाहे, उनके द्वारा कही गई वह बात किसे बूरी लगे या अच्छी, इसकी वे परवाह नहीं करते।
Dr CP Joshi full name Dr. Chandra prkash Joshi
डॉ. सीपी जोशी का का पूरा नाम डॉ. चन्द्र प्रकाश जोशी है। उनका जन्म 29 जुलाई 1950 को नाथद्वारा में हुआ। इनके पिता का नाम भूदेव प्रसाद जोशी है। प्रारंभिक पढ़ाई नाथद्वारा के स्कूल में हुई। कानून में बीए के साथ एमबी कॉलेज उदयपुर से स्नातक की। भौतिकी में परास्नातक किया। उन्होंने मनोविज्ञान में अपने परास्नातक व पीएचडी डिग्री भी की। एम बी कॉलेज उदयपुर में प्रोफेसर के रूप में कॅरियर शुरू किया। पूर्णकालिक राजनीति में प्रवेश करने से पहले सीपी जोशी उदयपुर के मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर थे इंटेलिजेंस कोटिएंट में विशेषज्ञता के साथ। राजनीतिक जीवन की शुरुआत में अपने स्कूली सफर के दौरान गोवर्धन हायर सैकंडरी स्कूल नाथद्वारा से हो गई। उदयपुर में एमएससी में पूरी की। इस दौरान वह पहली बार कॉलेज छात्र संघ के उपाध्यक्ष बने और उसके बाद अगले साल अध्यक्ष पद का चुनाव जीते।
22 मई 2009 को लोकसभा के पहले सदस्य होने के बावजूद वह भारत के नए मंत्रिमंडल के पहले 19 सदस्यों में से एक थे। वह सड़क परिवहन और राजमार्ग और रेलवे के पूर्व मंत्री हैं। 28 अप्रैल 1986 को प्रोफेसर (डॉ) हेमलता जोशी से उनका विवाह हुआ। उनके एक बेटा है। पूर्णकालिक राजनीति में प्रवेश करने से पहले, जोशी उदयपुर के मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर थे।
cp joshi family photos : राजनीति सफर एक नजर में
सीपी जोशी को 1977 लोकसभा चुनाव में नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र का संयोजक बनाया। सुखाडिय़ा चुनाव जीते और 1980 में दिग्गजों की टिकट काटकर सीपी जोशी को विधायक का टिकट दिया। वे नाथद्वारा विधानसभा से 1980, 1985, 1998 और 2003 में विधायक चुने गए थे। 1998 में वह पंचायती राज, शिक्षा, ग्रामीण विकास, पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग, नीति योजना और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे प्रमुख विभागों को संभालने वाले राज्य के कैबिनेट मंत्री बने। सीपी जोशी को 2003 में एक विपक्षी विधायक के रूप में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 2008 के विधानसभा चुनाव में सीपी जोशी को भाजपा नेता कल्याण सिंह से मात्र 1 वोट से हार गए। फिर 2009 में भीलवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़े और यूपीए की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। 2012 में ममता बनर्जी के यूपीए से बाहर जाने के बाद और मुकुल रॉय के रेल मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद सीपी जोशी को रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार मिला। 2009 से 2011 तक वो यूपीए सरकार में पंचायती राज मंत्री रहे। 2011 से 2013 तक सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय संभाला। उसके बाद 2018 में फिर नाथद्वारा से विधायक का चुनाव लड़े और राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष मनोनीत किया गया।
Dr. CP Joshi Life Story : जीवन का परिचय
नाम : डॉ. सीपी जोशी
जन्म : 29 जुलाई 1950
माता : स्व. श्रीमती सुशीला जोशी
पत्नी : ज्योत्सना जोशी
प्रारंभिक पढ़ाई : नाथद्वारा
उच्च शिक्षा : लॉ सुखाडिय़ा विवि
भौतिकी में मास्टर्स डिग्री
मनोविज्ञान में मास्टर्स, पीएचडी
जॉब : प्रोफेसर मनोविज्ञान (सुखाडिय़ा विवि)
डॉ. सीपी जोशी का राजनीतिक सफर
- 4 बार विधायक, नाथद्वारा विधानसभा
- 1 बार सांसद, भीलवाड़ा संसदीय क्षेत्र
- 2009 मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री
- बिहार, प. बंगाल, असम के पार्टी प्रभारी बने और सफलता दिलाई
- कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव
- प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान कांगे्रस कमेटी
- राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष
Dr. CP Joshi दलीय राजनीति से ऊपर
स्पीकर के तौर पर तो उन्होंने कई बार साबित किया ही कि वे दलगत राजनीति से ऊपर है। इसके अलावा भी उन्होंने कई बार अन्य सरकारों के फैसलों का स्वागत कर व्यापक दृष्टिकोण दिखाया है। सीएए को लेकर जब उन्हीं की पार्टी मोदी सरकार की मुखालफत कर रही थी, तब वे उन नेताओं में शुमार थे जो सीएए के समर्थन में दिखाई दिए थे। सीपी जोशी के अलावा शशि थरूर, जयराम रमेश, सलमान खुर्शीद, कपिल सिब्बल जैसे नेताओं ने सीएए का समर्थन किया था।
डॉ. सीपी संबंधी महत्त्वपूर्ण तथ्य
- 1966 में नाथद्वारा में पढ़ाई की। फिर उदयपुर चले गए।
- पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिय़ा द्वारा जोशी को 29 वर्ष की उम्र में 1980 में विधायक का टिकट दिया।
- कॉलेज में छात्र संघ उपाध्यक्ष भी रहे
- 1985 में दोबारा विधायक बने पर अशोक गहलोत ने सीपी जोशी को संसद दिखाई।
- डॉ. सीपी जोशी एमएलएसयू उदयपुर में मनोविज्ञान के प्रोफेसर थे। हालांकि बीएससी जिओलॉजी, एमएससी फीजिक्स किया, एलएलबी और फिर मनोविज्ञान में डॉक्टरेट किया।
- डॉ. जोशी को मिलना जुलना व पढऩा सपंद है।
- शाकाहारी भोजन पसंद है। वैसे पालक की सब्जी, गेहूं, बाजरे की रोटी व दाल पसंद है।
- फिल्म देखने का शोक नहीं। बचपन में भी फिल्मे देखने के लिए समय ही नहींं मिला।
Election Dr. CP Joshi के राजनीतिक घटनाक्रम
- 16 जनवरी 2019 को राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष का पद ग्रहण किया।
- 2018 राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए।
- 2014 उन्होंने जयपुर ग्रामीण से लोकसभा चुनाव लड़ा था, जहां पर वह भाजपा के राज्यवर्धन सिंह राठौर से हारे थे।
- 2012 वह रेलवे (अतिरिक्त प्रभार) केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बन गए।
- 2011 वह सड़क परिवहन और राजमार्ग केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बन गए।
- 2009 ग्रामीण विकास और पंचायती राज केंद्रीय कैबिनेट मंत्री 2009 मई 200 9 में उन्होंने ग्रामीण विकास और पंचायती राज के केंद्रीय मंत्रालय के प्रमुख के रूप में भारत की संसद में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया।
- 2003 में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।
- 1998 वह पंचायती राज, शिक्षा, ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग, नीति योजना और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विभागों को संभालने वाले राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।
- 1973 उन्हें मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के लिए छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया था।
Ashok Gehlot के करीबी है डॉ. सीपी जोशी
राजस्थान की राजनीति में गहलोत व पायलट के बीच सियासी टकराव जारी था। ऐसे में डॉ. जोशी जो कि गहलोत के करीब रहे। इससे उन्हें स्पीकर बनने का मौका मिला और राजस्थान विधानसभा में मास्टर की छवि उभरी तथा फिर पूरे राजस्थान में अपना दबदबा बढ़ गया। कहते हैं कि कभी जोशी जो कि गहलोत के धुर विरोधी थे, लेकिन गहलोत के करीब आने से प्रदेश कांग्रेस की राजनीति की बाजी पूरी तरह पलट गई। इसी के चलते सचिन पायलट कांग्रेस में एक तरह से अलग थलग पड़ गए और पायलट की बगावत के वक्त भी डॉ. सीपी जोशी ने गहलोत सरकार बचाने में अहम भूमिका निभाई थी।
Congress Leader : एक शिक्षक का सियासी सफर
डॉ. सीपी जोशी भले ही मूलत: नाथद्वारा के रहने वाले हैं, मगर उनका जन्म राजसमंद विधानसभा क्षेत्र के कुंवारिया कस्बे में हुआ, जहां उनका ननिहाल बताया जाता है। उनकी सियासत में एंट्री छात्र राजनीति से हुई। जोशी उदयपुर के मोहन लाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए थे। साल 1975 में जोशी यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी के शिक्षक बन गए। साल 1980 में जोशी को पहली बार चुनाव लड़े और 29 वर्ष की उम्र में पहली बार विधायक बने थे।
Election Hisory : 1 वोट से हार भी यादगार
डॉ. सीपी जोशी के चेले कल्याणसिंह चौहान ने वर्ष 2008 में विधायक का चुनाव लड़ा, जिसमें 1 वोट से डॉ. जोशी की हार हो गई थी। हालांकि उस हार की वजह से उन्हें देश की राजनीति में जाने का मौका मिला, जो बड़ी उपलब्धि है। केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री बने थे।