IITain Baba Abhay Singh Biography https://jaivardhannews.com/iit-baba-abhay-singh-biography-in-hindi/

IIT Baba Abhay Singh : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान एक नाम ने सबका ध्यान आकर्षित किया है, और वह है – IITian बाबा अभय सिंह। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में अपनी डिग्री और करोड़ों की नौकरी को छोड़कर संन्यास लेने वाले अभय सिंह अब महाकुंभ में भव्यता से अपने साधु जीवन का एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। उनका यह निर्णय न केवल चौंकाने वाला था, बल्कि यह जीवन के वास्तविक उद्देश्य की तलाश की उनकी गहरी भावना को भी प्रकट करता है।

Who is IIT Bombay Baba? : अभय सिंह का अनोखा सफर

Who is IIT Bombay Baba? : अभय सिंह का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के छोटे से गांव सासरौली में हुआ था। वे अपने परिवार के इकलौते बेटे हैं, जबकि उनकी एक बहन कनाडा में बस चुकी हैं। शुरू से ही पढ़ाई में अव्‍वल रहने वाले अभय को हमेशा नई-नई जगहों पर घूमने और फोटोग्राफी का शौक था। अपनी स्‍कूली शिक्षा के दौरान उन्‍होंने डी.एच.लारेंस स्‍कूल में टॉप किया और फिर 2008 में मुंबई के प्रतिष्ठित IIT Bombay में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में दाखिला लिया।

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यहां तक की यात्रा साधारण नहीं थी। अभय सिंह ने IIT से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की, पर साथ ही साथ उन्‍होंने दर्शनशास्‍त्र का भी गहरा अध्‍ययन किया। यही वह समय था जब उन्‍होंने अपने जीवन के शाश्‍वत उद्देश्‍य की खोज शुरू की। अभय सिंह का जीवन एक अजीब मोड़ पर पहुंचा जब उन्‍होंने अपनी चमकदार तकनीकी दुनिया को छोड़कर आध्यात्मिक जीवन की ओर रुख किया।

Iit baba abhay singh biography hindi : विज्ञान की दुनिया से संन्यास की ओर

Iit baba abhay singh biography hindi : अभय सिंह ने 2021 में कनाडा से लौटने के बाद महादेव की शरण में जाने का निर्णय लिया। उन्‍होंने बताया कि, “महादेव ने मुझे वो रास्ता दिखाया, जिसे मैं पहले 9 सालों से तलाश रहा था।” यह बदलाव न केवल उनके लिए, बल्कि उनके आस-पास के लोगों के लिए भी चौंकाने वाला था। एक प्रतिष्ठित संस्थान से डिग्री और दुनिया में नाम कमाने की बजाय, अभय ने अपनी खोज को आंतरिक शांति और आत्मिक अनुभव की ओर मोड़ लिया।

अभय का कहना है कि, “साइंस ने मुझे बहुत कुछ सिखाया, लेकिन आध्यात्म ने मुझे जीवन के असल अर्थ से जोड़ा।” उन्‍होंने दर्शनशास्‍त्र, सुकरात, प्लेटो और नवउत्तरावाद पर आधारित किताबों का गहरे से अध्‍ययन किया और यह समझा कि जीवन की गहरी सच्‍चाई को जानने के लिए आंतरिक यात्रा ही सबसे अहम है।

Who is IITian Baba? : महादेव के चरणों में समर्पण

Who is IITian Baba? : महाकुंभ के दौरान अभय सिंह ने कई मीडिया इंटरव्यू दिए और बताया कि उनका अब पूरा जीवन महादेव को समर्पित है। वे कहते हैं, “अब मुझे आध्यात्म में ही असली आनंद मिल रहा है। सब कुछ शिव है, और शिव ही सत्य है।” उनका मानना है कि, जब हम ज्ञान की खोज करते हैं, तो अंत में हम केवल एक ही सच्चाई तक पहुंचते हैं — शिव। इस नए जीवन को वे अपने लिए सबसे बेहतरीन चरण मानते हैं, और इस यात्रा में वे गहरे आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त करने के प्रयास में लगे रहते हैं।

Viral IIT Baba Abhay singh : सभी को आत्मा की ओर यात्रा करने की प्रेरणा

Viral IIT Baba Abhay singh : अभय सिंह के जीवन में एक और महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्‍होंने अपने एक पोस्‍ट में कहा, “मां-बाप भगवान नहीं हैं, भगवान खुद ही भगवान है।” उन्‍होंने यह स्‍पष्‍ट किया कि अगर हम ईश्‍वर के बारे में बात करें तो हमें उसकी असल महिमा को समझना चाहिए, न कि केवल उसे एक रूप में संकुचित करना। “जिसे हम ईश्‍वर कहते हैं, वही सबसे बड़ा और सत्य है, और यह जीवन का सबसे गहरे सच्‍चाई है।”

अभय सिंह के विचारों में एक गहरी समझ है, जो आज के भौतिकवादी समाज में खोए हुए उद्देश्यों और आस्थाओं को न केवल दिखाती है, बल्कि उसे हमें देखने का एक नया दृष्टिकोण भी देती है। वे मानते हैं कि जीवन के हर पहलू को एक यंत्र की तरह देखा जा सकता है, जिसमें हमारी आँखें उस यंत्र का हिस्सा हैं जो ऊर्जा और शक्ति को देखने का माध्यम बनती हैं।

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IIT Baba Abhay Singh Story : IITian बाबा अभय सिंह का संदेश

IIT Baba Abhay Singh Story : महाकुंभ 2025 में अभय सिंह की उपस्थिति न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन के बदलाव को दर्शाती है, बल्कि यह समाज को एक शक्तिशाली संदेश भी देती है। उनकी यात्रा यह बताती है कि, आंतरिक शांति और संतुलन को हासिल करने के लिए हमें बाहरी दुनिया से परे जाकर खुद के भीतर झांकने की आवश्यकता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि सफलता का मतलब केवल बाहरी उपलब्धियाँ नहीं, बल्कि आत्मिक संतोष और शांति है।

अभय सिंह का जीवन यह साबित करता है कि किसी भी कार्य में गहरी सोच, प्रतिबद्धता और सच्ची आस्था हो तो हम अपनी आत्मा को सबसे बड़ी सफलता की ओर मार्गदर्शित कर सकते हैं। महाकुंभ में उनका साधु जीवन एक प्रेरणा है, जो हम सभी को अपने जीवन के उद्देश्य को फिर से परिभाषित करने के लिए प्रेरित करता है।

Author

  • Parmeshwar Singh Chundawat

    परमेश्वरसिंह चुडावत युवा व उत्साही पत्रकार है। 2 साल में न सिर्फ पत्रकारिता को समझा, बल्कि आहत, पीड़ित की आवाज भी बने। पढ़ने- लिखने के शौकीन परमेश्वर वेब पोर्टल पर SEO Based खबरें बनाने की तकनीकी समझ भी रखते हैं। घटना, दुर्घटना, राजनीतिक हो या कोई नवाचार, हर मुद्दे पर बेहतर डिजिटल कंटेंट यानि रोचक खबर बनाने में माहिर है। jaivardhanpatrika@gmail.com

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By Parmeshwar Singh Chundawat

परमेश्वरसिंह चुडावत युवा व उत्साही पत्रकार है। 2 साल में न सिर्फ पत्रकारिता को समझा, बल्कि आहत, पीड़ित की आवाज भी बने। पढ़ने- लिखने के शौकीन परमेश्वर वेब पोर्टल पर SEO Based खबरें बनाने की तकनीकी समझ भी रखते हैं। घटना, दुर्घटना, राजनीतिक हो या कोई नवाचार, हर मुद्दे पर बेहतर डिजिटल कंटेंट यानि रोचक खबर बनाने में माहिर है। jaivardhanpatrika@gmail.com